समाजवादी लैपटॉप वितरण योजना
उत्तर
प्रदेश सरकार ने राज्य में उन छात्रों को मुफ्त लैपटॉप और कंप्यूटर टैबलेट देने का
फैसला किया है, जो 2012 में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ उत्तीर्ण करते हैं । लाभार्थियों
में यूपी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, गरीब मध्यमा द्वारा आयोजित
हाई स्कूल और इंटरमीडिएट और संस्कृत शिक्षा बोर्ड के मध्यमा, मुंशी / मौलवी और मदरसा बोर्ड के अलीम परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र
शामिल थे ।
समाजवादी सरकार के विजनरी नेता श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले
मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार सीबीएसई,
आईसीएसई और आईएससी, मान्यता प्राप्त आईटीआई और
पॉलिटेक्निक के छात्रों के अलावा जहां प्रवेश के लिए न्यूनतम पात्रता हाई स्कूल या
समकक्ष है, वे भी लाभ के लिए लेपटॉप योजना के अंतर्गत पात्र थे
। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने अपने चुनाव घोषणापत्र
में विभिन्न बोर्डों से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने वाले छात्रों को
मुफ्त टैबलेट और लैपटॉप देने का वादा किया था ।
उत्तर प्रदेश सरकार के विजनरी और दूरंदेशी तत्कालीन मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश के छात्र-छात्राओं को साल 2012
से लगातार लैपटॉप वितरित करने के काम किया जा रहा था । इस
महत्वकांक्षी परियोजना के पीछे अखिलेश सरकार के नेतृत्ववाली समाजवादी सरकार का
उद्देश्य लैपटॉप के ज़रिये प्रदेश भर के मेधावी छात्रों की आधुनिक जानकारी और
टेक्निकल स्किल्स को बढ़ाने में न केवल उनकी मदद की जाए, बल्कि उनका उत्साहवर्धन भी
किया जाए और डिजिटल गेप को दूर करके उन्हें आधुनिक संसाधनों से लेस किया जाए, ताकि
वे वर्तमान वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खुद को पिछड़ता हुआ महसूस न करें । सूचना
प्रौद्योगिकी की दुनिया में रहते हुए, आज 'कनेक्टिविटी' वास्तव में क्या मायने रखती है । सभी आयु वर्ग, लिंग, जाति,
धर्म और क्षेत्रों के लोगों को अपने हैंडसेट और कंप्यूटर में उपलब्ध
इंटरनेट के माध्यम से वैश्विक कनेक्टिविटी की पहुंच है। यह एक दशक पहले की तुलना में एक नई घटना है, तब न तो कनेक्टिविटी और न ही
हार्डवेयर उपलब्धता आम पहुंच में थी, हालांकि क्रमिक सरकारों
के दूरदर्शी विचारों के साथ, धीरे-धीरे कनेक्टिविटी शुरू की
गई थी । इसने कनेक्टिविटी को बढ़ाया और हार्डवेयर की
बढ़ती उपलब्धता ने विकास के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया। जब शिक्षा की बात आती है, तो यह विकास की मूल नींवों
में से एक है, जो लोगों को डिजिटल गैजेट्स से परिचित कराती
है, इसलिए कंप्यूटर एक प्राथमिक जरूरत बन जाता है ।
जब
दुनिया लैपटॉप पर काम कर रही थी, भारत
में कई छात्र यह देखने में भी सक्षम नहीं थे कि यह कैसा दिखता है । वे सॉफ्ट कॉपी, ई-बुक्स, सॉफ्ट
नोट बुक्स और इंटरनेट एक्सेस में डॉक्यूमेंट स्टोरेज का मूल्य नहीं समझ पा रहे थे। इनका होना एक सौभाग्य माना जाता था जो कि ज्यादातर धनी लोगों के बच्चों द्वारा
प्राप्त किया जा सकता था । हार्डवेयर (लैपटॉप /
कंप्यूटर) महंगा था और एक वंचित वर्ग का छात्र इसे खरीद नहीं सकता था।
उत्तर प्रदेश तत्कालीन मुख्यमंत्री समाजवादी नेता श्री अखिलेश यादव
द्वारा इस आवश्यकता पर विचार करके एक नई दृष्टि का गठन किया और वंचित वर्ग तक
लेपटॉप देने का बड़ा काम किया गया। समाजवादी पार्टी ने
उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने और असमानता को दूर करने के उद्देश्य से
छात्रों को 2012 में लैपटॉप वितरण का एक चुनावी वादा किया था,
तो विपक्षी दलों ने इसका मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी । श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार बनाने के बाद, 18 लाख छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देने का काम किया गया था और दुनिया का सबसे
बड़ा लैपटॉप वितरण कार्यक्रम चलाने का काम तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
सरकार ने कराया था ।
समाजवाद
समानता लाने को प्रोत्साहित करता है । भारत में सामाजिक और आर्थिक स्थिति में असमानता विद्यमान है, यह असमानता
शैक्षिक प्रणाली को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है, जहां गरीब, हाशिए पर और वंचित छात्रों को उतना अवसर नहीं मिलता है, जितना अमीरों को
मिलता है । इसी संतुलन को बनाने के लिए, लैपटॉप वितरण कार्यक्रम, मध्याह्न भोजन से लेकर शिक्षा के अधिकार तक कई
योजनाएँ समय-समय पर क्रियान्वित करने का काम समाजवादी अखिलेश सरकार द्वारा किये गए
थे । तथापि, केवल कक्षा में
उपस्थिति सुनिश्चित करना पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है, जब तक कि छात्रों को उनकी
पढ़ाई में मदद करने और समय और प्रौद्योगिकी के साथ आगे बढ़ने में मदद करने के लिए
उपयोगी संसाधन प्राप्त न हों ।
अखिल
भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार,
भारत में उच्च शिक्षा (लगभग 25%) में नामांकन
कई देशों (चीन 43%, यूएसए 85%) की
तुलना में बहुत कम है और इसलिए समाजवादी विकास नीतियों को जमीन पर लागु करने की आवश्यकता
है । समाजवादी सरकार ने गरीब और वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को पढाई के लिए
आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें सपने देखने की सुविधा देने काम किया था । साथ ही अधिक से अधिक छात्रों को समायोजित करने के लिए अधिक
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना के साथ इसका पालन किया जा रहा था । लैपटॉप के साथ छात्रों को सुविधा देना उन्हें शिक्षा के प्रति लैस करने का
एक काल्पनिक या अस्पष्ट विचार नहीं है, बल्कि इसने साबित भी किया
है कि अगर वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को सुविधा मिले तो वो आसमान में सुराख़ भी
कर सकते हैं । मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के सहायक
प्रोफेसर ने एक शैक्षिक संस्थान में शोध किया था कि कैसे छात्रों को लैपटॉप वितरित
करने से उनके शिक्षाविदों को फायदा हो सकता है और इसके शोध परिणामों में पाया गया
कि छात्रों को विभिन्न विषयों में सुधार हुआ और उन्हें अपने विचारों और उत्तरों को
लिखने, फिर से लिखने और संपादित करने का अवसर मिला ।
लैपटॉप
प्रौद्योगिकी के लिए उन्नत पहुंच, साथियों
के साथ नेटवर्किंग बढ़ाने और उत्साह विकसित करने और सीखने को अधिक दिलचस्प बनाने
की अनुमति देता है । समाजवादी सरकार ने छात्र-छात्राओं
को लैपटॉप देकर प्रौद्योगिकी तक पहुंच को आसान बनाने का काम किया था, इससे विधार्थियों में नेटवर्किंग बढ़ाने और उत्साह विकसित करने और सीखने
को अधिक दिलचस्प बनाने का काम हुआ था । छात्रों के पास
घर पर रहते हुए लैपटॉप पर अपने शिक्षकों के व्याख्यान देखने के प्रावधान हैं ।
समाजवादी
सरकार ने लैपटॉप वितरण की उपयोगी परियोजना की शुरुआत की थी और दुखद पहलु यह है कि
इसे वर्तमान बाबा सरकार ने जारी नहीं रखा है । लैपटॉप के माध्यम से डिजिटल
पुस्तकालयों से लेकर दुनिया भर के शोध ग्रंथों तक पहुंच आसान हो जाती है ताकि वे
विभिन्न पुस्तकों, नोट्स, असाइनमेंट आदि के माध्यम से अपने ज्ञान को संवर्धित कर सकें । इसके अलावा,
लाभार्थियों को खुली स्कूली शिक्षा प्रणाली के छात्रों को भी शामिल करने
काम हो सकता है ।
समाजवादी
सरकार के विजनरी और आधुनिक तकनीकी पसंद मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सरकार एक
केंद्रीकृत पोर्टल बनाने पर भी विचार कर रही थी, जहाँ विषय और मानक पुस्तकों पर
व्याख्यान मुफ्त में दिए जा सकते थे । ऐसा करना SDG4 के लिए एक गंभीर प्रयास होता, क्योंकि
इसमें समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सभी आम विधार्थी की पहुँच होने से वे शिक्षा
रुपी रत्न का लाभ उठा पाते । विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश
यादव का मुख्य उद्देश्य सस्ती व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए सभी के लिए समान पहुंच
प्रदान करना था, साथ ही बिना किसी पूर्वाग्रह के असमानताओं
को खत्म करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना था ।
मुख्यमंत्री
बनते ही विजनरी नेता श्री अखिलेश यादव ने लैपटॉप के बैग पर 'पूरे होते वादे' लिख लैपटॉप बाटने शुरु कर दिए थे ।
लैपटॉप का क्रेज इतना बढ़ा कि छात्र-छात्राओं में महोत्सव का माहौल बन गया था । उस
समय के अखबारों में ख़बरें मिली थी कि गरीब और वंचित वर्ग को लेपटॉप देकर अखिलेश
सरकार ने बहुत बड़ा काम किया गया था, एक खबर के अनुसार ‘लखीमपुर की रईसा के लिए
लैपटॉप अब तक की उसकी सबसे कीमती चीज है । लखनऊ की सीमा के घर उसे रखने की सही जगह
नहीं तो उसने उसे पड़ोसी हामिद को दिया, जो उसे रोज तीन घंटे के लिए लैपटॉप देता
है और हर महीने किराए के रूप में रुपए भी। फ्री लैपटॉप को बेचने की खबरें अखबारों
में भी आई थी, इसीलिए इटावा के एक कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता
जी श्री मुलायम सिहं यादव और मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा था- जो बेचता
पाया गया, उस पर एफआई आर होगी ।
समाजवादी
सरकार की लेपटॉप योजना का गांव-गांव और शहर-शहर युवाओं में लैपटॉप को पाने की ललक थी
। स्कूल-कालेज में भी बस लैपटॉप ही चर्चा में रहा था । डेस्कटॉप के ताबूत में
आखिरी कील ठोकने का काम समाजवादी सरकार की निशुल्क लैपटॉप योजना ने ठोंकने का काम
किया था, इसने कम्प्यूटर का माहौल तो बनाया ही पर हर किसी को समाजवादी लैपटॉप ही
चाहिए था । समाजवादी योजना निशुल्क लैपटॉप
खरीदने और बांटने की जिम्मेदारी उठा रहे इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन के विश्व के
सबसे बड़े टेंडर में एचसीएल, लेनेवो
और एसर को पीछे करते हुए एचपी ने लैपटॉप की कीमत 19 हजार 58
रुपए रखी थी । जबकि बाजार में लैपटॉप के दाम 25 से 40 हजार रूपया तक थे । सचिव आईटी जीवेश नंदन के मुताबिक एचपी को यूपी
इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन अब तक 15 लाख लैपटॉप के आर्डर दिए
थे ।
समाजवादियों की विजनरी उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013
के अंत (31 दिसंबर) तक 14 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को लैपटॉप का वितरण किया था । उस साल करीब 15
लाख इंटरमीडिएट उत्तीर्ण छात्रा-छात्राओं को लैपटॉप दिया जाना था ।
लैपटॉप वितरण की ये योजना अखिलेश यादव नेतृत्ववाली समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार की
सबसे महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक थी ।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक वासुदेव
यादव ने बताया कि चालू वित्तवर्ष 2013-14 में 31 दिसंबर तक 14,25,361 लैपटॉप
का वितरण किया गया था । उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा इलाहाबाद में 66,053
लैपटॉप, उसके बाद कानपुर में 51,862 और लखनऊ में 43,000 लैपटॉप
का वितरण किया गया।
सत्ता
में आने के बाद सपा सरकार ने 12 मार्च
2013 को लखनऊ से लैपटॉप वितरण योजना की शुरुआत की थी ।
साल 2012-2014 के बीच वितरित हुए 14,35,351
लैपटॉप
§ यूपी
सरकार द्वारा कक्षा 12 में पास होने
वाले मेधावी छात्रों को साल 2012 से लैपटॉप वितरण किया गया था ।
§ इस
लैपटॉप वितरण योजना के अंतर्गत साल 2012 से साल 2014 के बीच 1481118 लैपटॉप दिया गया ।
§ जिसमे
से 1435351 लैपटॉप मेधावी छात्रों को
वितरण किया गया ।
साल 2015 में बंटे 62000 लैपटॉप-
एक समय में अंग्रेजी और कंप्यूटर विरोधी की
अपनी छवि के उलट उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने अपने चुनावी
वायदों के अनुसार गत सोमवार को बारहवीं पास छात्रों के बीच लैपटाप वितरण किया था ।
इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आपके हाथ यह लैपटाप आपकी जिंदगी के
साथ पूरी दुनिया को बदल देगा ।
लखनऊ के कल्विन तालुकेदार कॉलेज प्रांगण
में आयोजित कार्यक्रम में श्री अखिलेश यादव ने करीब 10
हजार छात्र-छात्राओं को लैपटाप वितरित कर उन्हें एक नई दुनिया में
कदम रखने का मौका दिया था । लैपटॉप प्रतिष्ठित कंपनी एचपी द्वारा बनाए गए थे ।
कार्यक्रम के दौरान बांटे गए हरेक लैपटॉप पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह की स्टिकर लगी
हुई थी । छात्रों के बीच लैपटॉप बांटने के बाद अखिलेश ने कहा कि लैपटाप और इंटरनेट
ने आज सब कुछ बदलकर रख दिया है । सरकारी कामकाज से लेकर पढ़ाई लिखाई सब कुछ इस पर
निर्भर हो गया है । ऐसे में यूपी के छात्रों को प्रगतिशील समाज में आगे बढ़ाने के
लिए उन्हें लैपटॉप बांटे गए थे । अखिलेश ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट साकार करते हुए
कहा था कि कोई भी समाजवादियों से यह उम्मीद नहीं करता था कि वे अंग्रेजी और
कम्यूटर की बात करेंगे लेकिन सपा ने बदलाव को समझा है और लैपटाप बांटने की पहल की
है । गौरतलब है कि सपा सरकार ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में
इंटरमीडियट पास करके अगली कक्षा में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को लैपटाप तथा
हाईस्कूल पास करके वाले छात्र-छात्राओं को टैबलेट मुफ्त देने का वादा किया था ।
सपा की इस परियोजना का विरोधियों ने खुब मजाक बनाया था, लेकिन
विजनरी नेता श्री अखिलेश यादव ने इसे साकार कर सबके मुंह पर ताला जड़ दिया था,
तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि मैं जानता हूं कि
लैपटाप पाकर छात्र बहुत खुश हो रहे होंगे । सरकार अपनी जिम्मेवारी को समझती है और
किये वायदों को पूरा करना जानती है । एक साल से भी कम समय में सपा सरकार ने किये
चुनावी वायदें पूरा कर रही है। उन्होंनें चुनाव के पहले किए गए इन वायदों के बारे
में विपक्ष की आलोचना की भी याद दिलायी और कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले विपक्ष
यह कह कर उपहास उड़ाया करता था कि ऐसे वायदे कभी पूरे नहीं हो सकते । क्योंकि समाजवादी
सरकार कतई नहीं चाहती प्रदेश के बच्चे इंटरनेट क्रांति से अछूते रहें ।
जब लैपटॉप ऑन किया जाता है। खुलते ही उसमें
वॉलपेपर की जगह मुलायम और अखिलेश की तस्वीरें नजर आती है। जिसके नीचे लिखा है ‘पूरे होते वायदे’ इसका साफ्टवेयर हिन्दी, ऊर्दू और अंग्रेजी में है। इसमें एंटी वायरस तथा ब्लू टूथ डाला गया है । लैपटॉप
में हिंदी और अंग्रेजी के साथ उर्दू टाइपिंग की सुविधा भी मुहैया कराई गई थी । मुख्यमंत्री
ने कहा कि उनकी पार्टी सूचना तकनीक में आए बदलाव को मूक गवाह की तरह नहीं देख सकती
। हाल के सालों में सूचना तकनीक में काफी बदलाव आया है । विंडोज 7 और लाइनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम वाले लैपटॉप
में 500 गीगाबाइट हार्डडिस्क, 2 गीगाबाइट
रैम के साथ वेबकैम, वाई-फाई सपोर्ट, डीवीडी
राइटर, ब्लूटूथ, कार्ड रीडर और हेडफोन
की सुविधा भी मौजूद हैं ।
सपा के लैपटॉप वितरण कार्यक्रम का विरोध प्राचीन
काल के अन्धविश्वास में डूबे रुढ़िवादी विपक्ष ने किया था कि छात्रों को लैपटॉप
बांटने को सरकारी खर्च का सत्ता का दुरुपयोग बताया था । रुढ़िवादी भाजपा के प्रदेश
प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने लैपटाप वितरण समारोह को अखिलेश सरकार का चुनावी शो
बताकर बेशर्मी से मजाक उड़ाया था । सपा सरकार की नीति और नियत पर सवाल खड़े करते
हुए उन्होंने बेरोजगारी भत्ता बाटने को भी हास्य मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
थी और इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार भी दिया था ।
मगर भाजपा के ही
नरेन्द्र मोदी जब गुजरात में अपनी फोटो लगे स्कूल बैग बंटवाते हैं तो ये दोहरे
मापदंड वाले भाजपाई इसे देख नहीं पाते हैं । भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश में शासन किया
है, मगर आज तक सूबे के शायद भाजपा और विपक्ष को इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी
सरकार का लैपटॉप वितरण का वादा पूरा भी हो पायेगा । हमेशा हवा में झूलने वाली कांग्रेस
के प्रदेश प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा था कि समाजवादी पार्टी सरकार ने
लैपटाप वितरण में भेदभाव बरता जो दुर्भाग्यपूर्ण है । सरकार की मंशा छात्रों को
लैपटाप वितरण के नाम पर झूठी वाहवाही लूटना अधिक है ।
हर
पार्टी चुनावों से पहले जनता से तमाम वादे करती है मगर सत्ता में आते ही अपने वादे
भूल जाती है । भले ही चुनावी फ़ायदा कहे या राजनीतिक लाभ मगर इस बात से इंकार तो
नहीं किया जा सकता है कि श्री अखिलेश यादव ने क्रन्तिकारी कदम उठाया था, जिसके लिए
वह सराहना के पात्र हैं, कोरोना काल की आपदा में तो ये महान प्रयास कहा जा सकता है
जो भाजपाई कभी नहीं कर सकते हैं ।
लैपटॉप प्रदान करने की प्रक्रिया ?
वर्ष 2012
में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद, उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद, उप्र मदरसा
शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आइसीएसई से
इंटरमीडियट या इसके समकक्ष परीक्षा यूपी के ही किसी विद्यालय के पास की है और आप
यूपी के ही किसी संस्थान से ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे तो पात्र छात्र-छात्राएं समाजवादी सरकार द्वारा
बांटे जा रह फ्री लैपटॉप पाने के हकदार हो सकते थे । इसके लिए पात्र को अपने
संस्थान के कार्यालय से फ्री लैपटॉप वितरण के लिए निर्धारित आवेदन पत्र पर अपनी
परीक्षा से जुड़ी जानकारियां भरकर देनी थी । इसके साथ इस आवेदन के साथ आपको वर्ष 2012
में पास की गई इंटरमीडियट परीक्षा का सर्टिफिकेट की फोटोकॉपी अटेस्ट
करके लगानी थी । संस्थान अपने यहां पढऩे वाले और फ्री लैपटॉप के पात्र छात्रों के
नाम जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा विभाग
को भेजा गया था । विभाग ऐसे आवेदनों की जांच कर एक जिले में लैपटॉप पाने के हकदार
स्टूडेंस के नाम माध्यमिक शिक्षा विभाग के पोर्टल पर जारी कर दिया गया था ।
लैपटॉप वितरण के लिए एक जिले में संस्थानों
की वरीयता के हिसाब चार क्रम निर्धारित किए गए थे । यानी एक जिले में सबसे पहले
सरकारी संस्थान, दूसरे नंबर पर
अशासकीय सहायता प्राप्त, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त
अरबी तथा फारसी मदरसे और माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त
संस्थान, तीसरे नंबर पर अनऐडेड संस्थान और चौथे नंबर पर
सीबीएसई और आइसीएसई से मान्यता प्राप्त संस्थानों को रखा गया था । इसी क्रम के
हिसाब से छात्रों को लैपटॉप बांटे गए थे ।