अनपरा ‘डी’ विद्युत परियोजना की 500-500 मेगावाट क्षमता
भविष्य को बेहतर बनाने के
लिए उत्तर प्रदेश के दूरदर्शी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश
यादव ने 31 मार्च, 2015 को अनपरा ‘डी’ तापीय विद्युत परियोजना की 500 मेगावाट क्षमता की पहली इकाई का लोकार्पण किया था । अनपरा ‘डी’ तापीय परियोजना के तहत 500-500 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता की 2 इकाइयों का
प्राविधान है । 500 मेगावाट की क्षमता की दूसरी इकाई से 30
जून, 2015 से विद्युत उत्पादन का कार्य
प्रारम्भ हो गया था । कुशल नेतृत्वकर्ता श्री अखिलेश यादव के शासन वाली सरकार ने वर्ष
2016 के अन्त तक उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 16
घण्टे तथा शहरी इलाकों में 22 से 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति के लिए गम्भीरता से काम करके दिखाया था । 500-500
मेगावाट अनपरा ‘डी’ तापीय
परियोजना का निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा जनपद सोनभद्र
के अनपरा में किया गया था । इस परियोजना का निर्माण अनपरा तापीय परियोजना की ‘अ’ एवं ‘ब’ इकाइयों द्वारा भरे गए परित्यक्त ऐश पोंड स्थल पर कराया गया था तथा इसके
लिए किसी अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया था । इस प्रकार मितव्ययता के
साथ इस भरे हुए तथा अनुपयोगी राख भण्डारण क्षेत्र पर विद्युत परियोजना का निर्माण
विशिष्ट तकनीक से कराया गया था । परियोजना को बीएचईएल तथा परामर्शदाता एनटीपीसी लि.
थी । एलएण्डटी द्वारा परियोजना की कोल हैण्डलिंग तथा आल्सटॉम द्वारा
400/765 के.वी. स्विच
यार्ड की स्थापना की गई थी । परियोजना पर लगभग 7,027 करोड़
रुपए की लागत आयी थी ।
कोयले के अपार भण्डार तथा पानी
की उपलब्धता से युक्त जनपद सोनभद्र के इस क्षेत्र में वर्ष 1987-89 के मध्य 3 गुणा
210 मेगावाट अनपरा ‘अ’ तापीय परियोजना तथा वर्ष 1994 में 2 गुणा 500 मेगावाट अनपरा ‘ब’
तापीय परियोजना की स्थापना की गई थी । समाजवादी शासन के कुशल और
योग्य नेतृत्व में अनपरा ‘डी’ तापीय
परियोजना से उत्पादन शुरु होने के बाद यहां से होने वाले विद्युत उत्पादन में 1,000
मेगावाट क्षमता की वृद्धि हो गयी थी । अनपरा तापीय परियोजना राज्य
विद्युत उत्पादन निगम की सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं में से एक है । परियोजना द्वारा
बिजली उत्पादन के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं । वर्ष 2013 में इस परियोजना को सर्वश्रेष्ठ ताप विद्युत उत्पादक तथा वर्ष 2014
में केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा नेशनल एनर्जी कंजर्वेशन अवार्ड
से भी सम्मानित किया गया था ।
ज्ञातव्य है कि अनपरा ‘डी’
परियोजना के तहत 500-500 मेगावाट विद्युत
उत्पादन क्षमता की दो इकाइयों का निर्माण किया जाना है। 500 मेगावाट
क्षमता की इसकी दूसरी इकाई से 30 जून, 2015 से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हो जाएगा। कुल
7 हजार 27
करोड़ रुपए की लागत की इस परियोजना का निर्माण अनपरा तापीय परियोजना
की ‘अ’ एवं ‘ब’
इकाइयों द्वारा भरे गए परित्यक्त ऐश पाॅण्ड स्थल पर किया गया है। इस
परियोजना के लिए किसी अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया है। इस प्रकार भरे
हुए तथा अनुपयोगी राख भण्डार क्षेत्र पर विद्युत परियोजना का निर्माण बीएचईएल द्वारा
विशिष्ट तकनीक से किया गया है। परियोजना के लिए प्रतिदिन 16 हजार
टन कोयले की आवश्यकता होगी, जिसकी आपूर्ति एनसीएल सिंगरौली
की खदानों से की जाएगी।
तापीय
विद्युत परियोजना अनपरा ‘डी’ के लोकार्पण
के पश्चात मुख्यमंत्री ने अनपरा के केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के मैदान पर
आयोजित एक जनसभा में 392 करोड़ रुपए की लागत से नवीनीकृत
हरदुआगंज तापीय विद्युत परियोजना की 120 मेगावाट की सातवीं
इकाई का भी लोकार्पण किया। आज सम्पन्न दोनों विद्युत परियोजनाओं के लोकार्पण से
राज्य के विद्युत उत्पादन में 620 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई
है। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के
सुदृढ़ विकास हेतु लगातार प्रयासरत है। इसके सुपरिणाम अब सामने आने लगे हैं। वर्ष 1994
के बाद इतनी बड़ी क्षमता के विद्युत ताप गृह का लोकार्पण हुआ है।
सोनभद्र
जिले को सूखे के प्रभाव से बचाने के लिए कनहर सिंचाई परियोजना पर काम चल रहा है, जिसे
जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
पूर्व राष्ट्रपति द्वारा कन्नौज
जनपद की तिर्वा तहसील के फकीरपुरा गांव में 250 किलोवाट के सोलर
पावर प्लाण्ट का लोकार्पण हाल ही में किया गया था।
महोबा जनपद में 06 सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना!
समाजवादी
सरकार के मुखिया और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने
बुन्देलखण्ड के महोबा जनपद के कनकुंआ (महोबकंठ) में 06 सौर
ऊर्जा संयंत्रों का लोकार्पण किया था । 105 मेगावाट क्षमता
के 06 सौर ऊर्जा संयंत्रों का लोकार्पण किया गया। सौर ऊर्जा
संयंत्र परियोजनाओं में 04 महोबा जनपद की तथा 01 जनपद ललितपुर की, 01 जनपद झांसी के ग्राम गरौठा में स्थापित की गयी थी । सौर
ऊर्जा संयंत्रों में महोबा जनपद में स्थापित यूनीवर्सल सौर ऊर्जा प्रा0लि0 (30 मेगावाट), ग्रीन ऊर्जा
प्रा.लि. (30 मेगावाट), निरोशा पावर प्रा.लि. (30
मेगावाट) तथा के.एम. एनर्जी प्रा.लि. (05 मेगावाट)
तथा जनपद ललितपुर में स्थापित मैसर्स सन एण्ड विण्ड इन्फ्रा लि0
(10 मेगावाट) हैं। जनपद झांसी में बनने वाले 20
मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र की कार्यदायी संस्था यूपीनेडा थी ।
राज्य सरकार ने इस संयंत्र के लिए 148 करोड़ रुपए की बजट
व्यवस्था की थी । समाजवादी सरकार शहरों में 24 घण्टे बिजली
मुहैया कराने को लेकर काम कर रही थी । राज्य में बिजली उत्पादन को इतना बढाने का
प्रयास था कि प्रदेश के प्रत्येक गांव को 24 घंटे बिजली
उपलब्ध कराने की समाजवादी सरकार की कोशिश पूरी हो सके । इसके लिए बिजली के संयंत्र
लगाने के साथ ही, आपूर्ति व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा
था ।
उ.प्र. राज्य ऊर्जा संरक्षण निधि नियमावली,
2016
समाजवादी सरकार के मुखिया और उत्तर प्रदेश
के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद ने उत्तर
प्रदेश राज्य ऊर्जा संरक्षण निधि नियमावली, 2016 के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी थी
। उ.प्र.राज्य ऊर्जा संरक्षण, निधि उत्तर प्रदेश राज्य अभिहित अभिकरण द्वारा प्रशासित करेगी ।
ऊर्जा संरक्षण
निधि नियमावली,
2016 के अन्तर्गत ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा के कार्यकुशल उपयोग के
सम्बन्ध में वैयक्तिक उपभोक्ताओं, उद्योगों, वाणिज्यिक, संगठनों, छात्रों,
कृषकों आदि को सूचना प्रसारित करने के लिए विभिन्न जागरूकता
कार्यक्रमों हेतु राज्य अभिहित अभिकरण के माध्यम से व्यय उपगत किए गए ।
ऊर्जा के कार्यकुशल उपयोग एवं उसके संरक्षण
के लिए कार्मिकों और विशेषज्ञों के प्रशिक्षण हेतु राज्य अभिहित अभिकरण द्वारा
उपगत व्यय की पूर्ति करने का काम समाजवादी सरकार ने कराया था । उपस्करों और
उपकरणों के ऊर्जा उपभोग के प्रमाणीकरण और या सत्यापन सम्बन्धी परीक्षण के लिए
परीक्षण सुविधाएं सृजित करने में परीक्षण और प्रमाणीकरण प्रक्रिया विकसित की गयी
थी । विजनरी नेता के नेतृत्व में ऊर्जा कार्यकुशलता केन्द्र और केन्द्र सरकार की
परियोजनाओं में प्रोत्साहन हेतु और उसमें अंशदान करने के लिए ऊर्जा संरक्षण और
ऊर्जा कार्यकुशलता से सम्बन्धित निदर्शन, परियोजनाओं को विकसित करना तथा निष्पादित
करने का भी कार्य कराया गया था । इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश
में क्रियान्वित किए गए केन्द्रीय रूप से प्रायोजित योजनाओं और ऊर्जा कार्यकुशलता
केन्द्र की योजनाओं के समरूप अनुदान की पूर्ति भी करने का काम समाजवादी सरकार ने
करने का काम कराया था ।
ऊर्जा संरक्षण निधि को विनियमित और
नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव की
अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय संचालन समिति गठित कराई थी, जिसकी बैठक प्रत्येक 03
माह में कम से कम एक बार आयोजित करना तय किया गया था । इस समिति को अभिकरण
द्वारा कार्यान्वित किए गए क्रिया-कलापों की प्रगति की समीक्षा एवं अनुश्रवण का
काम भी दिया गया था ।