सरस्वती हाई-टेक सिटी
प्रयागराज/ इलाहबाद
सरस्वती हाईटेक सिटी अखिलेश यादव की
समाजवादी विकास विजन के तहत एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी । अखिलेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना
सरस्वती हाईटेक सिटी का विकास करीब 1140 एकड़ भूमि पर किया जा रहा था। इसमें औद्योगिक, शैक्षिक, आवासीय एवं कार्मिशयल गतिविधियों के विकास के लिए इसे 14 सेक्टरों में बांटा गया था. इस परियोजना का विकास चार चरणों में होना था। पहले चरण में आवासीय सेक्टर नौ,
12, 12 ए एवं 14, औद्योगिक सेक्टर तीन एवं चार
में सिविल कार्य 31 दिसंबर को पूरा कर लिया गया था । 1140
एकड़ में प्रस्तावित सरस्वती सिटी में आवासीय भूखंडों की योजना लांच करने के
निर्देश निगम अध्यक्ष आलोक रंजन ने दिए थे । एमडी अमित कुमार घोष ने बताया था कि
सरस्वती सिटी में एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी श्रेणी के
भूखंडों की योजना लांच करने की तैयारी शुरू हो चुकी थी । इसके साथ ही ट्रांसगंगा
सिटी के दूसरे चरण में करीब 800 आवासीय भूखंडों की योजना भी
लांच की गयी थी ।
इस परियोजना में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया था और इसमें ‘ए टाइप (297 वर्ग मीटर) के 350 भूखण्ड, ‘बी टाइप (216 वर्ग
मीटर) के 650 प्लाट व ‘सी टाइप (120
वर्ग मीटर) के 500 प्लाट की बिक्री के लिए
प्रति वर्गमीटर एक हजार 790 रुपये की दरें निर्धारित किए गए थे
। यह समाजवादी विकास
परियोजना एक हजार 140 एकड़ में एकीकृत औद्योगिक नगरी के रूप
में विकसित यह हाईटेक सिटी इलाहाबाद हवाई अड्डे से महज 30 किलोमीटर
की दूरी पर है । इसमें उद्यमियों से लेकर अन्य आवंटियों को विश्वस्तरीय अवस्थापना
सुविधाएं मुहैय्या कराये जाने की प्रतिबद्धता रही थी । एक राज्य विश्वविद्यालय व डिजिटल लाइब्रेरी समेत
अन्तराष्ट्रीय स्टेडियम, प्रदर्शनी केन्द्र, मल्टीप्लेक्स, मेगा मॉल तथा पार्क के साथ-साथ चौड़ी
सड़के, साइकिल पथ को बनाने की योजना से आने वाली पीढ़ियों को
आधुनिक विकास के साथ चलने का अवसर प्राप्त होना था ।
समाजवादी सरकार की पर्यावरण संरक्षण के लिए विशिष्ट प्रयासों के लिए
जानी जाती है । पूरी सरस्वती
हाईटेक सिटी को चकाचौध करने के लिए सौर ऊर्जा वाली लाइटें भी लगाया जाना इस
सन्दर्भ में एक शानदार प्रयास था ।
हाइटेक सिटी क्षेत्र को प्रदूषण रहित बनाए रखने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की
गई है । इसमें मुख्य मार्ग 30
मीटर चौड़ा, जो सीमेन्ट कंक्रीट का जबकि केबलिंग पूरी तरह से भूमिगत
है । इस समाजवादी परियोजना
में एक हजार 140 एक़ड़ की योजना में दो हजार 227 करोड़ का धन लगाया जाना है, जिसमें 98.3 एकड़ आवासीय
क्षेत्र होगा जबकि 211.27 एकड़ औद्योगिक क्षेत्र के लिए
सुरक्षित है । मिश्रित
क्षेत्र के लिए 106.03 एकड़ भूमि सुरक्षित किया गया है ।
सरस्वती हाईटेक सिटी इलाहाबाद को लेकर उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने लगातार इस परियोजना की
निगरानी की थी । उन्होंने निर्देश
दिये थे हैं कि सरस्वती हाईटेक सिटी इलाहाबाद में औद्योगिक एवं कॉमर्शियल
भू-खण्डों के आवंटन की प्रक्रिया यथाशीघ्र प्रारम्भ कराना सुनिश्चित किया जाये ।
सरस्वती
हाई टेक सिटी नैनी, प्रयागराज जिले उत्तर प्रदेश में है । यह इलाका NH
76 पर त्रिवेणी संगम नदी के पास इलाहाबाद नगर पालिका की सीमा के बीच स्थित है । इस परियोजना का नेतृत्व समाजवादी विकास विजन के
साथ उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा कराया गया था । यह 1,140
एकड़ (460 हेक्टेयर) के क्षेत्र में है और
इसमें औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, पार्क और एक संग्रहालय होगा । यह इलाहाबाद हवाई अड्डे से 25 किमी और इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन से 13 किमी दूर होगा । टाइप-ए,
टाइप-बी और टाइप-सी सहित 1500 आवासीय
संपत्तियां हैं और इकाइयों के लिए संबंधित आकार 250 वर्ग
मीटर (2,700 वर्ग फुट), 200 वर्ग मीटर
(2,200 वर्ग फुट) और 120 वर्ग मीटर (1,300
वर्ग मीटर) होगा ।
समाजवादी विकास विजन के
नेतृत्वकर्ता विजनरी अखिलेश यादव का विकास के प्रति स्पष्ट नजरिया!
यूपीएसआईडीसी द्वारा डिवेलप की जा रही
औद्योगिक नगरी परियोजनाओं में सांसदों, विधायकों,
उद्यमी, शासन में तैनात कर्मचारियों, जूडिशल सर्विसेज, मीडिया के लोगों को प्लॉट आवंटन
में दिए जाने वाले आरक्षण में बदलाव कर दिया गया है । उन्नाव में गंगा नदी के
किनारे बन रही ट्रांस गंगा सिटी, इलाहाबाद में बन रही
सरस्वती हाईटेक सिटी और प्लास्टिक सिटी औरैया में आवासीय भूखंडों पर विभिन्न
श्रेणी के आरक्षण में बदलाव को यूपीएसआईडीसी के निदेशक मंडल ने मंजूरी दे दी है। यूपीएसआईडीसी
की मंजूरी के बाद तीनों परियोजनाओं के आवासीय भूखंडों में सामान्य वर्ग के लिए 50
प्रतिशत आरक्षण होगा । वहीं उद्यमी वर्ग,सम्बन्धित
औद्योगिक क्षेत्र में कार्यरत इकाई के कार्मिक के लिए 27% प्लॉट
आरक्षित होंगे । इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सांसद,विधायक को
5%, शासन के कर्मचारियों को 5%, निगम के पूर्ण कालिक नियमित कर्मचारियों, अधिकारियों, प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों और
निदेशक मण्डल के सदस्यों को 5% आरक्षण दिया जाएगा । प्रदेश
में बेंच, बार से सम्बन्धित आवेदकों को 3%, उत्तर प्रदेश में मान्यता प्राप्त पत्रकारों को 3% और प्रदेश के विकलांग व्यक्तियों के लिए 2%आरक्षण किया
गया था । उन्नाव में गंगा नदी के किनारे बन रही ट्रांस गंगा परियोजना में आवासीय
और औद्योगिक प्लॉट्स की कीमत का निर्धारण हो गया है ।
इसके साथ ही इन परियोजनाओं में लगने वाला सबलेटिंग चार्ज घटाकर
लोगों को रहत दी गयी थी. बोर्ड बैठक में सबलेटिंग चार्ज भी घटाने को भी मंजूरी मिल
गई है । निदेशक मंडल ने वर्तमान में निर्धारित सबलेटिंग चार्ज को 1
रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष से स्थान पर 0.5 प्रतिशत प्रतिवर्ग मीटर प्रतिवर्ष के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी थी।
स्मार्ट
होने से पहले इलाहाबाद को बना देंगे हाईटेक सिटी-अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के
विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि संगम नगरी इलाहाबाद को स्मार्ट
होने से पहले हाईटेक किया जाएगा । जहां मेट्रो रेल न हो, आधुनिक
संचार व्यवस्था न हो, उस शहर को स्मार्ट कैसे बनाया जा सकता
है । संगम नगरी इलाहाबाद को स्मार्ट होने से पहले हाईटेक किया जाएगा । केंद्र
सरकार ने इसे स्मार्ट सिटी योजना में तो शामिल कर दिया पर जरूरी चीजों पर ध्यान
नहीं दिया लेकिन समाजवादी सरकार वह सब करेगी जिससे संगम नगरी हाईटेक हो जाए । इसके
लिए उन्होंने कमिश्नर को मेट्रो रेल परियोजना पर काम करने को कहा था । मुख्यमंत्री
इलाहाबाद के नैनी क्षेत्र के सड़वा गांव के पास 1140 एकड़ में स्थापित की जाने
वाली सरस्वती हाई-टेक सिटी औद्योगिक टाउनशिप परियोजना के भूमि पूजन के अवसर पर बोल
रहे थे । इस मौके पर उन्होंने इलाहाबाद एवं आस-पास के क्षेत्रों के तेजी से विकास
के लिए 28,608 लाख रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं का
शिलान्यास एवं लोकार्पण भी किया । अखिलेश यादव ने कहा कि गंगा के किनारे 110 एकड़
क्षेत्रफल में ग्रीन पार्क भी विकसित किया जाएगा । समाजवादी सरकार ने इलाहाबाद के
ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व को देखते हुए विभिन्न विकास परियोजनाओं का खाका तैयार
कराया था। स्मार्ट सिटी के विकास के साथ-साथ सरस्वती हाईटेक सिटी से इलाहाबाद के
व्यावसायिक एवं संस्थागत क्षेत्रों का तेजी से विकास होगा । इसके साथ ही, इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे ।