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कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों के हिमायती मुलायमसिंह यादव

मुलायमसिंह यादव
नेताजी मुलायमसिंह यादव 


माननीय नेता जी की सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के भार को कम करने के लिए कृषि संबद्ध कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन दिया. उनका मानना था कि कुछ कृषि जनित उद्योग ऐसे हैं, जो गांव में रहकर भी सफलतापूर्वक चलाए जाते हैं जैसे रस्सी की बटाई, मिट्टी के बर्तन बनाना, लोहारगिरी, मछली पालन, नाई, बढ़ईगिरी के काम करना, फर्नीचर निर्माण आदि के अंतर्गत बहुत सारी सुविधाओं को ग्रामीण स्तर पर सृजित किया जाना. इन सभी को लेकर के नेताजी का स्पष्ट दृष्टिकोण था कि यदि कुटीर और ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन और सुविधाएं देकर गांव-गांव में स्थापित कर दिया जाए तो एक और ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त होगा तथा दूसरे जनसंख्या की कृषि पर निर्भरता कम होगी.

 

1.  वर्ष 1993-94 में निगम द्वारा प्रदेश में गेहूं, चना, दलहन, तिलहन आदि की प्रमुख फसलों के 5,64,000 कुंतल प्रमाणित बीजों का वितरण किया गया. जिससे किसानों को उन्नत और उच्च उत्पादकता वाले बीजों की प्राप्ति हुई, जिससे किसानों को बेहतर उपज के कारण आर्थिक लाभ प्राप्त हुए.

2.  जायद की फसल के अंतर्गत 1994 द्वारा निगम द्वारा सूरजमुखी के 2759 कुंतल, मूंग के 2050 कुंतल और मक्का का 405 कुंतल बीज कृषकों को आवंटित किए गए. जिससे किसानों को उन्नत और उच्च उत्पादकता वाले बीजों की प्राप्ति हुई, जिससे किसानों को बेहतर उपज के कारण आर्थिक लाभ प्राप्त हुए.

3.  वर्ष 1994 में रवि की फसल में 6,08,002 कुंतल गेहूं, दलहन और तिलहन आदि प्रमुख फसलों के बीजों का प्रदेश के किसानों में वितरण किया गया. जिससे किसानों को उन्नत और उच्च उत्पादकता वाले बीजों की प्राप्ति हुई, जिससे किसानों को बेहतर उपज के कारण आर्थिक लाभ प्राप्त हुए.

4.  खरीफ की फसल 1994 में ही 1,43,601 कुंतल धान, 10,912 कुंतल सोयाबीन तथा 10000 कुंतल अन्य फसलों के प्रमाणित बीज किसानों को उपलब्ध कराए गए. जिससे किसानों को उन्नत और उच्च उत्पादकता वाले बीजों की प्राप्ति हुई, जिससे किसानों को बेहतर उपज के कारण आर्थिक लाभ प्राप्त हुए.

5.  मंडी परिषद के द्वारा 100 करोड रुपए लागत से उपकर के माध्यम से एक निधि स्थापित की गई. जिससे कृषि क्षेत्र में विकास एवं अनुसंधान में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं को व्यापक स्तर पर वित्तीय स्रोत उपलब्ध कराए गए.

6.  कृषकों को कृषि निवेश की बढ़ती कीमतों से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से फास्फेटिक एवं पोटाश युक्त उर्वरकों पर से व्यापार कर समाप्त कर दिया गया. इससे किसान ने केवल कम लागत पर उर्वरक का प्रयोग कर सकेंगे बल्कि संतुलित उर्वरक के प्रयोग को भी प्रोत्साहन मिला.

7.  फसलों की आधुनिक कृषि तकनीक को किसान के खेत के स्तर पर अपनाने हेतु किसान सहायकों द्वारा प्रशिक्षण एवं संपर्क योजना के अंतर्गत प्रदेश के संपूर्ण मैदानी क्षेत्र में कार्यक्रम चलाए गए.

 

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