मुलायमसिंह
यादव: ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों से सामाजिक उत्थान
नेताजी
के शासनकाल में उपेक्षित वर्ग के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष प्रयास
किए गए. उपेक्षित वर्ग की अधिकांश जनसंख्या के ग्राम में निवास को ध्यान में रखते
हुए उन्होंने सरकारी खजाने का मुंह ग्राम की ओर मोड़ा तथा ग्रामीण विकास की दिशा
में ठोस प्रयास किए. जिससे प्रदेश के पिछड़े, गरीब दलित और सामान्य वर्ग के गरीब
जनता के आर्थिक विकास के नए द्वार खुले. मुख्यमंत्री की विकास नीति के तहत पीड़ित,
शोषित एवं उपेक्षित वर्ग के लिए व्यापक कार्यक्रम संचालन करने के क्रम में उत्तर
प्रदेश के बजट का एक बड़ा हिस्सा किसान, निर्धनों, नौजवानों को आर्थिक सहायता
पहुंचाने और रोजगार प्रदान करने में खर्च किया गया. पिछड़े, दलित, सामान्य वर्ग के
निर्धनों तथा महिलाओं को सरकारी सेवाओं में आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई गई.
नेताजी
के शासनकाल में उनकी प्रतिबद्धता जाति संप्रदाय से प्रेम की भावना से ऊपर उठकर सभी
गरीब, कमजोर, शोषित लोगों के कल्याण के लिए रही. समाज के सभी क्षेत्रों में
परिवर्तन लाकर कमजोर वर्गों के लिए सुखद जीवन के अवसर उत्पन्न करना उनका लक्ष्य
रहा. इस परिवर्तन की आकांक्षा की झलक उनके शासनकाल के हर कदम में मिलती रहीं.
नेताजी को केवल पिछड़े वर्ग या उपेक्षित वर्ग का ही नेता माना जाना चाहिए बल्कि उन्होंने
अपने भाषणों में उल्लेख किया था कि गरीबों-दलितों
और सब प्रकार के पिछड़ों को विशेष अवसर की नीति में डटे रहते हुए भी हम स्पष्ट कर
देना चाहते हैं कि हमारी सरकार अन्य वर्गों के दुर्बल लोगों तथा गरीबों की उन्नति
के लिए भी काम करती रहेगी. सभी वर्गों के प्रति इंसाफ करेगी. जुल्म और अत्याचार
किसी भी वर्ग के साथ नहीं होने देगी.
नेताजी
ने निर्बल और गरीब वर्ग के लोगों के लिए मछली पालन और कुम्हारी कला को आजीविका का
साधन बनाने के लिए कड़े निर्देश दिए थे. कुम्हार-प्रजापति समुदाय को मिट्टी निकालने
के लिए भूमि के पट्टे देने तथा पोखर-ताल-तालाबों के पट्टे, मछली पालन करने वाले मल्लाह-निषाद
समुदायों को ही देने का काम किया गया. इस क्रम में समाजवादी नेता श्री मुलायम सिंह
ने अपने शासन के प्रथम 6 माह
में ही प्रजाति समुदाय को 4,546 पट्टे
तथा मछुआ समुदाय को 3,235 पट्टे प्रदान
किए. नेताजी की सरकार के राजस्व विभाग द्वारा 23 दिसंबर 1993
को एक अध्यादेश जारी जारी किया गया. जिसके अंतर्गत भूमि प्रबंधक
समिति सर्वेक्षण करके ऐसे तालाबों, पोखरों तथा अन्य स्थानों का पता लगाएगी,
जहां कुम्हार और मछली पालन के उपयोग हेतु चिकनी मिट्टी के साथ-साथ वहां पानी की
पर्याप्त व्यवस्था है. तत्पश्चात इन स्थानों को कुम्हारों और मछुआ समाज के लिए
आरक्षित करने का काम किया गया था. सामान्यतौर पर ऐसा देखा जाता था कि गांव के दबंग
और प्रभावशाली लोग तालाबों के पट्टे अपने नाम करवा लेते थे तथा कुम्हारों और
मछुआरों से मिट्टी निकलवाने या मछली पकड़ने के एवज में बेगार करवाया करते थे. नेताजी
की सरकार के इस प्रयास से बड़े पैमाने पर कुम्हार/प्रजापति तथा मछुआ समुदाय में
महागीर, कहार, केवट, लोधी, मल्लाह, माझी, बिंद, धीवर, धीमर तथा गोडीचा/गौरीचा आदि
जातियों का शोषण कम हुआ. वहीं दूसरी ओर उन्हें रोजगार की सुविधाएं भी प्राप्त हुई.
नेताजी श्री मुलायमसिंह यादव का यह कदम सामाजिक विकास तथा रोजगार दोनों ही दृष्टि
से सराहनीय रहा.
नेताजी
की सरकार ने वर्ष 1993 के
बजट में आने वाले 5 वर्षों में 10,000
अंबेडकर ग्रामों के विकास को लेकर योजना बनाने का काम किया गया था.
ये ऐसे गांव थे, जिनमें उपेक्षित वर्ग की जनता का आधिक्य था. इनके विकास हेतु
विशेष प्रयास करते हुए गांवों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति परिवारों को
निशुल्क बोरिंग, पंपसेट, संपर्क मार्ग, इंदिरा आवास, निर्मल पेयजल, बायोगैस, धूम्र
रहित चूल्हा, शौचालय आदि आधुनिक सुविधाओं से ग्राम विकास योजना के तहत लाभान्वित
किया गया था. इन गांवों में पंचायतों के भवन निर्माण, सड़कों का पक्का करने,
विद्युतीकरण, बालक-बालिकाओं के टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाना तथा गरीबों के कुपोषित
आयर गरीबों के बच्चों को छात्रवृत्ति देने के कार्य संबंधित विभागों द्वारा प्राथमिकताओं
के साथ कराने के काम किये गए. इन क्षेत्रों में आवागमन सुविधा बढ़ाने के लिए नेता
जी की सरकार द्वारा परिवहन व्यवस्था से जोड़ने के काम किये गए. साथ ही इन गांवों
में नाली निर्माण हेतु अनुदान देने का काम किया गया था. स्थानीय स्तर पर राजनीति
को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण स्तर पर पंचायत भवन के निर्माण हेतु भी धन आवंटित करने
का काम किया गया था. नेताजी द्वारा पिछड़े और अल्पविकसित ग्रामों कराये गए कामों का
जमीनी परिणाम देखने को मिला और जिससे अंबेडकर गांव में विकास की प्रक्रिया में
तेजी आई थी.
विधवा,
विकलांग एवं वृद्धावस्था पेंशन की
दर में वृद्धि करते हुए 60 रू. प्रति
माह के स्थान पर 100 रू. प्रतिमाह करने का काम किया गया था.
इसमें 24,677 निराश्रित विधवाओं की पेंशन हेतु 29.53 करोड़
रू. की व्यवस्था की गई थी. 53,000 विकलांग
व्यक्तियों के भरण पोषण हेतु 8 करोड रुपए की व्यवस्था की गई
थी.
सामाजिक
कल्याण की योजनाओं में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा भूतपूर्व सैनिकों
की पेंशन को 401 रू. से बढ़ाकर 500
रू. प्रति माह और दूसरे विश्व युद्ध के भूतपूर्व सैनिकों और उनकी
विधवाओं के लिए 100 रू. प्रति माह पेंशन देकर सम्मान करने का
काम किया गया था. जिससे 35,000 स्वतंत्रता
संग्राम सेनानियों और भूतपूर्व सैनिकों के परिवार लाभान्वित हुए. इन कार्यक्रमों
से समाज के वृद्ध, असहाय, विकलांग, विधवा, देश के लिए अपना अनुपम योगदान देने वाले
भूतपूर्व सैनिकों और उनकी विधवाओं को काफी राहत मिली. नेताजी के द्वारा सामाजिक
विकास के क्षेत्र में इस तरह की सकारात्मक पहल करके राहत पहुंचाने का काम किया
गया.
शिक्षा
क्षेत्र के लिए राहत देने के क्रम में वर्ष 1994 का बजट प्रस्तुत करते हुए शिक्षा के विषय में बोलते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री
माननीय नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी ने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में
बहुत बुनियादी और व्यापक कार्यक्रमों की आवश्यकता है, हमारे समाज का एक बड़ा तबका
अतीत की व्यवस्था में शिक्षा से वंचित रखा गया था, जिसका अभिशाप आज तक झेलना पड़
रहा है, सामाजिक संस्था के लिए विशेष अवसर का हमारा सिद्धांत भी तब तक फलीभूत नहीं
होगा, जब तक कि हम शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं करते. इस दिशा में
हमारा पहला और मुख्य जोर प्राथमिक शिक्षा के विस्तार एवं उसे व्यवस्थित करने पर है.
दोहरी शिक्षा प्रणाली खत्म करने के लिए हम कृत संकल्प हैं.
नेताजी की सरकार
द्वारा शहरी क्षेत्र के दुर्बल वर्ग के सामाजिक विकास
हेतु भी अनेक योजनाएं चलाई गई. इसमें 60 नगरों में भंगी मुक्ति योजना के तहत 40,000 शौचालय
का निर्माण कराया गया. इससे 1500 स्वच्छकारों को मैला उठाने
के काम से मुक्ति मिली. इस प्रकार एक लाख से 20 लाख की आबादी
के 20 नगरों हेतु झुग्गी-झोपड़ी सुधार योजना चलाई गई.
शहरी क्षेत्र के दुर्बल आय वर्ग के 64,022 और अल्प आय वर्ग
के 31,148 गरीब आवासों का निर्माण कराया गया. जिससे उन्हें
अपने घरों में रहने का सुख प्राप्त हुआ.
नेताजी की समाजवादी पार्टी का आम आदमी और देश हेतु आर्थिक द्रष्टिकोण
नेताजी श्री
मुलायमसिंह यादव की सरकार द्वारा असहाय एवं निराश्रित
लोगों के जीवन की सुरक्षा एवं उनके सम्मान की रक्षा के लिए भी पर्याप्त कदम उठाये
गए. समाज से तिरस्कृत एवं असहाय महिलाओं को संरक्षण देने के लिए महिला आश्रम,
अनैतिक कार्यों से मुक्ति दिलाकर पुनर्वासन हेतु 3 नारी निकेतन, निराश्रित
महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए 2 उत्तर रक्षा गृह, उनके जीवन को बेहतर
बनाने और उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए उनके प्रशिक्षण हेतु 5 कार्यशाला
संचालित कराने के काम किये गए. निराश्रित महिलाओं के पुनर्वास हेतु विधवा बुनाई
प्रशिक्षण केंद्र, वृद्ध महिलाओं हेतु आश्रित ग्रह, संरक्षण गृह
और 11 शरणालय बनाने का काम नेता जी की सरकार के द्वारा किये गए.
नेताजी
की सरकार के द्वारा पशु पालन के लिए भी विशेष प्रयास किए गए और विशेष योजनाओं के
माध्यम से अपने कार्यकाल के दौरान मिनी डेयरी परियोजना के अंतर्गत 14 जनपद आच्छादित किए गए जिनमें कुल 3951 दुग्ध उत्पादक लाभान्वित हुए उक्त योजना के अंतर्गत ग्रामीण शहरी सहकारी
बैंक के माध्यम से 16,326 व्यक्तियों
को सीधे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए.
उत्तर प्रदेश में रेशम उद्योग के माध्यम से
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिकाधिक अवसर सृजित करने तथा स्थानीय रेशम
बुनकरों को रेशम धागे की आपूर्ति का भरोसा मंच उपलब्ध कराने के लिए रेशम निदेशालय
द्वारा प्रदेश में नवीन योजनाएं पर योजनाएं लागू की गई. इससे रोजगार के नए अवसर
सृजित हुए.
माननीय
नेता जी का मानना रहा है कि प्रदेश में जो निर्धनता व्याप्त है उसका मुख्य कारण
है बेरोजगारी. निर्धनता से बेरोजगारी बढ़ती है, और बेरोजगारी से निर्धनता बढ़ती है.
इस बेरोजगारी को सरकारी सेवाओं के माध्यम से दूर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि
कारखानों और सरकारी विभागों की तुलना में जनसंख्या की वृद्धि काफी तेज रही है, आज
आवश्यकता इस बात की है कि हम लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दें और हमारा प्रयास
होना चाहिए कि गांवों में अधिकाधिक लघु और कुटीर उद्योग लगे ताकि ग्रामीण युवा
अपने समय और श्रम का सदुपयोग करें तथा आजीविका कमाने में सक्षम बन सकें. इस
सन्दर्भ में नेता जी की समाजवादी सरकार के द्वारा चलाई गई विभिन्न रोजगार
कार्यक्रमों में युवाओं को बड़ी मात्रा में रोजगार मिले. जिससे उनके जीवन स्तर और
कैरियर में सुधार हुआ. जो एक विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बिंदु रहा है.
नेताजी ने कहा था कि सदियों से जिनकी आवाज को दबाया गया वह दलित है, पिछड़े हैं,
उनके चेहरे पर मुस्कान लाना हमारा कर्तव्य है. ऐसा करने के लिए जो अभियान
छेड़ा वह जाति-धर्म और संप्रदाय की संघ के नेताओं से ऊपर उठकर सामाजिक परिवर्तन के
लिए छेड़ा गया एक अभियान था. आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में नेता जी ने पहली बार बजट
योजना की राशि का 70% ग्रामीण
विकास के लिए खर्च करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. नेता जी ने अत्यंत अल्प अवधि
में कथनी और करनी में अंतर को बदल दिया.
नेताजी
की सरकार ने बजट में विशेष प्रावधानों द्वारा विकास कार्यों को तेजी से आगे बढाने की
जो रणनीति बनाई थी, उसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश में 50 लाख नए रोजगार के अवसर देना का काम किया गया था. सामाजिक
विकास की दिशा में किए नेता जी के प्रयासों के परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश में दबे-कुचले
तथा निर्धन लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. नेता जी के शासन काल में कई
रिपोर्ट्स में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या 38.9% से घटकर 24.3 फ़ीसदी हो गई. नेता जी की सरकार ने
उत्तर प्रदेश का आठवीं योजना की अवधि में 6% वार्षिक वृद्धि
दर के लक्ष्य को प्राप्त करने का काम किया
गया था. इन आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि नेता जी श्री मुलायम
सिंह यादव जी की सरकार द्वारा सामाजिक विकास और रोजगार हेतु जो योजनाएं तथा
कार्यक्रम चलाए गए उनसे संबंधित पक्षों ने भरपूर लाभ प्राप्त किया था और जमीनी
स्तर पर विकास को गरीबों ने महसूस किया था.