समाजवादी सरकार ने गेहूं खरीद में गुणवत्ता के आधार पर कोई कटौती नहीं होने दी !The Samajwadi government did not allow any reduction in wheat procurement on the basis of quality.
समाजवादी सन्देश जनवरी 24, 2022
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समाजवादी सरकार ने गेहूं खरीद में
गुणवत्ता के आधार पर कोई कटौती नहीं होने दी !
किसान
हितेषी उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किसानों के हित
में एक बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश दिए थे कि किसानों से गेहूं क्रय में गुणवत्ता
के आधार पर कोई कटौती न की जा सकती है । साथ ही गेहूं खरीद पर भारत सरकार द्वारा
निर्धारित की गयी कटौती पर आने वाले व्यय की भरपाई समाजवादी सरकार द्वारा की करने
का आदेश भी दिया था । तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि निरन्तर बेमौसम वर्षा एवं
ओलावृष्टि के कारण गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित होने से किसानों को राहत पहुंचाने
के उद्देश्य से समाजवादी सरकार ने यह फैसला लिया था ।
बेमौसम
बारिश में किसानों की फसल को हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए समाजवादी सरकार
द्वारा भारत सरकार से गेहूं खरीफ के लिए गुणवत्ता मानकों को शिथिल करने का अनुरोध
किया गया था । इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा 32.63 रु0 प्रति कुन्टल की कटौती
करते हुए खरीद की अनुमति 16 अप्रैल, 2015 को दी गयी थी । प्रदेश की समाजवादी सरकार द्वारा
केन्द्र सरकार से इस कटौती को वापस लेने का अनुरोध किया गया था, जिस पर पुनः विचार करते हुए 20 अप्रैल, 2015 को
10.88 रुपए प्रति कुन्टल कटौती के आधार पर शिथिलीकृत मानक पर क्रय की अनुमति भारत
सरकार द्वारा दी गयी । प्रदेश के किसानों के हितों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने यह
तय किया कि गेहूं खरीद में कोई कटौती नहीं की जाएगी । किसानों को गेहूं का
निर्धारित समर्थन मूल्य दिया जाएगा और भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गयी 10 रुपए
88 पैसे प्रति कुन्तल कटौती की भरपाई समाजवादी सरकार करेगी । किसानों से क्रय
केन्द्र पर गेहूं की उतराई एवं छनाई का व्यय नहीं लिया जायेगा । इसकी प्रतिपूर्ति
मण्डी परिषद द्वारा स्वीकृत दरों पर की जायेगी । साथ ही यह निर्देश भी दिए कि
किसानों का गेहूं उनके द्वार से भी क्रय किया जाए, जिससे
किसानों को ढुलाई का खर्च न देना पड़े। रबी विपणन वर्ष 2015-16 में मूल्य समर्थन
योजना के अन्तर्गत किसानों से गेहूं की खरीद में तेजी लाते हुए पूरी पारदर्शिता
बरती जाए ।
फसल बीमा
की योजनाओं के तहत प्रभावित किसानों को दिए गए मुआवजे की समीक्षा करते हुए तत्कालीन
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने यह पाया था कि रबी 2014-15 में आंशिक क्षतिपूर्ति
की स्थिति बेहद असंतोषजनक है । इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को
निर्देशित किया कि वे भारत सरकार को बीमा कम्पनियों की शिथिल कार्य प्रणाली के
बारे में अवगत कराते हुए मुआवजे के भुगतान को तीव्रता के प्रदान कराएं । समाजवादी
मुख्यमत्री श्री अखिलेश यादव ने निर्देश दिए थे कि वितरित की गयी आंशिक
क्षतिपूर्ति क्षति के अनुरूप नहीं होने के कारण बीमा कम्पनी के अधिकारियों को
फसलों के नुकसान का पुनः आंकलन कराते हुए तात्कालिक सहायता के रूप में आंशिक
क्षतिपूर्ति को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किया जाए । रबी 2014-15 में प्रदेश
में बेमौसम बारिश तथा अतिवृष्टि/ओलावृष्टि हुई, किन्तु बीमा कम्पनियों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में
फसलों की क्षति के आंकलन का सर्वेक्षण कार्य अभी तक पूर्ण नहीं किया गया था ।
तत्कालीन
समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त
करते हुए समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जनपद स्तर पर क्षति का आंकलन
करने हेतु एक कमेटी गठित की जाए । यह कमेटी प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता पर
क्षति के आंकलन की समीक्षा करते हुए बीमा कम्पनी द्वारा 7 दिन के अन्दर बीमित
कृषकों को क्षतिपूर्ति का भुगतान सुनिश्चित कराए ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने ओलावृष्टि की स्थिति में किसानों द्वारा बीमा कम्पनी को 48
घण्टे के अन्दर सूचना दिए जाने की अवधि को एक सप्ताह तक बढ़ाए जाने हेतु भारत
सरकार को पत्र भेजा था । किसानों को योजना के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं
होने के कारण ओलावृष्टि की स्थिति में बीमा कम्पनी को 48 घण्टे के अन्दर सूचित
करना सम्भव नहीं हो पाता । उन्होंने निर्देश दिए थे कि किसानों को योजना के
सम्बन्ध में सारी जानकारी और इससे सम्बन्धित कागजात सरल हिन्दी भाषा में उपलब्ध
कराई जाए । इसके साथ ही बीमा कम्पनियों द्वारा योजना का प्रचार-प्रसार किसानों के
बीच प्रभावी रूप से किया जाए ताकि अधिक से अधिक किसाना योजना में भागीदारी करते
हुए योजना से लाभान्वित हो सकें ।
समाजवाद और सामाजिक न्याय की संकल्पना बहुत व्यापक जिसके अन्तर्गत ‘सामान्य हित’ के मानक से सम्बन्धित सब कुछ आ जाता है जो गरीब ,पिछड़े और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा से लेकर निर्धनता और निरक्षरता के उन्मूलन तक सब कुछ पहलुओं को द्वंगित करता है ।
यह न केवल विधि के समक्ष समानता के सिद्धान्त का पालन करने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता से सम्बन्धित है, जैसा हम पश्चिमी देशों में देखते हैं, बल्कि इसका सम्बन्ध उन कुत्सित सामाजिक कुरीतियों जैसे द्ररिद्रता, बीमारी, बेकारी और भुखमरी आदि के दूर करने से भी है जिसकी तीसरी दुनिया के विकासशील देशों पर गहरी चोट पड़ी है ।
सामाजिक न्याय अवधारणा का अभिप्राय यह है कि नागरिक, नागरिक के बीच सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी प्रकार का भेद न माना जाए और प्रत्येक व्यक्ति को अन्य विकास के पूर्ण अवसर सुलभ हों । सामाजिक न्याय की धारणा में एक निष्कर्ष यह निहित है कि व्यक्ति का किसी भी रुप में शोषण न हो और उसके व्यक्तित्व को एक पवित्र सामाजिक न्याय की सिद्धि के लिए माना जाए मात्र साधन के लिए नहीं ।
सामाजिक न्याय की व्यवस्था में सुधारु और सुसंस्कृत जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियों का भाव निहित है और इस संदर्भ में समाज की राजनीतिक सत्ता से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने विद्यार्थी तथा कार्यकारी कार्यक्रमों द्वारा क्षमतायुक्त समाज की स्थापना करें ।