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जगदीप एस. छोकर (1944–2025): वैश्विक लोकतांत्रिक योद्धा

 

जगदीप एस. छोकर (1944–2025): वैश्विक लोकतांत्रिक योद्धा

डॉ जगदीप छोकर

-डॉ भूपेन्द्र सिंह मायचा 

जगदीश छोकर (जिन्हें अक्सर जगदीप एस. छोकर के नाम से जाना जाता है) भारतीय लोकतंत्र और चुनावी सुधारों के एक प्रमुख योद्धा  थे। वे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के सह-संस्थापक थे, जो भारत में चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाली एक प्रमुख गैर-सरकारी संगठन है।


जगदीप एस. छोकर की पारिवारिक पृष्ठभूमि

जगदीप एस. छोकर के पारिवारिक जीवन के बारे में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी बहुत सीमित है। डॉ जगदीप छोकर ने 1944 में हरियाणा के समालखा के पास के गाँव में एक गुर्जर परिवार में जन्म लिया था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनकी शिक्षा और करियर से पता चलता है कि उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और भारतीय रेलवे में इंजीनियर के रूप में काम किया, जो उनके परिवार की स्थिरता और शिक्षा पर जोर देने वाली पृष्ठभूमि का संकेत है। छोकर के वैवाहिक जीवन या पत्नी के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनके निजी जीवन को वे गोपनीय रखते थे, और ADR या अन्य स्रोतों में इस पर कोई उल्लेख नहीं है। वे IIM अहमदाबाद में प्रोफेसर बने और 2006 में सेवानिवृत्त हुए। उनके जीवन के अंतिम 26 वर्ष चुनावी सुधारों को समर्पित रहे, जो दर्शाता है

ADR की स्थापना : ADR की स्थापना 1999 में जगदीप छोकर और उनके कुछ सहयोगियों (जैसे त्रिलोचन शास्त्री) ने की थी, जो भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद (IIM अहमदाबाद) के प्रोफेसर थे। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय चुनावों में अपराधीकरण, धनबल और भ्रष्टाचार को कम करना तथा उम्मीदवारों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना था।

ADR की मुख्य उपलब्धियां :-

  - 2002 में सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले में ADR की याचिका पर उम्मीदवारों को अपने आपराधिक मामलों, संपत्ति और शैक्षणिक योग्यताओं का खुलासा करने का आदेश दिया गया।

  - 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले में ADR की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

  - NOTA (नोने ऑफ द अबव) विकल्प का परिचय, दोषी सांसदों की अयोग्यता, और चुनावी खर्च की निगरानी जैसे मुद्दों पर कई जीत।

- ADR ने पिछले 25 वर्षों में चुनावी डेटा का विश्लेषण कर पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जगदीप छोकर की उपलब्धियां :-

- वे IIM अहमदाबाद में प्रबंधन और संगठनात्मक व्यवहार के प्रोफेसर थे और 2006 में सेवानिवृत्त हुए। इससे पहले उन्होंने भारतीय रेलवे में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में काम किया था।

- डॉ छोकर ने अपने जीवन के अंतिम 26 वर्ष चुनावी सुधारों को समर्पित कर दिए। वे ADR के ट्रस्टी और मार्गदर्शक थे, और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अदालती लड़ाइयों और जागरूकता अभियानों में सक्रिय रहे।

- निधन- 12 सितंबर 2025 को (जो वर्तमान तिथि 13 सितंबर 2025 से एक दिन पहले है) दिल्ली में हृदयाघात से उनका निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी देह चिकित्सा अनुसंधान के लिए दान कर दी। उनकी मृत्यु पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी और अन्य ने श्रद्धांजलि दी, उन्हें "स्वच्छ चुनावों का योद्धा" कहा।  उन्होंने स्वयं में सुधार करने के लिए अनिच्छुक राजनीतिक वर्ग का सामना किया, तथा दशकों धैर्य और दृढ़ विश्वास के साथ उनका मुकाबला किया।

  उनकी याचिका पर फरवरी 2024 में आया। 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम शुरू की गई थी जिसमें कोई भी व्यक्ति या कंपनी बॉन्ड खरीदकर किसी भी राजनीतिक दल को गुप्त तरीके से डोनेट कर सकता था। जिसके विरोध में प्रोफेसर जगदीप छोकर और उनके साथियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई ।  प्रोफेसर साहब ने इसे भारतीय मतदाताओं के साथ धोखा बताया जिससे आम नागरिकों को पता नहीं चल पाएगा कि राजनीतिक दलों को चंदा कौन दे रहा है और भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में कॉरपोरेट और राजनीतिक पार्टियों के बीच दलाली को बढ़ावा मिलेगा। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताया गया और SBI को आदेश दिया कि बॉन्ड खरीदने और भुनाने वालों की जानकारी सार्वजनिक की जाए।

डॉ जगदीप एस. छोकर का 81 वर्ष की आयु में दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके जाने से भारत के नागरिक समाज, शिक्षा जगत और उस महान बिरादरी गुर्जर समुदाय और देश के नागरिकों के बीच एक शून्य पैदा हो गया है, जो यह मानते थे कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव एक सच्चे लोकतंत्र की नींव हैं। डॉ छोकर के शैक्षणिक क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका जैसे देशों में अध्यापन, संगठनात्मक व्यवहार और अंतर-सांस्कृतिक प्रबंधन पर शोध और अपने क्षेत्र में बहुचर्चित कृतियाँ शामिल थीं। हालाँकि, उनकी अथक ऊर्जा हमेशा इस सवाल पर केंद्रित रही कि शासन में सुधार कैसे लाया जाए और आम नागरिकों को कैसे सशक्त बनाकर लोकतंत्र को संजीव बनाया जाए।

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उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि का खुलासा अनिवार्य:- डॉ छोकर द्वारा स्थापित की गयी संस्था एडीआर की कानूनी लड़ाई के बाद, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के सभी उम्मीदवारों को कानून के तहत शपथ पत्र के तहत आपराधिक रिकॉर्ड, संपत्ति और देनदारियों और शैक्षिक योग्यता के बारे में विस्तृत जानकारी का खुलासा करना आवश्यक हुआ, जो मतदान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।

चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगवाई :- सुप्रीम कोर्ट में डॉ छोकर द्वारा स्थापित की गयी एडीआर की दलीलों के कारण चुनावी बॉन्ड योजना को 2024 में असंवैधानिक घोषित कर दिया गया, जिससे राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में वित्तीय पारदर्शिता को गहरा धक्का लगा। इस महत्वपूर्ण जीत को व्यापक रूप से एडीआर की "सर्वोच्च उपलब्धि" कहा गया।

मतदाता अधिकार और मतदाता सूचियों में शुद्धिकरण: छोकर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रियाओं की गहन जांच करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे, नागरिकों को मताधिकार से वंचित करने की किसी भी सम्भावना के प्रति चेतावनी दे रहे थे तथा मतदाता सूचियों की शुद्धता को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे।उन्हें के प्रयासों का नतीजा था कि राजनितिक दल से लेकर चुनाव आयोग सतर्क रहकर कर करने लगे

ईवीएम के रक्षक डॉ छोकर : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर खतरों के बारे में लगातार चिंता जताते हुए, डॉ छोकर ने ईवीएम की जांच और सत्यापन के लिए नए प्रोटोकॉल के लिए 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ जगदीप छोकर अपने समाज से प्राप्त न्याय चरित्र के तहत सत्ता के लिए हमेशा काँटे की तरह चुभते रहें । उन्होंने राजनितिक दवाबों का सामना धैर्य और दृढ़ विश्वास के साथ किया। डॉ छोकर में अपने समाज गुर्जर की संस्कृति का अड़ियल भाव स्पष्ट दिखाई देता था, वे साहस और बहादुरी के साथ खरी-खरी कहने से कभी पीछे नहीं रहते थे। उनके द्वारा भारतीय लोकतंत्र के लिए लड़ी गई लंबी लड़ाइयों को उनके मजबूत चरित्र में देखा जा सकता है। वैसे वे कमजोरों के हिमायती थे और व्यवहार में बहुत शालीन थे। जो लोग उन्हें जानते और देखते थे, उनके लिए वे विनम्रता, शालीनता और दृढ़ संकल्प मूर्ति थे। उनकी सक्रियता हमेशा सेवा की भावना से प्रेरित थी, उन्होंने अपने दिवंगत शरीर को चिकित्सा अनुसंधान के लिए दान करके बताया था कि ये जीवन इसी देश के लिए सम्पूर्ण समर्पित

पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने उनके निधन को दुखदबताया और रेखांकित किया कि उनके और एडीआर जैसे लोग अधिकारियों से सवाल पूछने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो किसी भी लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ संकेत है। राजनीति विज्ञानी योगेन्द्र यादव ने छोकर को लोकतंत्र और सार्वजनिक मुद्दों का निस्वार्थ चैंपियनबताया।

वे लोकतंत्र को आम नागरिक के लिए खोलना चाहते थे। इस विषय में डॉ छोकर खुद कहते थे कि "जब तक राजनीतिक दल अलोकतांत्रिक रहेंगे, हमारा लोकतंत्र जीवंत नहीं हो सकता।" वे राजनीतिक दलों की अधिक जवाबदेही, राजनीति के अपराधीकरण पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानूनों और मतदाताओं को सशक्त बनाने के लिए मज़बूत तंत्रों की लगातार वकालत करते थे। वे न्याय को देने के लिए कहते थे कि लोकतंत्र को हमेशा बनाया और फिर से बनाया जाना चाहिए, और न्याय के लिए कोई भी लड़ाई कभी पूरी तरह से समाप्त नहीं होती। उनके बनाये इस महान पथ पर और उनके दिखाए रास्ते पर चलने वाले लोकतंत्र के प्रहरीयों  के लिए हमेशा मार्गदर्शक बना रहेगा।

डॉ छोकर सेवानिवृति के बाद, उम्र बढ़ने के बावजूद ज्यादा स्तर पर सक्रियता हो गए थे। वे पक्षीयों को बहुत प्रेम करते थे। वे प्रशिक्षित वकील और एक लेखक थे, जिनके शोध अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उनकी कभी हार न मानने की आदत ने उन्हें हमेशा योद्धा ही सिद्ध किया।  डॉ जगदीप एस. छोकर का जीवन एक व्यक्ति की इतिहास की दिशा बदलने की क्षमता का प्रत्यक्ष प्रमाण है, वे हर बाधा से टकराने में विश्वास करते थे, चाहे यह बाधा कितनी भी कठोर क्यों न हो। एक स्वच्छ लोकतंत्र के लिए उनके अथक प्रयास और एक बेहतर समाज की उनकी अटूट आशा ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया है।

टीएन शेषन के बाद अगर भारतीय लोकतंत्र में चुनावी व्यवस्था में जागरूकता के लिए किसी ने काम बड़े स्तर पर काम किया, तो वो नाम प्रो. जगदीप छोकर का है। इसलिए ही नहीं कि उन्होंने एडीआर की स्थापना की, बल्कि इसलिए कि उन्होंने लगातार दो दशकों से अधिक समय तक भारतीय जनमानस को झकझोरा और बताया कि भारतीय राजनीति में हमारे जनप्रतिनिधि काफी बड़ी संख्या में चोर-उचक्के, भ्रष्टाचारी हैं और यह काम उन्होंने और उनकी टीम ने लगातार किया, हमारे मन मस्तिष्क पर लगातार हथौड़ा चलाया। एक-दो बार नहीं, अनेक बार सर्वोच्च अदालत को भी बाध्य किया कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो। यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि वह अपने पीछे भारत की लोकतांत्रिक यात्रा से गहराई से जुड़ी एक विरासत छोड़ गए। उन्होंने चुनावी नेताओं के आपराधिक और वित्तीय रिकॉर्ड को ही नहीं उजागर किया, बल्कि कई बार पारदर्शिता के नए आयाम बताए। भारतीय लोकतंत्र में ऐसे कम ही लोग होंगे, जिन्होंने पूरे तन-मन से लोकतंत्र के पौधे को पुष्पित-पल्लवित किया। देश के असली और बड़े सम्मान के वो हकदार हैं। 

भारतीय लोकतंत्र के जरूरी हिस्सा ‘चुनावी राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई परंपरा स्थापित करने वाले लोकतंत्र के इस महान योद्धा को उनके गुर्जर समुदाय की ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि, ये समाज अपने महान पुत्र के अनंत यात्रा पर ग़मगीन है....................................

अलविदा डॉ साहब, बहुत याद आओगे ...............

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