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अमेरिका के दीवाने भारतीय के पूंजीपति और विधार्थी? Indian capitalists and students crazy about America?

 डॉ. भूपेन्द्र मायचा 

अमेरिका के दीवाने भारतीय के पूंजीपति और विधार्थी?

अमेरिका के दीवाने भारतीय के पूंजीपति और विधार्थी?

हम भारत में ना पूंजीपति रोक पाए और न विधार्थी, अवसर ही नहीं बना पाए और न ही भविष्य में कोई ठोस आश्वासन दे पाए. उलटे भारत के संसाधनों पर पैदा और विकसित हुए भारतीय नागरिक देश की नागरिकता ही छोड़ भागे.

 अमेरिका राष्ट्रपति ट्रम्प भारत की अर्थव्यवस्था को मरी हुई क्यों बता रहें हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान भारतीय लोगों के बल को कम करके बताना है. लेकिन इसके पीछे कोई तो कारण होंगे, जो वे ऐसा कहने के लिए बाध्य हुए हैं. इसका एक बड़ा कारण भारत के क्रीम नागरिक अमेरिका में बसना चाहते हैं. यहाँ के विद्यार्थी तो पागलपन की स्थिति में जा पहुंचे हैं या यहाँ की सरकारों के पास शिक्षा के लिए कोई दृष्टि बची ही नहीं है, जिस पर इन विधार्थियों को और इनके माँ-बाप को कोई भरोसा नहीं बचा है?

अब केवल अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों का डाटा देखिये.................

प्यू रिसर्च सेंटर (2024) के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के लगभग 48 लाख (4.8 मिलियन) लोग रहते हैं।  वहीँ भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (मई 2024) के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या करीब 54 लाख (5.4 मिलियन) है, जिसमें गैर-निवासी भारतीय (NRI) और भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) शामिल हैं। यह अमेरिकी जनसंख्या (345 मिलियन) का लगभग 1.6% है।

यह अमेरिकी आबादी का 1.3% है और मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। आधे से ज्यादा भारतीय मूल के लोग चार राज्यों में रहते हैं: कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यू जर्सी, और न्यूयॉर्क। भारतीय प्रवासी अमेरिका में शिक्षा, रोजगार, और प्रेषण (रेमिटेंस) के प्रमुख स्रोत हैं। 2017 में, अमेरिका से भारत को $10.657 बिलियन अर्थात 94,000 करोड़ रूपया विदेशी मुद्रा  प्राप्त हुई। कितने कमाल की बात है कि दुनिया की बड़ी कम्पनियों यथा माइक्रोसॉफ्ट के 34%, नासा के 36%, और अमेरिका में 38% डॉक्टर भारतीय मूल के हैं। क्या इन योग्य लोगों के लिए भारत में अवसर नहीं पैदा किये जा सकते हैं, जो ये अमेरिका में नौकरी करने को बाध्य हैं?

भारत के कितने पूंजीपति अमेरिका में बस गए और उनका आर्थिक प्रभाव (साइज़) क्या है? इस सवाल को देखें तो पायेंगे कि  विशेष रूप से टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप क्षेत्र में देखे तो भारतीय-अमेरिकी पूंजीपतियों का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव इसी क्षेत्र में है।

2022 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों की कुल आबादी लगभग 48 लाख है। इनमें से लगभग 10-15% लोग स्व-नियोजित (self-employed) या व्यवसायी हैं, जो उद्यमिता का संकेत देता है। इसका मतलब है कि 4.8 लाख से 7.2 लाख भारतीय-अमेरिकी उद्यमी हो सकते हैं।

टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप क्षेत्र :- सिलिकॉन वैली में 15-20% स्टार्टअप्स में भारतीय-अमेरिकी संस्थापक या सह-संस्थापक हैं। इसका अनुमान है कि हजारों भारतीय-अमेरिकी उद्यमी टेक स्टार्टअप्स में सक्रिय हैं। उदाहरण के तौर पर विनोद खोसला (Khosla Ventures), रोमेश वाधवानी (Symphony Technology Group), और राम श्रीराम (Sherpalo Ventures) जैसे निवेशक और उद्यमी हैं।

दुनिया की अरबपति पूंजीपति सूची: फोर्ब्स की 2024 की अरबपतियों की सूची के अनुसार, कुछ भारतीय-अमेरिकी अरबपति अमेरिका में बसे हैं, जैसे जय चौधरी (Zscaler के सीईओ, नेट वर्थ ~$8.8 बिलियन), विनोद खोसला (वेंचर कैपिटलिस्ट, नेट वर्थ ~$7 बिलियन), रोमेश वाधवानी (नेट वर्थ ~$5.1 बिलियन) कुल मिलाकर, भारतीय-अमेरिकी अरबपतियों की संख्या 10-20 के बीच है, जो अमेरिका में बसे हैं। सीईओ और कॉर्पोरेट लीडर में भारतीय मूल के कई लोग, जैसे सत्या नडेला (Microsoft), सुंदर पिचाई (Google), और अरविंद कृष्णा (IBM), अमेरिका में बसे हैं और कॉर्पोरेट पूंजीपति के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय-अमेरिकी वेंचर कैपिटलिस्ट्स ने सैकड़ों स्टार्टअप्स में अरबों डॉलर का निवेश किया है। उदाहरण के लिए, Khosla Ventures का पोर्टफोलियो $15 बिलियन से अधिक का है।

भारतीय-अमेरिकियों की औसत घरेलू आय $123,700 (2022) है, जो अमेरिका में सर्वाधिक है। पूंजीपतियों की संपत्ति (विशेष रूप से अरबपतियों की) सैकड़ों अरब डॉलर में हो सकती है। भारतीय-अमेरिकी उद्यमी अमेरिका में लाखों नौकरियां पैदा करते हैं, खासकर टेक और हेल्थकेयर क्षेत्रों में। अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीय-अमेरिकी स्टार्टअप्स का कुल वैल्यूएशन खरबों डॉलर में है।

1. विनोद खोसला: Khosla Ventures के संस्थापक, जिन्होंने Square, Instacart, और DoorDash जैसी कंपनियों में निवेश किया।

2. जय चौधरी: Zscaler के संस्थापक, साइबरसुरक्षा में अग्रणी।

3.रोमेश वाधवानी: Symphony Technology Group के संस्थापक, प्राइवेट इक्विटी में सक्रिय।

4. सुंदर पिचाई और सत्या नडेला: कॉर्पोरेट नेतृत्व में योगदान, जिनकी कंपनियों का मार्केट कैप ट्रिलियन डॉलर से अधिक है।

हजारों भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और पूंजीपति अमेरिका में बसे हैं, जिनमें 10-20 अरबपति और कुछ दर्जन कॉर्पोरेट लीडर शामिल हैं। अमेरिका में इनका योगदान खरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था, लाखों नौकरियों, और सैकड़ों यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के रूप में है, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी क्षेत्र में।

रियल एस्टेट क्षेत्र में भारतीय-अमेरिकी पूंजीपतियों का प्रभाव:-

भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने अमेरिका के रियल एस्टेट क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है, विशेष रूप से आवासीय, वाणिज्यिक, और आतिथ्य (हॉस्पिटैलिटी) क्षेत्रों में।

होटल और आतिथ्य उद्योग:- भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी अमेरिका के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में अग्रणी हैं। एशियन अमेरिकन होटल ओनर्स एसोसिएशन (AAHOA) के अनुसार, भारतीय-अमेरिकी 60% से अधिक अमेरिकी मोटल्स और छोटे होटलों के मालिक हैं। इसका मतलब है कि लगभग 22,000 होटल  (जिनमें मिड-स्केल और इकोनॉमी होटल शामिल हैं) भारतीय-अमेरिकियों के स्वामित्व में हैं, जिनकी कुल वैल्यूएशन $40 बिलियन से अधिक है।

आवासीय और वाणिज्यिक रियल एस्टेट:- भारतीय-अमेरिकी डेवलपर्स और निवेशक सिलिकॉन वैली, न्यूयॉर्क, और न्यू जर्सी जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वे बड़े पैमाने पर आवासीय परियोजनाओं, कार्यालय परिसरों, और शॉपिंग सेंटरों में निवेश करते हैं।

निवेश प्रवाह:- भारतीय-अमेरिकी पूंजीपति रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट्स (REITs) और निजी इक्विटी फंड्स के माध्यम से निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए, सीबीआरई की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में रियल एस्टेट क्षेत्र में इक्विटी निवेश बढ़ रहा है, और भारतीय-अमेरिकी निवेशक इस रुझान का हिस्सा हैं।

प्रमुख पूंजीपति:---

हसु शाह और जे. डी. पटेल: AAHOA के संस्थापक और प्रमुख नेता, जिन्होंने भारतीय-अमेरिकियों को होटल उद्योग में संगठित किया। वे सैकड़ों होटलों के मालिक हैं और उद्योग में नीतिगत बदलावों को प्रभावित करते हैं।

संजय सेठी: रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी निवेशक, जो न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में लक्जरी होटल और आवासीय परियोजनाओं में सक्रिय हैं।

अनिल अग्रवाल:-रियल एस्टेट डेवलपमेंट में निवेश करने वाले भारतीय-अमेरिकी उद्यमी, जिन्होंने सिलिकॉन वैली में कई वाणिज्यिक परियोजनाओं में योगदान दिया है।

भारतीय-अमेरिकी होटल मालिक और रियल एस्टेट डेवलपर्स ने लाखों नौकरियाँ सृजित की हैं, विशेष रूप से सेवा क्षेत्र में। भारतीय-अमेरिकी स्वामित्व वाले होटलों का वार्षिक राजस्व $15 बिलियन से अधिक है। रियल एस्टेट निवेश (होटल, आवासीय, और वाणिज्यिक) का कुल मूल्य सैकड़ों अरब डॉलर में है। भारतीय-अमेरिकियों ने रियल एस्टेट में सामुदायिक संगठन और नीतिगत पैरवी के माध्यम से अपनी स्थिति मजबूत की है। AAHOA जैसे संगठन नीतियों को प्रभावित करते हैं और निवेशकों को संसाधन प्रदान करते हैं।

हेल्थकेयर क्षेत्र में भारतीय-अमेरिकी पूंजीपतियों का प्रभाव...............................

भारतीय-अमेरिकी समुदाय का हेल्थकेयर क्षेत्र में प्रभाव चिकित्सा, बायोटेक्नोलॉजी, और हेल्थकेयर स्टार्टअप्स के माध्यम से देखा जा सकता है।

चिकित्सक और विशेषज्ञ: 9% अमेरिकी चिकित्सक भारतीय मूल के हैं, जो लगभग 60,000 डॉक्टर्स के बराबर है। ये चिकित्सक न केवल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं, बल्कि कई ने हेल्थकेयर व्यवसाय और स्टार्टअप्स की स्थापना की है।

बायोटेक्नोलॉजी और फार्मा: भारतीय-अमेरिकी उद्यमी बायोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स और फार्मास्युटिकल कंपनियों में अग्रणी हैं। उदाहरण के लिए, विनोद खोसला** ने हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी में निवेश किया है, जैसे कि डिजिटल हेल्थ और डायग्नोस्टिक्स स्टार्टअप्स।

हेल्थकेयर स्टार्टअप्स: सिलिकॉन वैली में कई हेल्थकेयर स्टार्टअप्स, जैसे Color Genomics और Evidation Health, भारतीय-अमेरिकी संस्थापकों या निवेशकों द्वारा समर्थित हैं।

प्रमुख पूंजीपति:-

डॉ. प्रेम रेड्डी: Prime Healthcare के संस्थापक, जो अमेरिका में 40 से अधिक अस्पतालों का संचालन करते हैं। उनकी कंपनी की वैल्यूएशन $2 बिलियन से अधिक है।

किरण मजूमदार-शॉ: हालाँकि भारत में आधारित, उनकी कंपनी Biocon अमेरिका में बायोटेक्नोलॉजी निवेश और अनुसंधान में सक्रिय है, और कई भारतीय-अमेरिकी निवेशकों के साथ सहयोग करती है।

भारतीय-अमेरिकी हेल्थकेयर उद्यमियों और निवेशकों ने अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न किया है। Prime Healthcare जैसे नेटवर्क का वार्षिक राजस्व $1 बिलियन** से अधिक है। भारतीय-अमेरिकियों ने डिजिटल हेल्थ, टेलीमेडिसिन, और डायग्नोस्टिक्स में नवाचार को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, Ro (टेलीहेल्थ) और Zocdoc जैसे प्लेटफॉर्म में भारतीय-अमेरिकी निवेशकों की भूमिका रही है। हेल्थकेयर क्षेत्र में भारतीय-अमेरिकी उद्यमियों ने हजारों नौकरियाँ सृजित की हैं, विशेष रूप से अस्पतालों और क्लीनिकों में।

भारतीय-अमेरिकी निवेशक और बैंकर, जैसे विक्रम पंडित (पूर्व Citigroup CEO), वित्तीय क्षेत्र में प्रभावशाली हैं।  भारतीय-अमेरिकी पूंजीपति शिक्षा और परोपकारी कार्यों में भी सक्रिय हैं, जैसे रोमेश वाधवानी की AI और शिक्षा पर केंद्रित पहल।

भारतीय-अमेरिकी 60% से अधिक अमेरिकी मोटल्स और होटलों के मालिक हैं, जिनका आर्थिक प्रभाव $40 बिलियन से अधिक है। वे आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं में भी सक्रिय हैं। 9% अमेरिकी चिकित्सक भारतीय मूल के हैं, और उद्यमी जैसे डॉ. प्रेम रेड्डी ने अरबों डॉलर की हेल्थकेयर कंपनियाँ स्थापित की हैं। भारतीय-अमेरिकी पूंजीपतियों का आर्थिक योगदान **खरबों डॉलर** में है, जो रोजगार, नवाचार, और नीतिगत प्रभाव के माध्यम से प्रकट होता है।

शिक्षा को देखें तो

कुछ सवाल :-

1.     क्या नए शिक्षा के केंद्र बनाने के लिए सरकार के पास कोई नियत या धन नहीं है?

2.     क्या नयी जरूरतों के लिए वैश्विक स्तर के तकनीक और शोध केंद्र स्थापित करने हेतु कोई भावी रणनीति है ही नहीं?

3.     क्या स्कूल और कॉलेज बनाने से देश को बचना चाहिए ?

4.     क्या शिक्षा और शोध में लगाया जाने वाला पैसा बर्बादी पैदा करता है, तो शिक्षा बजट क्यों नहीं बढ़ाती सरकार?

5.     क्या अमेरिका-यूरोप और चीन जैसे तकनिकी संस्थान बनाने से पीछा हटना हमारी सरकार की कोई विशिष्ट रणनीति हो सकती है?

6.     क्या विदेशी में पढने के लिए भारत के युवाओं को  लाखों करोड़ रूपया के शिक्षा ऋण (लोन) देना होशियारी हो सकती है?

7.     अमेरिका-यूरोप-ऑस्ट्रेलिया में लाखों छात्र क्यों पढ़ते हैं?

8.     क्या भारत में प्राइवेट शिक्षा के खुले संस्थान आधुनिक शिक्षा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं?

9.     क्या शिक्षा संस्थानों में पढ़ायें जाने वाले पाठ्यक्रम दुनिया के संस्थानों से मुकाबला करने में सक्षम हैं?

सवाल बहुत हैं परसरकारों के कुकर्मों और मूंढ बुद्धि को देखकर लगता हैं,  उत्तर नहीं मिलेंगे............

अब अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या को देखें...............

ओपन डोर्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 शैक्षणिक वर्ष में अमेरिका में 3,31,146 भारतीय छात्र पढ़ रहे थे, जो पिछले वर्ष (2,68,923) की तुलना में 23% अधिक है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। 2022-23 में यह संख्या 2,68,923 थी, और 2021-22 में 1,99,182 थी। यह भारतीय छात्रों की संख्या में लगातार वृद्धि को दर्शाता है। भारतीय छात्र अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह हैं, जो कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों (10,55,600) का लगभग 31% हैं। चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा स्रोत देश है। ये छात्र वहां स्नातक (Undergraduate) में 33,753, स्नातकोत्तर (Graduate) में 1,98,852 (सबसे बड़ा समूह) ऑप्ट (Optional Practical Training) में 85,103 और गैर-डिग्री (Non-Degree) कार्यक्रमों में 2,438 हैं। भारतीय छात्रों में STEM (Science, Technology, Engineering, and Mathematics) विषय सबसे लोकप्रिय हैं, खासकर कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग, और डेटा साइंस। क्या हम इनके लायक स्टेम सेंटर नहीं बना सकते हैं, जहाँ विदेश से प्रोफ़ेसर बुलाकर यहाँ सस्ते में पद्य जा सके?

भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2023-24 में, अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $40.1 बिलियन का योगदान दिया, जिसमें भारतीय छात्रों का बड़ा हिस्सा था। इसका 31% हम थे, जिसका मतलब है कि 12 से 15 बिलियन अर्थात 1.2 लाख करोड़ रूपया हमने खर्चा किया है।

 

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