समाजवादियों
द्वारा
दुधारू पशुधन विकास
उत्तर प्रदेश के जनपद बरेली, तहसील बहेड़ी के ग्राम मुड़िया
मुकर्ररमपुर में 3692.50 लाख रुपये
की लागत से पशु उत्थान वर्ण संकर केन्द्र की स्थापना का कार्य किया गया । इस
केन्द्र के माध्यम से साहीवाल, गंगातीरी, थारपारकर, हरियाना जैसे स्वदेशी एवं जर्सी एवं एच.एफ. मादाओं उच्च गुणवत्तायुक्त भ्रूण (इम्ब्रीयो)
प्राप्त कर उन्नत स्वदेशी संतति का विकास किये जाने का कार्य किया जाना एक
महत्वपूर्ण नवप्रवर्तन था । इस केन्द्र को भ्रूण प्रत्यारोपण प्रशिक्षण केन्द्र के
रुप में विकसित कर इस तकनीक के प्रयोग को जनपद स्तर तक विस्तार प्रदान करना था। इस
तकनीक का प्रयोग कर अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्रों हेतु उच्च जनन क्षमता के
सांडों का उत्पादन भी लक्षित रहा ।
चक-गजरिया (लखनऊ) स्थित अति हिमीकृत वीर्य
उत्पादन केन्द्र की रहमानखेड़ा (लखनऊ) में पुर्नस्थापना हेतु आवश्यक निर्माण
कार्यों को पूर्ण कराते हुए 140 सांडों की क्षमता का अति हिमीकृत वीर्य
उत्पादन केन्द्र रहमानखेड़ा (लखनऊ) में क्रियाशील किया गया, इसको
ए श्रेणी के वीर्य उत्पादन केन्द्र के रूप में विकसित हेतु कार्य-योजना लागू की गई
। चक गंजरिया प्रक्षेत्र (लखनऊ) स्थित भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला की
पुर्नस्थापना निबलेट प्रक्षेत्र (बाराबंकी) में करने हेतु सम्बन्धित समस्त निर्माण
कार्यों को पूर्ण करते हुए भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र को क्रियाशील किया गया ।
नेशनल प्रोग्राम फार
बोवाईन ब्रीडिंग का क्रियान्वयन कर प्रदेश में पशु प्रजनन सम्बन्धी अवस्थापना
सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार किया गया । स्वदेशी पशुओं के संरक्षण, संम्वर्द्धन एवं विकास को बल प्रदान करने हेतु प्रदेश में राष्ट्रीय गोकुल
मिशन का क्रियान्वयन किया गया । इसके अन्तर्गत राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र,
अराजीलाईन (वाराणसी) को गंगातीरी प्रजाति के संरक्षण, सम्वर्द्धन एवं विकास केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु 505.90 लाख रुपये की लागत से सुदृढ़ किया ।
परिषद द्वारा सेन्ट्रल
इन्स्टीट्यूट फार रिसर्च आफ बफैलो (हिसार), पं दीन दयाल
उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान, मथुरा से कुल 96 पशुचिकित्सकों को पशुपालन की नवीनतम
तकनीकों तथा उत्तराखण्ड लाईवस्टाक डेवलपमेन्ट बोर्ड से 04 पशुचिकित्साधिकारियों
को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक में प्रशिक्षित कराया गया । इसके अतिरिक्त भदावरी भैंस
एवं जमुनापारी बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र, इटावा से एक
पशुचिकित्साधिकारी को पशुधन प्रबन्धन में नेशनल डेयरी रिसर्च इन्स्टीट्यूट,
करनाल से प्रशिक्षित कराया गया । कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केन्द्रों
के मूल्यांकन हेतु भारत सरकार द्वारा गठित केन्द्रीय मूल्यांकन इकाई से मूल्यांकन
के उपरान्त प्रादेशिक कोपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पी.सी.डी.एफ.) के 06 केन्द्रों यथा- सी.डी.टी.आर.आई. लखनऊ, मेरठ, वाराणसी, रायबरेली,
कानपुर, आगरा तथा पशुपालन विभाग के लखनऊ स्थित
केन्द्र को अभिप्रमाणित कराया गया ।
राष्ट्रीय पशुधन बीमा को प्रदेश के चिन्हित 39 जनपदों में लागू करते हुए
वर्ष 2015-16 में 190.85 लाख रुपये की
धनराशि का उपयोग कर 32429 गौ एवं महिषवंशी पशुओं का बीमाकरण
किया गया। बीमा कम्पनी द्वारा कुल 2305 पशु दावों के सापेक्ष
1854 दावों का निपटारा करते हुए 573.74 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि पशुपालकों को उपलब्ध कराई गई। उन्होंने
बताया कि गौ एवं महिषवंशी नस्लों के सम्वर्द्धन हेतु गुणवत्तायुक्त निवेशों की तथा
कामधेनु डेरी इकाईयों हेतु उच्च गुणवत्ता के वीर्य स्ट्राज की उपलब्धता सुनिश्चित
की जा रही है। अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र, बाबूगढ़
(हापुड़), भारत सरकार की केन्द्रीय मूल्यांकन इकाई द्वारा ‘बी’ ग्रेडेड एवं आई.एस.ओ. 9001;2008 प्रमाणित तथा
अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र, रहमानखेड़ा (लखनऊ) आई.एस.ओ. 9001;2008 प्रमाणित संस्था है।
दुग्ध
उत्पादकों को दूध का मूल्य का ऑनलाइन भुगतान सीधे बैंक खाते में
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने दुग्ध उत्पादकों को दूध मूल्य
का भुगतान ऑनलाइन सीधे उनके बैंक खाते में किये जाने के निर्देश दिए गए थे । जिससे
दुग्ध व्यवसाय को अधिक पारदर्शी बनाया जा सकेगा और अधिक से अधिक लोग इस व्यवसाय की
ओर आकर्षित होंगे। प्रदेश के 10 जनपदों में राज्य सरकार
द्वारा पूरी तरह अपने वित्तीय संसाधनों से बनायी जा रही नयी पूर्णतया ऑटोमेटिक
ग्रीन फील्ड डेरी प्लाण्ट की स्थापना कार्य के तहत जनपद कानपुर, कन्नौज, मेरठ, बरेली और
वाराणसी आदि जिलों में डेरियों का निर्माण कार्य किया गया । डेरियों का समयबद्ध
तथा गुणवत्तापूर्ण निर्माण और समुचित पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए समय सारिणी
तैयार की गयी थी । इलाहाबाद तथा झांसी में डेरी प्लाण्ट के उच्चीकरण और आधुनिकीकरण
के कार्य को भी कराया गया था ।
बहुउद्देशीय सचल पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए वाहनों की व्यवस्था भी
की गयी थी, जिससे आगामी समस्याओं से बचा जा सके, ऑपरेशन उपकरण, सामग्री एवं औषधि इत्यादि की समुचित व्यवस्था की गयी थी. जनपद आजमगढ़ में
पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, जनपद बरेली में हाइब्रिड सेण्टर की स्थापना
हेतु पी.एफ.ए.डी.
को प्रशासकीय स्वीकृति तथा जनपद मैनपुरी के किशनी में पशु
चिकित्सालय के लिए आवश्यक पद सृजित किये गए ।
2016 तक कामधेनु,
मिनी कामधेनु एवं माइक्रो कामधेनु योजना के तहत कुल 2,614 इकाइयां क्रियाशील कर दी गयी थी। जिसमें कुल 1,14,035 पशुओं के माध्यम से प्रतिदिन कुल 6,35,109 लीटर दूध
का उत्पादन हो रहा था। कुक्कुट योजना के तहत 137 इकाइयों को
क्रियाशील किया गया, जिनसे प्रतिमाह 939 लाख अण्डों का उत्पादन होना आरम्भ हुआ और लगभग 14000 लोगों को स्वरोजगार प्राप्त हुआ था।