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अखिलेश यादव की स्वास्थ्य सेवाओं की एक नई शुरुआत-‘एम-सेहत’ A new beginning for Akhilesh Yadav's health services - 'M-Sehat'

स्वास्थ्य सेवाओं की एक नई शुरुआत!

एम-सेहत


       समाजवादी सरकार ने एम-सेहतपरियोजना से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए एक नई शुरुआत की थी । इस परियोजना के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयासों की प्रभावी मौनीटरिंग की एक शानदार परियोजना थी । इस परियोजना के अंतर्गत आशाओं को स्मार्ट फोन उपलब्ध कराने से उनका काम आसान करने की पहल विजनरी मुख्यमंत्री द्वारा की गयी थी । विजनरी मुख्यमंत्री ने कहा था कि तकनीकी के इस्तेमाल से भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है । इसी को ध्यान में रखते हुए समाजवादी सरकार ने लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए बड़ी संख्या में पीएचसी और सीएचसी स्थापित कर रही थी ।

       चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत सिफ्सा द्वारा निर्मित एवं संचालित मातृ एवं शिशु मृत्यु दर तथा सकल प्रजनन दर में कमी लाने हेतु एम-सेहतपरियोजना के शुभारम्भ किया गया था, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सिफ्सा की एम-सेहत परियोजना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस परियोजना के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ताओं जैसे आशा, एएनएम और प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्साधिकारियों को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित करने से उनकी कार्य कुशलता बढाया जाना था ।

       श्री यादव ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत करने में भी सफलता मिली, जिससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं और मां-बच्चे की असामयिक मौतों को कम करने में मदद मिली । फ्रन्ट लाइन वर्कर्स को सूचना एवं संचार प्रणाली के माध्यम से लाभार्थियों का पंजीकरण, ट्रैकिंग, काउन्सिलिंग, रिपोर्टिंग, स्क्रीनिंग तथा संदर्भन का कार्य करने में आसानी होनी शुरू हुई । इससे निश्चित रूप से प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर तथा सकल प्रजनन दर में और कमी लायी गयी । समाजवादी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 को मातृ एवं बाल स्वास्थ्य वर्ष के रूप में मनाया था । जिससे माता एवं शिशु को स्वस्थ रखने को जागरूकता का प्रचार-प्रसार हो सके ।

       एम-सेहतपरियोजना विश्व की सबसे बड़ी मोबाइल आधारित सूचना संचार एवं तकनीकी पर आधारित पायलेट परियोजना है और इसे शुरुआत में पांच जिलों सीतापुर, कन्नौज, फैजाबाद, मिर्जापुर एवं बरेली में तीन वर्षों के लिए लागू किया गया था । इसकी सफलता के बाद परियोजना को प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने की योजना थी । इसके तहत रिप्रोडक्टिव, मेटर्नल, न्यू बोर्न, चाइल्ड हेल्थ तथा एडोलेसेन्ट हेल्थ सम्बन्धी योजनाओं की ऑनलाइन रिपोर्टिंग सम्भव होने लगी थी ।

       एम-सेहत परियेाजना के अंतर्गत 10,000 आशा वर्कर्स, 2,000 एएनएम तथा 300 प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों/राज्य स्तरीय सम्बन्धित नोडल अधिकारियों को टैबलेट देने के साथ-साथ इसका प्रशिक्षण भी दिलाया गया था जाएगा जिससे वे एम-सेहतपरियोजना का उपयोग सफलतापूर्वक कर सकें । परियोजना के अंतर्गत मोबाइल फोन एप्लीकेशन द्वारा ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का भी अनुश्रवण करने का काम किया गया था और वहां की आपूर्ति, उपयोग एवं निस्तारण में भी सहयोग मिला था । इसके माध्यम से आशाओं को दिए जाने वाले मानदेय/इन्सेन्टिव का अनुश्रवण पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाने लगा था  जिससे उनका भुगतान यथा समय होने लगा था ।

 

 

 

 

मेदान्ता-अवध सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, लखनऊ

       उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि लखनऊ का विकास मेडिकल राजधानी के रूप में हो रहा है । यहां पर पहले से ही पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान जैसे चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी पहचान रखने वाले संस्थानों के साथ कई अन्य उच्चस्तरीय चिकित्सा संस्थान मौजूद हैं । मेदान्ता-अवध का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है । जल्द ही यहां पर एक कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण शुरू होने वाला है । इन संस्थानों के बन जाने से इलाज के एक अच्छे केन्द्र के रूप में लखनऊ की पहचान और अधिक मजबूत हो जाएगी ।

       पूर्व रक्षा मंत्री एवं सांसद नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव ने सम्बोधित करते हुए डा. नरेश त्रेहन का लखनऊ में स्वागत करते हुए कहा था कि डा. त्रेहन बड़े डाक्टर ही नहीं, बड़े इंसान भी हैं । इनके मन में मनुष्य के प्रति बहुत करुणा और दया है । उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने जनता को जितनी सुविधाएं मुहैया करायी हैं, इतनी सुविधाएं देश की किसी अन्य सरकार द्वारा नहीं दी जा रही हैं । प्रदेश सरकार ने डा. राम मनोहर लोहिया के नारे रोटी, कपड़ा सस्ती हो-दवा पढ़ाई मुफ्ती होको साकार करने का काम किया है । दुनिया के वही देश मजबूत होकर उभरे हैं, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं । राज्य सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है ।

       केजीएमयू से अपनी मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डा. नरेश त्रेहन ने मेदांता-अवध के जरिए उत्तर प्रदेश को एक बड़ा तोहफा दिया था । राज्य सरकार जनता को सबसे अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए कार्य कर रही है। यह अस्पताल राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और मजबूत करेगा। मेदान्ता ग्रुप के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक डा. नरेश त्रेहन ने कहा था कि इस अस्पताल के निर्माण से लखनऊ वापस आकर उत्तर प्रदेश के लिए कुछ करने का सपना पूरा हुआ है । इसके निर्माण में प्रदेश सरकार ने पूरा सहयोग दिया है । मेदान्ता ग्रुप भी प्रदेश सरकार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों के साथ-साथ राज्य में हेल्थ डिलिवरी सिस्टम को मजबूत बनाने में पूरा सहयोग करेगा । मेदान्ता-अवध के निर्माण में लगभग 01 हजार करोड़ रुपये का व्यय आएगा । यहां पर 800 डॉक्टर्स, 03 हजार नर्सेज तथा लगभग 02 हजार पैरामेडिकल स्टाफ काम करता हैं । इस अस्पताल के कामयाब होने पर अस्पताल के सेटेलाइट सेण्टर्स प्रदेश के अन्य स्थानों में स्थापित किए जाएंगे ।

       तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव और सांसद एवं पूर्व रक्षा मंत्री नेता जी श्री मुलायम सिंह यादव ने शिलापट्ट का अनावरण किया था ।

 

किंग जोर्ज मेडिकल/केजीएमयू

2 नये पीडियाट्रिक कैंसर वार्ड्स निर्माण

       उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने केजीएमयू में निर्मित 02 नये पीडियाट्रिक कैंसर वार्ड्स का उद्घाटन करते हुए कहा था कि राज्य की समाजवादी सरकार प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सभी प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चिकित्सा सुविधाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कैंसर की बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही है। ऐसे में इसके रोकथाम और इलाज की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से इस रोग के रोगियों की सबसे ज्यादा मदद की गई है, जिससे पता लगता है कि यह रोग बहुत तेजी से फैल रहा है।

       मुख्यमंत्री ने केजीएमयू में इस सुविधा की स्थापना के लिए हेल्पिंग हैण्ड्सट्रस्ट का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इसके निर्माण से अब कैंसरग्रस्त बच्चों का बेहतर ढंग से इलाज किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समाजवादी सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति केजीएमयू महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश के सबसे पुराने और मशहूर चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में से एक है। इसके विद्यार्थी पूरे विश्व में अपने संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब भी प्रदेश में समाजवादी सरकार रही, चाहे वह नेताजी के नेतृत्व वाली सरकार हो अथवा वर्तमान सरकार, सभी ने इस संस्थान की सुविधाओं में हमेशा इजाफा किया है । इसके लिए नये विभाग स्थापित किए गए और नये भवनों का भी निर्माण कराया गया। उन्होंने कहा कि सुविधाओं में और बढ़ोत्तरी करने के लिए आवश्यक भवनों का आगे भी निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब भी इस संस्थान का नाम बदला गया तो समाजवादी सरकारों ने इस संस्थान को इसका पुराना नाम पुनः वापस दिलाने का भी काम किया ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में इलाज, दवाई, पैथालाॅजिकल जांचें, एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउण्ड की निःशुल्क सुविधा जनता को उपलब्ध करायी जा रही है। गरीबों को कैंसर, लिवर, हार्ट तथा किडनी जैसी बड़ी बीमारियों का मुफ्त इलाज सरकारी अस्पतालों में मुहैया कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्री यादव ने कहा कि केजीएमयू में जिन 02 नये पीडियाट्रिक कैंसर वार्ड का उद्घाटन किया गया, उनकी स्थापना हेल्पिंग हैण्ड ट्रस्ट द्वारा की गई है । इन वार्ड में 60 बेड उपलब्ध हैं, जिसमें चिकित्सक कक्ष, कीमोथेरेपी कक्ष, आइसोलेशन कक्ष, नर्स स्टेशन, कांफ्रेंस रूम, डे केयर एरिया, प्रसाधन के अलावा बच्चों के खेलने के स्थान का प्राविधान भी किया गया है ।

 

 

केजीएमयू में नवीन विशिष्टियों वाले 5 नए विभागों की स्थापना!

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किंग जोर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में नवीन विशिष्टियों वाले 5 नए विभागों की स्थापना का निर्णय लिया है।

हृदय रोग विभाग के विस्तारीकरण

चिकित्सा विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के विस्तारीकरण के लिए अतिरिक्त पदों के सृजन का फैसला भी लिया । हृदय रोग विभाग के विस्तारीकरण हेतु जिन अतिरिक्त पदों के सृजन का निर्णय लिया गया है, उनमें सहायक आचार्य, स्टाफ नर्सेज एवं तकनीशियन आदि शामिल हैं।

मुख्यमंत्री द्वारा केजीएमयू में जिन उच्च विशिष्टता वाले 9 विभागों का सृजन किया गया था, जैसे

1.  नियोनेटोलॉजी,

2.  पीडियाट्रिक आँकोलॉजी,

3.  कार्डियक एनेस्थिसिया,

4.  न्यूरोएनेस्थिसिया

5.  गायनेकोलॉजिक आँकोलॉजी

6.  थोरेसिक सर्जरी,

7.  वेस्कुलर सर्जरी,

8.  पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन,

9.  नेफ्रोलॉजी,

10.     इण्डोक्रायोनोलॉजी

11.     मेडिकल गैस्ट्रो इन्ट्रोलॉजी,

12.     न्यूक्लियर मेडिसिन,

13.     इण्डोक्राइन सर्जरी

       उपरोक्त सभी विभागों के लिए टीचिंग स्टाफ के कुल 60 पदों का भी सृजन किया गया था । राज्य सरकार प्रदेश की जनता को उच्चस्तरीय चिकित्सा सेवाएं देने का कार्य कर रही थी । प्रदेश सरकार के प्रयासों से केजीएमयू में एमबीबीएस की शिक्षा के लिए 250  सीटों की बढ़ोत्तरी हुई थी। कार्डियोलॉजी विभाग के विस्तारीकरण के लिए भवन का शिलान्यास किया था । इस परियोजना पर 105 करोड़ रुपए की लागत आई थी । इस निर्माण से कार्डियोलॉजी विभाग में 100 बेड की बढ़ोत्तरी की गयी थी । कार्डियोलॉजी विभाग की सेवाएं साल के सभी दिन 24 घण्टे/24/7/365 उपलब्ध हैं

केजीएमयू में 300 करोड़ रु. की 35 परियोजनाओं का लोकार्पण-

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने साइंटिफिक कनवेंशन सेण्टर में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत की 35 परियोजनाओं का लोकार्पण किया था ।

कार्डियोलॉजी वार्ड का विस्तार-

105 करोड़ रुपये की लागत से किए जाने वाले कार्डियोलॉजी वार्ड का विस्तार प्रमुख है। ज्ञातव्य है कि कार्डियोलॉजी विभाग के भवन का विस्तार पूरा हो जाने पर विभाग में 100 बेड की बढ़ोत्तरी हो जाएगी । कार्डियोलॉजी विभाग की सेवाओं को साल के सभी दिन 24 घण्टे मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा भवन के विस्तार कार्य का शिलान्यास किया गया ।

       बर्न यूनिट एवं ऑर्गन ट्रांसप्लाण्ट आईसीयू का निर्माण कार्य किया गया। लोकार्पित की जाने वाली परियोजनाओं में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप योजनाओं को तेजी से अंजाम देने का काम कर रहा है। जहां राजकीय मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई वहीं एमबीबीएस की सीटों में भी भारी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इण्डिया को संतुष्ट करते हुए इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना मामूली कार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व राज्य सरकार द्वारा इस क्षेत्र में कोई कार्य नहीं किया गया। राजकीय मेडिकल काॅलेजों की स्थापना गम्भीरता से प्रयास आदरणीय नेताजी द्वारा शुरू किया गया था। जिसे वर्तमान राज्य सरकार ने बढ़ाकर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी करने का काम किया था ।

       समाजवादी सरकार के शासन काल में केजीएमयू में मरीजों  को सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए गम्भीरता से काम किया जा रहा था । मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इण्डिया ने विश्वविद्यालय के लिए 250 एमबीबीएस की सीटों की अनुमति प्रदान की थी । विश्वविद्यालय में सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा देने के लिए सभी विभागों में आवश्यकतानुसार स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू कराने का काम किया गया था । समाजवादी सरकार के प्रगतिशील मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के विशिष्ट प्रयासों से चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में एक खामोश क्रांति (साइलेंट रेवोलुशन) को अंजाम दिया जा रहा था । देश की आजादी से लेकर वर्ष 2012 तक जहां उत्तर प्रदेश में एमबीबीएस की 1140 सीटे थी, वहीं इनकी संख्या को बढ़ाकर 2140 किया गया, जो कि आगामी 2-3 वर्षों में 03 हजार से अधिक हो जानी थी ।    समाजवादी सरकार ने बजट में 11 राजकीय मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि का प्राविधान किया था । एम.डी./एम.एस. की 603 सीटों की संख्या को 01 हजार तक पहुंचाने का काम समाजवादी सरकार ने किया था । पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को दूर करके उनकी उपलब्धता को बढ़ाकर करीब 15 हजार पैरामेडिकल कर्मी तैयार करना प्रगतिशील नेतृत्व के कारण ही हुआ था । पूर्व में चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए केवल 1600 करोड़ रुपये का बजट प्राविधान था, जिसे बढ़ाकर 3600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी ।


एसजीपीजीआई ट्रॉमा सेण्टर!

       संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईमें ट्रॉमा सेण्टर का निर्माण कार्य समाजवादी सरकार द्वारा कराया गया था । जहाँ सभी आवश्यक व्यवस्थाएं स्थापित करने क काम कराया गया था, जिससे प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाई गयी थी । नयी बनाई गयी न्यू ओपीडी के सम्बन्ध में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि इससे आम लोगों को बहुत चिकित्सकीय लाभ प्राप्त होंगे, साथ ही एसजीपीजीआई में अन्य आवश्यक भवनों का निर्माण कार्य भी गुणवत्ता के साथ समय से पूरा कराया गया थाऔर उन्हें ज्यादा जनोपयोगी बनाया गया था । तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि एसजीपीजीआई प्रदेश का एक प्रतिष्ठित संस्थान है । यहां उत्तर प्रदेश से ही नहींबल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में गम्भीर मरीज इलाज के लिए आते हैं । वर्तमान ओपीडी में जगह की कमी को देखते हुए नए भवन निर्माण को पूर्ण कराया था, जिससे इस ब्लॉक से आम लोगों को ओपीडी की सहज स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगी थी ।

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