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भारत में किताबों पर GST 0% बदलाव से महंगी होंगी GST on books in India to become costlier with 0% change

 

भारत में किताबों पर GST 0% बदलाव से महंगी होंगी : स्पष्ट व्याख्या

भारत में हाल ही में (22 सितंबर 2025 से प्रभावी) GST सुधारों के तहत किताबों (printed books) पर GST दर को 0% (nil-rated) कर दिया गया है, जो पहले 12% थी। लेकिन इस बदलाव के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ समाप्त हो गया है, क्योंकि किताबें अब exempt supply की श्रेणी में आ जाती हैं। साथ ही, कागज (paper) पर GST दर को 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है।

 


1. पुरानी व्यवस्था (पहले 12% GST के समय)

  • किताबों पर GST: 12% (output tax)
  • कागज पर GST: 12%। पब्लिशर कागज खरीदने पर 12% GST चुकाते हैं और ITC के रूप में इसे क्रेडिट लेते हैं।
  • पब्लिशर का कुल टैक्स बोझ:
    • मान लीजिए एक किताब का उत्पादन लागत (कागज सहित अन्य इनपुट) 100 है।
    • इनपुट पर GST: 12 (12%)
    • पब्लिशर ITC से 12 का पूरा लाभ लेते हैं (क्रेडिट के रूप में adjust कर देते हैं)।
    • बिक्री मूल्य: 100 + मार्जिन (मान लें 50) = 150
    • Output GST: 150 पर 12% = 18
    • नेट टैक्स पेमेंट: 18 (output) - 12 (ITC) = 6
    • अंतिम उपभोक्ता (खरीदार) को कीमत: 150 + 18 = 168
  • निष्कर्ष: ITC के कारण cascading effect (टैक्स ऑन टैक्स) कम होता था, और कुल बोझ केवल मूल्य वर्धन पर लगभग 12% था।

2. नई व्यवस्था (अभी से 0% GST के साथ ITC समाप्त)

  • किताबों पर GST: 0% (output tax)
  • ITC का प्रभाव: चूंकि किताबें अब exempt हैं, पब्लिशर इनपुट (जैसे कागज) पर चुकाए GST का ITC नहीं ले पाएंगे। उन्हें पूरा इनपुट टैक्स खुद वहन करना पड़ेगा।
  • कागज पर GST: 18% (बढ़ा हुआ)।
  • पब्लिशर का कुल टैक्स बोझ:
    • उत्पादन लागत: 100 (कागज सहित)।
    • इनपुट पर GST: 18 (18%)
    • ITC: 0 (समाप्त, क्योंकि output exempt है)।
    • पब्लिशर को 18 का पूरा बोझ सहना पड़ेगा, जो वे लागत में जोड़ देंगे।
    • नई उत्पादन लागत: 100 + 18 = 118
    • बिक्री मूल्य: 118 + मार्जिन 50 = 168
    • Output GST: 168 पर 0% = 0
    • अंतिम उपभोक्ता को कीमत: 168 + 0 = 168+12=180
  • निष्कर्ष: इनपुट टैक्स (18) का पूरा बोझ लागत में जुड़ जाता है, जबकि पहले केवल 6 का नेट बोझ था। इसके बीच का अंतर 12 का ITC उत्पादक को मिल जाता था,जो नयी व्यवस्था में नहीं मिलेगा तो वह अपनी कीमत 12 रू बढ़ाएगा।

 


3. तुलना: किताब सस्ती होगी या महंगी?

  • पुरानी कीमत: 168
  • नई कीमत: 180।
  • प्रभाव: कीमत में 12 रू का बदलाव होगा

इस किताब की कीमत बढ़ने की वास्तविकता:

    • मार्जिन दबाव: पब्लिशर का लाभ मार्जिन कम हो जाता है (पहले 50, अब 50 - अतिरिक्त 12 का बोझ = प्रभावी 38)। अगर वे लागत वसूलने के लिए मूल्य बढ़ाएं, तो किताबें 180 की हो सकती हैं।
    • क्यों ऐसा? 0% GST से output पर राहत मिली, लेकिन ITC हटने और कागज पर 6% बढ़ोतरी से इनपुट लागत बढ़ गई। कुल मिलाकर, टैक्स बोझ पहले 6 से बढ़कर 18 हो जाने से 12 रू की कामी आती है, जो cascading effect पैदा करता है।
    • उद्योग प्रभाव: प्रकाशन उद्योग (जैसे exercise books, notebooks) पर असर पड़ेगा, क्योंकि कागज 70-80% लागत का हिस्सा है। छोटे पब्लिशर प्रभावित ज्यादा होंगे।

5. उपभोक्ताओं/व्यवसायों के लिए

  • उपभोक्ता: अभी कीमत स्थिर रह सकती है, लेकिन 1-2 महीने में बढ़ोतरी संभव। डिजिटल किताबें (e-books) पर 18% GST लागू, जो महंगी रहेंगी।
  • पब्लिशर: लागत नियंत्रण के लिए bulk खरीद या वैकल्पिक इनपुट तलाशें। GSTR-3B में ITC reconciliation सावधानी से करें।
  • अधिक जानकारी: CBIC वेबसाइट या ClearTax जैसे टूल्स से अपडेट चेक करें।

संक्षेप में, किताबें महंगी होंगी।  ITC हटने और कागज महंगे होने से।

 

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