हवा-हवाई ‘डिजिटल इंडिया’ पर
भारी विजनरी अखिलेश की लैपटॉप वितरण योजना !
5 वर्ष पूर्व बंद हो चुकी अखिलेश सरकार की
लेपटॉप योजना का की तुलना कोरोना आपदा 2020 के समय में बीजेपी की केंद्र सरकार की सबसे महात्वकांक्षी
योजना डिजिटल इंडिया से क्यों की जा सकती है ? भले ही ये योजना वर्षों पूर्व बंद हो चुकी हो मगर इस योजना का लाभ आज भी ग्रामीण
क्षेत्रों से लेकर गरीब शहरी घर में देखा जा सकता है । ग्रामीण क्षेत्रों से आने
वाले छात्र आज भी अखिलेश यादव के इस लैपटॉप की मदद से सामान्य
प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं से लेकर प्रतिष्ठित यूपीएसी-पीएससी जैसे इग्ज़ाम की तैयारियां करते हैं ।
हालंकि,
न तो कोरोना काल में यूपी में सपा सरकार थी, न ही उसकी चलाई गई लेपटॉप
योजना । मगर सपा सरकार द्वारा इस योजना के अनतर्गत बांटे गए लैपटॉप्स की मदद से
हज़ारों छात्रों ने रोज़गार प्राप्त किया है । आज भी तमाम छात्रों को इसी लैपटॉप
से पढ़ाई करते हुए देखा जा सकता है । वर्षो बाद भी इस योजना से छात्रों को लाभ
होता दिख रहा है, रुढ़िवादी और हमेशा प्राचीन भारत के गौरव में खोई रहने वाली पिछड़ी
सोच की बीजेपी सरकार ने इसे बंद कर दिया था, जिससे ग्रामीण अंचल से आने वाले
छात्र-छात्राओं का बड़ा भरी नुकसान हुआ है।
मई 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के बाद बीजेपी की केंद्र सरकार ने
विकास की कई योजनाओं में सबसे ज़्यादा प्रचार-प्रसार जिस योजना का किया वो ‘डिजिटल
इंडिया’ योजना थी ।प्रधानमंत्री इस योजना का ज़िक्र अपनी अधिकतर रैलियों में करते
रहे हैं । 2014 में एक रैली को संबोधित करते हुए ज़ोर देकर
कहा था कि डिजिटल इंडिया के चलते देश बदल रहा है । डिजिटल इंडिया का शुरू से ही
संकल्प रहा है कि देश के सामान्य व्यक्ति, युवाओं और
ग्रामीणों को डिजिटल बनाना है । बीजेपी सरकार झूठे और हवा-हवाई दावा करती रही है
कि डिजिटल इंडिया से लोगों को नौकरियां मिलती रही हैं । लम्बी-लम्बी फैंकने में
माहिर भाजपाई नेता डिजिटल इंडिया से सबसे ज़्यादा फ़ायदा गांवों की महिलाओं को हुआ
है, बताते नहीं थकते हैं । इनके बड़े झूठों
में ये बताते हैं कि डिजिटल इंडिया के तहत शुरू किए गए वाई फ़ाई चौपाल योजना से गांवों
की बेटियां नौकरी पा रही हैं, आपको ऐसा कुछ होता हुआ जमीन पर कहीं दिखाई दिया है?
कोरोना
आपदा और अखिलेश सरकार में दिये गये लैपटॉप-
देश में कोरोना वायरस की महामारी के चलते
देश में हुए लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों की नौकरियां चली गई है । पहले से ही बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं के सामने रोजगार का
बड़ा संकट खड़ा हो गया है । ऐसे में अखिलेश यादव कि सरकार में दिये
गये लैपटॉप आज भी काम आ रहे हैं। कोरोना के समय विजनरी नेता श्री अखिलेश यादव की सपा सरकार में बांटे गए लैपटॉप से उन तमाम
युवाओं को फायदा पहुंचा था, जो कोविड आपदा को तकनीक के साथ सामंजस्य
बैठाने की कोशिश कर रहे थे । इन लेपटॉप के माध्यम से कई युवाओं ने लैपटॉप की मदद से
स्वरोजगार शुरू किया था । जिससे उनकी आजीविका का इंतजाम हुआ था । तब अखिलेश यादव सरकार में बांटे गए लैपटॉप इन वंचित वर्ग के युवाओं
के काम आये थे ।
श्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में शुरू हुई
योजना और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सराहना को लेकर एक ट्वीट के जरिए अपनी
बात रखी थी ।
सपा के समय मिला लैपटॉप जो आज भी आजीविका का साधन बन रहा है, शुक्रिया सपा के
समर्थक-कार्यकर्ता का जिन्होंने ये वीडियो शेयर किया, आशा है प्रदेश के अन्य
स्थानों से भी सपा के कामों के ऐसे वीडियो और फ़ोटो आते रहेंगे
सपा के समय मिला
लैपटॉप जो आज भी आजीविका का साधन बन रहा है. शुक्रिया सपा के समर्थक-कार्यकर्ता का
जिन्होंने ये वीडियो शेयर किया. आशा है प्रदेश के अन्य स्थानों से भी सपा के कामों
के ऐसे वीडियो और फ़ोटो आते रहेंगे.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 14, 2020
विजनरी
नेता श्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में लगभग 1.5
खरब रुपए से ज्यादा के लैपटॉप बाटें थे । तब पिछड़ी और
रुढ़िवादी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कई बार लैपटॉप योजना का मजाक भी बनाया
था ।
लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ने लगातार इस योजना के माध्यम से युवाओं
को संबल देने का काम किया था ।
अखिलेश
यादव बोले- योगी सरकार को लैपटॉप से नहीं, शौचालयों
से प्रेम है, जिस लैपटॉप योजना का भाजपा ने मजाक बनाया, कोरोना
काल में वही काम आ रहीः अखिलेश
समाजवादी
पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोरोना काल
के दौरान प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि सपा सरकार ने जो
संरचनात्मक विकास के काम किए थे भाजपा सरकार ने उसे आगे बढ़ाने के बजाए उनमें अवरोध
पैदा करने का काम किया है. श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि आज शिक्षा जगत के सामने
कई गम्भीर चुनौतियां है. भाजपा सरकार उनके हल निकालने के बजाय मनमाने निर्णय थोप
रही है. उन्होंने कहा जैसे बिना तैयारी के नोटबंदी,
जीएसटी के निर्णय हुए थे वैसे ही छात्रों के लिए आनलाइन शिक्षा की
व्यवस्था के परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं. यह अव्यवहारिक व अदूरदर्शी कदम है.
सपा मुखिया ने कहा कि प्रदेश में मार्च से ही स्कूल कालेज कोरोना
के बढ़ते संक्रमण के कारण बंद है. स्कूली बच्चों को कोविड-19
से सबसे ज्यादा खतरा है, इसलिए शिक्षा के उच्च
अधिकारियों ने आनलाइन शिक्षा देने का तरीका खोज निकाला है. यह व्यवस्था कम्प्यूटर,
लैपटाप या स्मार्टफोन के बगैर चलने वाली नहीं है. अखिलेश यादव ने
कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार ने भविष्य की संभावनाओं के मद्देनज़र छात्र-छात्राओं
को 18 लाख लैपटाप बांटे थे. स्मार्टफोन देने का भी वादा था.
भाजपा सरकार में आते ही इस योजना को बंद कर दिया गया. भाजपा वाले तब इनका मजाक
उड़ाते थे आज वही बुनियादी जरूरत बन गए हैं. उन्होंने कहा कि आखिर आनलाइन शिक्षा
कैसे सफल होगी जब केवल 27 प्रतिशत बच्चों के पास लैपटाप या
स्मार्टफोन है. वाईफाई सुविधा भी सुलभ नहीं है. प्रदेश में बिजली की हालत भी दयनीय
है. आधे से ज्यादा बच्चों के लिए बिजली की उपलब्धता भी समस्या है. गांवों में ही
नहीं शहरों में भी बिजली की आवाजाही अनिश्चित रहती है