उत्तर प्रदेश में 4 साल में 42 साधुओं की निर्मम हत्याएं हुई हैं.
साधू-संत, अधिकारी, कारोबारी, मैनेजर, आम दलित लड़की, गैंगस्टर.
एनसी.आर.बी रिपोर्ट्स में दर्ज आंकडें चिल्ला-चिल्लाकर बता रहें
हैं कि बीजेपी की नाकाम सरकार में साधू-संत, आम आदमी, दलित, पिछड़े, ब्राहमण,
मुस्लिम
मनीष गुप्ता हिंदू थे. पुलिसिया अत्याचार का शिकार हुए. हाथरस की
बेटी हिंदू थी. अत्याचार हुआ, मारी गई और पुलिस ने आधी रात को पेट्रोल डालकर फूंक दिया. लखनऊ के विवेक
तिवारी हिंदू थे. पुलिस की गोली से मारे गए. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार हिंदू थे.
लेकिन भीड़ ने उनकी हत्या की. उस भीड़ को संरक्षण दिया गया. महोबा के क्रेसर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की संदिग्ध
मौत के मामले से तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार आज तक फरार नही. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के भीड़-भाड़
वाले चौक इलाक़े में शुक्रवार को हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की उनके
कार्यालय में ही गोली मारकर दिनदहाड़े हत्या कर दी गयी थी, आज तक उसमे कोई कार्यवाही नहीं
हुई. विकास दुबे हिंदू था, उसे भारत की
न्यायव्यवस्था से न्याय नहीं मिला, जबकि एक पाकिस्तानी आतंकी कसाब को इस महान देश
ने 200 करोड़ रूपया खर्च करकर न्याय के लिए न्यायलय के मध्यम से फांसी पर लटकाया
गया था. क्या विकास डूबे को देश के लोकतंत्र के स्वरुप के कारण न्याय नहीं मिलना
चाहिए था. उसको किस राजनैतिक प्रशासनिक संरक्षण ने गुंडा बना और गैरन्यायिक हत्या या
तालिबानी तरीके से मौत के घात उतार दिया गया.
अंतर देखिए. एक अधिकारी, एक कारोबारी, एक मैनेजर, एक आम
लड़की, एक गैंगस्टर. सब अन्याय के एक ही तराजू में तौले गए.
जिसे सुरक्षा मिलनी थी, जिसे सुरक्षा देनी थी, जिससे सुरक्षा की जानी थी और जिसे कानून को सजा देनी थी, सब के सब गैरन्यायिक और आपराधिक ढंग से मारे गए. गोरखपुर हत्याकांड की
कहानी लखनऊ में विवेक तिवारी हत्याकांड से काफी मिलती जुलती है. यूपी पुलिस का
कहना है कि वह हनुमान जी हो गई है. वह जिसकी तरफ ताक दे, वह
मर ही जाता है. कोई रास्ते में चेकिंग करते हुए मर जाता है, कोई
तलाशी लेते हुए मर जाता है. कोई इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि प्रदेश का मुखिया
कहता है ठोंक दो.
पूरा शासन-प्रशासन मिलकर कानून, संविधान और अदालती व्यवस्था को ठोंक रहा है. जब कानून का शासन नहीं होता,
तब यही होता है. इसे ही असली जंगलराज कहते हैं. अत्याचारी प्रशासन किसी का नहीं होता. न हिंदू
का, न मुसलमान का. न सवर्ण का, न दलित
का. न स्त्री का, न पुरुष का. धर्म और जाति के आधार पर
विभाजन सिर्फ और सिर्फ पार्टियों को सत्ता दिलाते हैं और अन्याय के पोषक होते हैं.
जिन लोगों ने लोकतंत्र का निर्माण किया है, वे जानते थे कि
धर्म, जाति, समुदाय से जुड़ी कुंठाएं
प्रशासन का आधार नहीं हो सकतीं. एक निष्पक्ष और निरपेक्ष व्यवस्था ही न्यायपूर्ण
हो सकती है. लेकिन धर्म और जाति की राजनीति करने वाले इस व्यवस्था को ठोंक रहे
हैं. जो बताते हैं कि हिंदू खतरे में है, अगर उन्हीं के राज
में निर्दोष हिंदुओं को ठोंका जा रहा है तो हिंदुओं को खतरा किससे है?
यूपी चुनाव के दौरान रैलियों में कहानियां सुनाई जा रही थीं कि
बिहार का लाल सूरत नौकरी करने जाता है तो उसकी मां बहुत डरती है क्योंकि रास्ते
में यूपी पड़ता है. अब वे दिन आ गए हैं यूपी की माएं हाथ जोड़कर जिंदगी और न्याय
के लिए गिड़गिड़ा रही हैं.
अब 4 साल में हुई साधुओं की हत्या की बात कर लीजियेगा-
उत्तर प्रदेश में रावण
राज में साधुओं की हत्याओं का अंबार है!
प्रयागराज में आशीष
गिरि सुसाइड केस-17 नवंबर
2019
औरैया का ट्रिपल
मर्डर: 14 अगस्त 2018
बुलंदशहर में गला
रेता गया: बुलंदशहर के अनूपशहर थाना क्षेत्र में 28 अप्रैल 2020 को मंदिर में
सो रहे साधु गरीबदास उर्फ जगनदास व शेर सिंह उर्फ सेवादास
07 अप्रैल 2017: गोसाईगंज थाना क्षेत्र में मनोहर दास (50)
की बेरहमी से हत्या। पुजारी के सर, पेट,
सीना व गुप्तांग पर वार किया गया था।
20 जून 2017: कुशीनगर पडरौना कोतवाली क्षेत्र के बेतिया गाँव
में स्थित शिव मंदिर के पुजारी जय प्रकाश व उनकी पत्नी की गला काटकर हत्या।
14 जुलाई 2018: मेरठ के भगवानपुर क्षेत्र के अब्दुल्लापुर में
साधु क्रांति प्रसाद की पीट-पीटकर हत्या की गई।
18 जुलाई 2018: पीलीभीत में बाबा लाल गिरी की हत्या हुई।
19 अगस्त 2018: मेरठ में पुजारी विनोद व सेवादार सुल्तान की
हत्या।
31 अगस्त 2018: पीलीभीत जिला स्थित ग्राम भूड़ कोनी दीनारपुर
स्थित शिव मंदिर के पुजारी रामेश्वर दयाल (65) की गला रेत कर
हत्या।
31 अगस्त 2018: बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र में थालकला
गांव के बाहर काले पहाड़ बाबा मंदिर के पुजारी शमशेर सिंह (65) की धारदार हथियार से हत्या।
13 अगस्त 2018: सुल्तानपुर के पयागीपुर में स्थित पहलवान वीर
बाबा मंदिर के पुजारी श्यामलाल (75) की मंदिर परिसर में
पीट-पीटकर हत्या।
12 अगस्त 2018: अलीगढ़ जिला के शेखूपुर सटकना में शिव मंदिर के
महंत कालिदास, मंदिर में पुजारी सोनपाल और महेंद्र उर्फ
बड़ेल की हत्या।
02 जनवरी 2019: रायबरेली के ऊंचाहार में राम जानकी मंदिर के
पुजारी बाबा प्रेमदास का शव मंदिर के बाहर फांसी पर लटका मिला।
14 जून 2019: मथुरा में एक साधु की हत्या ।
28 अक्टूबर 2019: मुरादाबाद में साधु राजेंद्र गिरि की हत्या।
18 जनवरी 2020: चित्रकूट में महंत अर्जुनदास की हत्या।
25 फरवरी 2020: पीलीभीत में पुजारी विष्णु सहाय की हत्या।
25 अप्रैल 2020: गोरखपुर के बुजारी कोईल दास की हत्या।
14 जुलाई 2020: मेरठ में सेवादार की हत्या।
01 सितंबर 2020: हदरोई में साधु हीरादास, साध्वी मीरा दास व उनके बेटे चेतराम की हत्या।
06 सितंबर 2020: कन्नौज में साधु शालिग्राम की हत्या।
24 सितंबर 2020: बागपत टीकरी में साधु की हत्या।
24 सितंबर 2020: मेरठ की सरधना गंग नहर में साधु वेशभूषा वाले
युवक का शव मिला।
09 सितंबर 2020: बिजनौर के ग्राम पहाड़पुर खुर्द में मंदिर
परिसर में सो रहे योगानंद महाराज की संदिग्ध परिस्थिति में मौत।
05 अक्टूबर 2020: मथुरा में साधु कैलाश नाथ की हत्या।
10 अक्टूबर 2020: गोंडा में इटियाथोक में रामजानकी मंदिर के
महंत सम्राट दास की गोली मारकर हत्या।
11 अक्टूबर 2020: गोंडा में रामजानकी मंदिर के पुजारी बाबा
सम्राट दास की गोलीमारकर हत्या।
09 अक्टूबर 2020: बागपत में यमुना नदी में साधु वेशभूषा वाले
अधेड़ शव मिला।
05 दिसंबर 2020: गोरखपुर के हरपुर बुदहट में साधु ललई की गला
रेतकर हत्या।
04 अप्रैल 2021: गोरखपुर के चौरीचौरा में साधु परोरा की सिर
कुचलकर हत्या।
26 जून 2021: बिजनौर में गांव उमरी में मां काली मंदिर के पुजारी दयानंद गिरि की
पीटपीट कर हत्या।
29 जून 2021: मेरठ के मुंडाली के बढ़ला गांव में साधु चंद्रपाल की ईंट से कुचलकर
हत्या।
15 जुलाई 2021: बुलंदशहर के बुगरासी चौकी के गांव बुकलाना में
चामुड़ा मंदिर की साध्वी की गला दबाकर हत्या।
24 जुलाई 2021: गोरखपुर के मकरहट स्थित रामजानकी मंदिर के
साधु राजेंद्र बाबा की संदिग्ध हालात में मौत।