माननीय
नेताजी कृषि की पैदावार बढ़ाने से संबंधित दृष्टिकोण को लेकर स्पष्ट रुख रखते थे.
वह कृषि की पैदावार बढ़ने से उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ने
और अंततः उद्योग धंधों की प्रगति होने को लेकर एकदम स्पष्ट रवैया रखते थे. इसके
साथ ही कृषि की पैदावार बढ़ने से देश की 80 फ़ीसदी
जनसंख्या की खरीदने की क्षमता में भी वृद्धि होती है और जिसके कारण औद्योगिक
उत्पादों के बाजार में वृद्धि होगी और अंततः उद्योगों को इससे लाभ प्राप्त होगा
इसके साथ ही युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा.
मुख्यमंत्री के
रूप में श्री मुलायम सिंह यादव जी का आर्थिक चिंतन पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों से अलग
रहा. उन्होंने ग्राम में विकास से आर्थिक विकास की परिकल्पना की थी. उनके विचार से
यदि हम अपने ग्रामों को तथा ग्रामीण जनता को समृद्ध बना लेंगे तो प्रदेश में
आर्थिक समानता आते देर नहीं लगेगी. किंतु यदि आर्थिक विकास का लक्ष्य केवल
महानगरों के बड़े उद्योग ही रहे तो अर्थव्यवस्था की सफलता में संदेह बना रहेगा. नेता
जी मुलायम सिंह के आर्थिक चिंतन का सर्वाधिक प्रबल पक्ष यह है कि उन्होंने
निर्धनता को अपने बचपन से ही काफी निकट से देखा है. उन्होंने अपनी आर्थिक नीतियों
में सर्वप्रथम उन क्षेत्रों को चुना, जो शिक्षा एवं निर्धनता के प्राथमिक कारण थे.
उनका मानना था कि उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य की आर्थिक समृद्धि का
रास्ता गांव-किसानों एवं खेतिहर मजदूरों से ही निकलेगा. इन ग्रामीण किसानों और
दलित-पिछड़ों की स्थिति में सुधार किए बिना उत्तर प्रदेश का विकास संभव नहीं है.
उन्होंने इसी के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश में भारी उद्योगों पर पर्याप्त ध्यान देने
के बजाय उनके आर्थिक चिंतन का मुख्य केंद्र लघु-कुटीर और मध्यम स्तर के उद्योग रहे.
जो एक और तो ग्रामीण परिवेश से सीधे जुड़े रहे और साथ ही प्रत्यक्ष रूप से
ग्रामीणों-पिछडो-दलितों और गरीबों की जरूरतों को सीधे तौर पर खपत करने के लिए जोड़ सकें.
नेताजी के अनुसार विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
का दबाव देश पर बढ़ता जा रहा है. नेताजी ने विशेष रूप से उस समय के डंकल प्रस्ताव को
देश की आर्थिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला और इसके द्वारा आत्मनिर्भर भारतीय कृषि को
दास बनाने का प्रयास माना था. डंकल प्रस्ताव के अनुपालन में उन्नत बीज के नाम पर
केवल विदेशी कंपनियों के पेटेंट बीज खरीदना तथा भारतीय खपत का 23 फ़ीसदी विदेशी अनाज आयात करना अनिवार्य था. इसके
अंतर्गत कृषि उत्पादन पर मिलने वाली सरकारी अनुदान को समाप्त करने की योजना थी.
जिससे भारतीय कृषि को सदा के लिए विदेशी पूंजी के अधीन हो जाने का खतरा नेताजी
देखते थे. श्री मुलायमसिंह यादव का हमेशा से मानना है कि आर्थिक नीति का निर्माण
विदेश दबाव में नहीं होना चाहिए. वे विकास नीतियों में स्वावलंबन पर जोर देते हुए
सीमित साधनों में जीवन यापन का समर्थन करते हैं.
नेताजी ने अपनी
सरकार की कृषि नीति का निरूपण करते हुए कहा था कि देश के विकास में सबसे अहम
भूमिका कृषि और कृषकों की है. इसलिए आर्थिक विकास हेतु समाजवादी सरकार की
प्राथमिकता में सबसे पहले कृषि, उसके बाद कुटीर एवं लघु उद्योग और अंत में भारी
उद्योग होंगे, उनके अनुसार कृषि उत्पादन में वृद्धि तभी संभव है. जब उत्पादन के
तीनों कारक भूमि, श्रम और पूंजी में से किसी एक की मात्रा में वृद्धि की जाए तथा
कृषि में नवीन तकनीकों का प्रयोग किया जाए. उनका मानना था कि भूमि का आकार घट रहा
है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है. भारत जैसे युवा देश में श्रम प्रचुर मात्रा में
उपलब्ध है और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग तथा श्रम शक्ति से खेती को समृद्ध किया जा
सकता है. कृषि क्षेत्र से ज्यादा आय प्राप्त हो और इससे पूरे देश का जीवन स्तर
ऊंचा उठेगा.
नेताजी ने कृषि और
कृषकों की समस्याओं के निराकरण हेतु गंभीरता से चिंतन किया. वे एक सामान्य कृषक
परिवार से आते हैं और कृषकों की समस्याओं को समझने में सक्षम है. इसलिए समस्याओं
के निदान हेतु उन्होंने अनेक कदम उठाए.
मुख्यमंत्री के रूप में नेताजी श्री मुलायमसिंह यादव ने
उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास हेतु कृषि पर सर्वाधिक ध्यान दिया. उनके अनुसार उत्तर
प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है. अतः कृषि की उपेक्षा करके आर्थिक विकास का
मार्ग प्रशस्त नहीं किया जा सकता. इसका एक दूसरा कारण यह भी है कि उत्तर प्रदेश के
निवासियों का एक बड़ा भाग कृषि के साथ संबंध है. कृषि के विकास के बिना कृषि पर
आश्रित उत्तर प्रदेश के निवासियों-ग्रामीण जनता का विकास भी संभव नहीं होगा. कृषि
की प्रमुख समस्याओं जैसे कृषि योग्य भूमि का विकास करने, परंपरागत कृषि पद्धतियां,
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की समस्याओं का समाधान किया जाना, फसलों का
उचित मूल्य प्रदान किया जाना, मंडी व्यवस्था में सुधार, प्राकृतिक आपदाओं का
निराकरण कराया गया. कृषि और किसानों के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास अग्रलिखित
हैं.
कृषि और किसान उत्थान हेतु कार्यक्रम-योजना-परियोजनाएँ-
1.
49 लाख 66 हजार कृषकों को 1000 करोड
रुपए से अधिक के सस्ते दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराये गए.
2.
कृषकों
के बिजली बिलों को माफ करके निजी नलकूपों के करीब 200 करोड़ रूपया के बिजली माफ किए. जो आज के समय में हजारों करोड़ रूपया के बराबर थे.
3.
कृषकों
को वरीयता में रखने के क्रम में नेता जी ने ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई हेतु 14 घंटे नियमित विद्युत आपूर्ति के लिए काम किया था. जो उस समय काल में एक विशिष्ट प्रयासों के रूप में देखे जाने की जरुरत
है.
4.
नेता
जी के द्वारा अपने लघु मुख्यमंत्री काल में पिछड़े जिलों में 643 नए राजकीय नलकूपों को लगवाने का काम किया था,
साथ ही इन्हें वरीयता के आधार पर बिजली की आपूर्ति की सुचारू व्यवस्था भी की गयी
थी. सिंचाई हेतु खराब नलकूपों को ठीक करने का अभियान चलाकर नेता जी की सरकार ने नलकूपों
की कार्यक्षमता को शत-प्रतिशत तक इस्तेमाल करने का काम कराया था, जो पूर्ववर्ती
सरकारों के काल में 10% से भी ज्यादा ख़राब रहते थे.
5.
नेता
जी की सरकार ने लघु सिंचाई कार्यक्रम के अंतर्गत निशुल्क बोरिंग के लिए धन आवंटन
करने का काम कराया था.
6.
नेता
जी की सरकारों ने खाद, बीज और सिंचाई हेतु बहुत सी सुविधाएँ देने का काम किया था.
7.
नेताजी
ने भारत के सभी प्रदेशों से सबसे सस्ते मूल्य पर उत्तर प्रदेश के किसानों को
उर्वरक देने का काम किया था.
8.
नेताजी
की सरकार ने गन्ने की खरीद में भारी वृद्धि की थी. पिछले वर्ष की तुलना में 3 रूपया/कुंटल की वृद्धि की, जिससे 29 लाख गन्ना किसान ब्वंधू लाभान्वित हुए. यह 3 रूपया की वृद्धि आज के 60
रूपया के बराबर है.
9.
नेताजी
की सरकार ने गन्ना किसानों को चीनी मिल से गन्ना मूल्य भुगतान समय से सुनिश्चित
कराने का काम किया था. उन्होंने पेराई सत्र में 1256 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान कराया था. जो
पूर्व के वर्षों से 2 गुणा भुगतान किया गया था.
10.
उत्तर
प्रदेश की 76 चीनी मिलों के विस्तारीकरण, पुनर्वासन एवं आधुनिकीकरण के कार्य कराए
गए थे. एक लाख 20,000 टन गन्ना पेराई क्षमता/प्रतिदिन
की क्षमता का अतिरक्त सृजन करने का काम किसान हितैषी धरतीपुत्र नेता जी की सरकार
के समय कराया गया था.
11.
उत्तर
प्रदेश के दलित-पिछड़े-गरीब-आदिवासी वर्ग के लगभग 52,000 भूमिहीनों को भूमि के पट्टे आवंटित करके
मुख्य धारा में लाने का काम किया गया.
12.
नेताजी
ने अल्प संसाधनों के होने के बावजूद उस पुराने समय में एक लाख से अधिक परिवारों को
आवास आवंटित करना का काम किया गया था.
13.
दैवीय
आपदा के समय 90 करोड़ रूपया से राहत निधि स्थापित करके ओलावृष्टि से हुए फसलों के
नुकसान पर आपदा के मारे काश्तकारों को 300 रूपया प्रति एकड़ की राहत प्रदान करने का काम
किया गया था.
14.
कृषि
क्षेत्र में शोध कार्यो को संपादित करने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद का
गठन किया गया.
15.
नेताजी
ने अपने दूसरे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के 80 फ़ीसदी से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर सिंचाई
हेतु 16 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम किया
था.
16.
नेताजी
की सरकारों ने सभी नहर-रजवाहे और छोटी नहर के माध्यम से किसान के अंतिम खेत तक सिंचाई
के लिए निशुल्क पानी पहुंचाने का काम किया गया.
17.
नेताजी
की सरकार ने गन्ना किसानों को गन्ने का बेहतर मूल्य प्रदान करने का काम किया गया और
अपने कार्यकाल में गन्ना मूल्य का समय से शत-प्रतिशत भुगतान कराने का काम किया.
18.
नेताजी
की सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गेहूं,
धान और मोटे अनाजों को प्रदेश के बाहर भेजने पर लगा प्रतिबंध हटाने का काम किया था
.
19.
नेताजी
ने ही मंडी-समितियों में किसानों एवं व्यापारियों के प्रतिनिधियों की भी जगह
सुनिश्चित करने का काम किया था और इसके लिए मंडी समितियों पर कई दशकों के प्रशासनिक
नियंत्रण को समाप्त करके किसानों को हिस्सेदारी देने का काम किया था.
20.
कृषि
कार्य करते हुए किसानों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं के कारण कई बार घर के कमाने
वाले व्यक्ति के दुर्घटनाग्रस्त होने से कृषक परिवार आर्थिक संकट में आ जाता है.
जिसे दूर करने के लिए किसान बंधुओं के लिए धरतीपुत्र श्री मुलायमसिंह ने ‘खलिहान
दुर्घटना बीमा योजना’ आरंभ की गई.
21.
धरतीपुत्र
श्री मुलायमसिंह जी ने अपनी समाजवादी सरकार के शासन काल में निजी नलकूपों के
विद्युत बकाया पर अधिभार माफ करने का निर्णय लिया गया. इससे कुल मिलाकर किसानों बंधुओं
को 70,00,00,000/- रूपया की राहत देने
का काम किया था.
22.
उत्तर
प्रदेश में ‘गन्ना खरीद केंद्रों’ पर किसानों से गन्ना ढुलाई के लिए ली जाने वाली
कटौती 3 रू/कुंतल
से घटाकर 2 रू. प्रति कुंतल करने का काम किया गया था, जो आज
के मूल्य में 20 रू के बराबर बैठती है.[1]
23.
कृषि
योग्य सीमित भूमि का विस्तार किया जाना.
नेताजी की सरकार ने ऊसर
भूमि सुधार हेतु भूमि सेना का गठन किया था. कृषि के क्षेत्र में माननीय नेताजी की
सरकार ने नए अध्याय की शुरुआत की और इससे संबंधित भूमि सेना का गठन करके उत्तर
प्रदेश के 12 जनपदों में वर्ष 1994-95
में भूमि सेना का गठन किया. जिसके माध्यम से 12,000 हेक्टेयर बंजर भूमि को सुधार किया गया और इससे
करीब 45 लाख मानव दिवसों का रोजगार भी सर्जन किया गया और
इसके साथ साथ इस अतिरिक्त भूमि को कृषि योग्य बनाने के साथ इस भूमि को पट्टा के रूप
में भूमिहीन दलित-पिछड़ों कप देने का काम किया था. भूमि सेना के अंतर्गत एटा, इटावा,
अलीगढ़, मैनपुरी, हरदोई, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और फतेहपुर
जिला में उसर भूमि सुधार कार्यक्रम संचालित किए गए. नेताजी की सरकार ने यूरोपीय
आर्थिक समुदाय की सहायता से तीन अन्य जिले यथा कानपुर देहात, उन्नाव और जौनपुर में
भी ऊसर भूमि कार्यक्रम चलाए गए. नेताजी के इन कार्यक्रमों के द्वारा कृषि योग्य
भूमि के क्षेत्र में पर्याप्त वृद्धि हुई.