नेताजी मुलायमसिंह यादव के अनुसार हमारे अल्पसंख्यक भाई शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पिछड़े होने के साथ-साथ असुरक्षा की भावना के भी शिकार हो रहे हैं. उनके आर्थिक-सामाजिक विकास, उनकी भाषा, संस्कृति के विकास तथा उनकी खुशहाली के लिए प्रदेश सरकार ने कई नीतिगत निर्णय लिए ताकि उन्हें निर्भय होकर रहने और रोजी-रोटी कमाने का हक मिले. इस दिशा में नेताजी की सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदम उठाये.
उत्तर प्रदेश में
मुस्लिम समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षाकृत पिछड़ा था. जिसका मुख्य कारण यह
महसूस किया कि मुस्लिम बहुल ग्रामों-मोहल्लों में शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं
थी. नेताजी की सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि ऐसे क्षेत्र जहां अधिकांश मुस्लिम
आबादी है को पहचान कर वहां आवश्यकता के अनुसार सरकार द्वारा स्कूल खोले जाएं. इस
योजना के अंतर्गत 1994 में मुस्लिम बाहुल्य ग्रामों
में 577 प्राथमिक स्कूल तथा 144 जूनियर हाई स्कूल खोलने की व्यवस्था की गई थी.
रजिस्ट्रार द्वारा
मान्यता प्राप्त 425 अरबी-फारसी मदरसों में लगभग सवा
दो लाख बच्चे पढ़ते थे. दसवीं की शिक्षा के बाद उन्हें मुंशी/मौलवी का प्रमाण पत्र
तथा 12वीं की शिक्षा के बाद आलिम का प्रमाण पत्र दिया
जाता था. अब तक इन प्रमाणपत्रों को हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की क्षमता प्राप्त
नहीं थी. इस कारणवश यह बच्चे मदरसा व्यवस्था से निकलकर सामान्य शिक्षा अवस्था में
प्रवेश नहीं कर पाते थे. समाजवाद के पैरोकार माननीय नेताजी श्री मुलायम सिंह की
सरकार ने मुंशी मौलवी के प्रमाण पत्र को हाई स्कूल तथा आलिम के प्रमाण पत्र को
इंटरमीडिएट की क्षमता प्रदान कि इससे न केवल बच्चे सामान्य शिक्षा में प्रवेश करने
के अवसर दिया गया. इसके साथ ही ये प्रमाणपत्र सरकारी और निजी संस्थानों में अध्ययन
और नौकरी के आवेदन पत्र के लिए योग्य हो गए.
अल्पसंख्यक समुदाय के
व्यक्तियों को संविधान के अनुच्छेद 30 के
अंतर्गत अपनी शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने एवं संचालित करने का अधिकार है. नेताजी
के पहले इस तरह की शिक्षण संस्थाओं को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था उद्घोषित करने की
कोई निश्चित और निर्धारित व्यवस्था नहीं थी. जिसके परिणाम उनके द्वारा प्रस्तुत
आवेदन पत्रों पर निर्णय नहीं हो पाता था. नेता जी के द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय
द्वारा स्थापित और संचालित शिक्षण संस्थानों को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था घोषित करने की सरल एवं समयबद्ध व्यवस्था का निर्माण करने
का काम किया गया था. जिसके तहत हजारों शिक्षण संस्थाओं को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था
घोषित करने का काम किया गया था.
नेता जी की सरकार से
पहली सरकारों ने अल्पसंख्यक आयोग को समाप्त कर दिया गया था. जिसे नेताजी श्री मुलायमसिंह की सरकार ने न
केवल अल्पसंख्यक आयोग को
पुनर्स्थापित किया, बल्कि अधिनियम के माध्यम से अल्पसंख्यक
आयोग को विधिक दर्जा भी दिया तथा उसे आंकड़े-साक्ष्य एकत्रित करने हेतु समुचित
अधिकार प्रदान करने का काम किया गया. ताकि वे अपने संप्रदाय के विकास हेतु कार्य
कर सके. इस प्रकार नेता जी ने अल्पसंख्यक आयोग द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए
विकास कार्यक्रमों, भाषा संरक्षण, संस्कृति
संरक्षण और कला संरक्षण का पर्यवेक्षण बेहतर ढंग से करने के लिए स्वतंत्रता
सुनिश्चित करने का काम किया गया था.
उत्तर प्रदेश
में अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत खोले गए कुल केंद्रों में 10% में उर्दू भाषा को अनौपचारिक शिक्षा देने के लायक बनाया गया. हर स्तर के
सरकारी विभाग/कार्यालय में एक अनुवादक कनिष्ठ लिपिक की नियुक्ति की गई ताकि किसी
भी व्यक्ति द्वारा यदि उर्दू में आवेदन दिया जाता है तो उसको प्राप्त करके हिंदी
में अनुवाद कराकर उस पर समुचित कार्यवाही संपन्न की जा सके.
उत्तर प्रदेश
में सांप्रदायिक तनाव एवं विवादों की पृष्ठभूमि को देखते हुए प्रदेश में शांति सुरक्षा बल नामक एक आधुनिक सुविधाओं से
लैस पुलिस बल का गठन माननीय नेता जी द्वारा किया गया. जिससे प्रदेश में शांति हो
और सांप्रदायिक दंगे समाप्त हो और प्रदेश में विकास की धारा बहे.
टाडा अधिनियम का
दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध व्यापक स्तर पर दुरूपयोग हुआ है, को
लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा के उपरांत लगभग सभी मामलों में टाडा अधिनियम के
अंतर्गत दर्ज मुकदमे वापस लिए गए. इस संबंध में नेता जी की सरकार ने केंद्र सरकार
को भी यह अधिनियम समाप्त करने का लिखित अनुरोध किया था.
नेताजी ने मंडल आयोग के
अंतर्गत आने वाली मुस्लिम संप्रदाय की 21 जातियों
को पिछड़े वर्ग की सूची में 27 फ़ीसदी आरक्षण के
अंतर्गत आरक्षण देने का काम किया था.
साक्षरता अभियान के
अंतर्गत भी उर्दू भाषा में साक्षरता के प्रसार की समुचित व्यवस्था की गई. सरकारी
नियुक्तियों में लिखित परीक्षा को हिंदी के साथ-साथ उर्दू माध्यम से भी कराने के
आदेश पारित किए गए.
सांप्रदायिक दंगों में
अनेक बार द्वेष और आपसी रंजिशों के कारण किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध मुकदमा
दर्ज कराए जाते हैं. उनका उत्पीडन और परेशान किया जाता है. इसलिए नेताजी की सरकार
ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302, धारा 307,
धारा 304 के मुकदमों को छोड़कर धारा 147 के अंतर्गत आने वाले और अन्य सभी मुकदमों को वापस लिए जाने के आदेश पारित
किए थे.
नेताजी द्वारा
अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण के लिए विशिष्ट प्रयास किये. मुख्यमंत्री के रूप में
अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यक वर्ग के विकास एवं कल्याण के लिए किये गए कार्य
अग्रलिखित हैं :-
अल्पसंख्यकों के कल्याण
के लिए कार्य-
1) अल्पसंख्यक हितों की
रक्षा के लिए अल्पसंख्यक आयोग की पुनर्स्थापना की, जिसे
पूर्ववर्ती सरकार ने समाप्त कर दिया था. अल्पसंख्यक आयोग को वैधानिक दर्जा देने का
काम नेता के कर कमलों के माध्यम से ही संपन्न हुआ था. जिसके अंतर्गत अल्पसंख्यक
आयोग की सिफारिशों को न मानने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया था.
2) उत्तर प्रदेश में सभी
तरह की वक्फ संपत्तियों को रेंट कंट्रोल कानून से मुक्त करने का काम किया गया.
3) नेता जी के द्वारा
हिंदुस्तान की मीठी भाषा ‘उर्दू’ को उत्तर
प्रदेश की द्वितीय राजभाषा के रूप में पहली बार असली मायने में
रोजी-रोटी-रोजगार-सरकारी नौकरियों से जोड़ने के लिए कारगर कदम उठाने का काम किया
गया था.
4) उत्तर प्रदेश में उर्दू
पढ़ाने के लिए उर्दू भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति करने का काम किया गया, जिनमें 60% से अधिक मुस्लिम महिला शिक्षिकाओं को भर्ती किया गया था. जिससे महिलाओं की
भागीदारी बढाने की पहल हुई.
5) सरकारी कार्यालयों में
उर्दू में लिखे प्रार्थना पत्र स्वीकार करने के निर्णय लिए गए. कार्य की सुविधाओं
के लिए हिंदी उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति सरकारी कार्यालय से लेकर पुलिस थाने तक
की गई. इसी स्कीम के तहत प्रदेश में उर्दू अनुवादक सहित कनिष्ठ लिपिक भी नियुक्त
किए गए. ताकि थाणे-तहसील में प्रार्थना पत्र
पढने में सहूलियत हो और न्यायसम्मत कार्य हो सके.
6) हर सरकारी नियुक्ति
जिसमें लिखित परीक्षा का प्रावधान हो हेतु उर्दू माध्यम से भी परीक्षा कराने के
निर्णय लिए गए. इस तरह नौकरियों में प्रवेश के लिए उर्दू जानने वालों को सुविधाएं
दी गई.
7) पुलिस तथा पीएसी बलों
में अल्पसंख्यकों की भागीदारी को बढाने का काम किया गया. नेता जी के कार्यकाल से
पहले यह भागीदारी मात्र 2% थी, को वर्ष 1994 तक 14% तक पहुँचाया. ताकि पुलिस कार्यवाही में भेदभाव से बचा जा सका.
8) अल्पसंख्यकों के
अंतर्गत मुस्लिम संप्रदाय की पिछड़ी-आर्थिक कमजोर वर्ग की 21 जातियों की सूची को 27% आरक्षण के अंतर्गत
शामिल करने का काम नेता जी के द्वारा किया गया.
9) बुनकरों की सहायता के
लिए सूत पर 15 रूपया प्रति किलो अनुदान की व्यवस्था की गई.और इसके अंतर्गत सूत को
कम दामों पर उपलब्ध कराने के लिए कई जिलों में डिपो भी खोलने का काम किया गया.
10) उद्योग में रोजगार के
अवसर बढ़ाने के लिए उद्योगों को सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की छूट और सुविधाएं
देने का काम किया गया. इसके अंतर्गत इसका लाभ लेने के लिए रोजगार देने वाली
इकाइयों को दलित-पिछड़ी-गरीब वर्ग की जातियों-अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को 10%
नौकरी देंने की शर्त जोड़ी गयी थी.
11) शिक्षा के क्षेत्र में
पहली बार प्रदेश में अल्पसंख्यक संस्थाओं को संविधान के अनुच्छेद-30 के अंतर्गत
स्वायत्तता प्रदान करने के लिए अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था घोषित करने की सरल एवं
समयबद्ध व्यवस्था बनाई गई, जिसकी इससे पहले ऐसी कोई व्यवस्था
नहीं थी. अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित जूनियर हाई स्कूल, माध्यमिक शिक्षण संस्थानों, प्राविधिक शिक्षण
संस्थाओं और डिग्री कॉलेजों को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई थी.
12) प्राथमिक स्तर पर उन
छात्र-छात्राओं को जिनकी भाषा उर्दू है, उनको उर्दू पढ़ाने की
समुचित व्यवस्था की गई. यदि किसी प्राथमिक विद्यालय में 5 से अधिक बच्चों की मातृभाषा उर्दू है तो उनकी पढाई के लिए उर्दू अध्यापक
की व्यवस्था की गयी.
13) नेता जी की सरकार ने
उत्तर प्रदेश में शिक्षा नीति के अंतर्गत ‘त्रिभाषा कार्यक्रम’
में उर्दू को भी उचित स्थान देने का काम किया गया.
14) नेता जी की सरकार के
द्वारा प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की पाठ्य पुस्तकों की अलग से समुचित व्यवस्था
की गई थी, ताकि अध्ययन सामग्री वाली पाठ्य पुस्तकों को
समय पर आने में कोई व्यवधान उत्पन्न हो.
15) उत्तर प्रदेश में
अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों में भी उर्दू भाषा को अपेक्षित महत्व दिया गया. इस
शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत खोले केंद्रों में से 10% केंद्रों में उर्दू भाषा में अनौपचारिक शिक्षा देने का निर्णय गया. इस
प्रकार अकेले वर्ष 1994 में लगभग 300 अनौपचारिक शिक्षा केंद्र उर्दू भाषा में शिक्षा देने के लिए खोले गए.
16) उत्तर प्रदेश में
अल्पसंख्यक समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक पिछड़ा और निरक्षर है, जिसके
कारण प्रदेश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है. नेता जी की सरकार के द्वारा
निरक्षरता मिटाने हेतु आवश्यकता अनुसार प्राथमिक, जूनियर हाई
स्कूल, इंटर कॉलेज खोले जाने के लिए भी कार्य किया गया ताकि
पिछड़े और गरीब लोगों के बच्चों को शिक्षा की सुविधा निकटतम स्थानों में मिल सके.
इस प्रकार नेता जी की सरकार ने अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में केवल एक वर्ष में 577 प्राइमरी स्कूल के साथ-साथ 144 जूनियर हाई स्कूल और इंटर स्कूल खोलने का
काम किया गया.
17) अल्संख्यक समुदाय के
छात्र-छात्राओं को भी अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों के समान छात्रवृत्ति देने
का काम किया गया.
18) उत्तर प्रदेश में मदरसा
स्कूलों में मुंशी/मौलवी के प्रमाणपत्रों को हाई स्कूल के प्रमाण पत्रों के समकक्ष
तथा आलिम के प्रमाणपत्रों को इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र के समान मान्यता दी गई. इस
सुविधा से 425 अरबी-फारसी मदरसों के लाखों
छात्र-छात्राओं की शिक्षा पूरी करने के बाद सरकारी नौकरियों में आवेदन पत्र भेजने
की पात्रता प्राप्त हुई. इसके साथ ही इन छात्र-छात्राओं को सामान्य शिक्षा
व्यवस्था में भी प्रवेश पाने के लिए पात्रता प्राप्त हो गयी. इस महत्वपूर्ण कदम से
शिक्षा और रोजगार के लाभ के साथ-साथ बड़ी संख्या में यह छात्र-छात्राएं राष्ट्र की
मुख्यधारा से भी जुड़ गए.
19) अल्पसंख्यकों के प्रति
जबरदस्ती को रोकने के लिए टाडा कानून को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को प्रबल
प्रस्तुति की गई. उत्तर प्रदेश में टाडा अधिनियम के अंतर्गत बिना सुनवाई और
चार्जशीट वाले जेलों में बंद कैदियों को छोड़ा गया. जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के 75% कैदी शामिल थे.[1]
20) मुलायम सिंह सरकार ने
जनवरी 1991 में पहली बार भारत में दंगे
रोकने के लिए विशेष शांति सुरक्षा बल का गठन का फैसला किया था.
21) मुलायम सरकार द्वारा
अल्पसंख्यक वर्ग को सुरक्षा उपलब्ध कराने और उनकी आर्थिक खुशहाली के लिए गंभीरता
से प्रयास रखें इसमें 57000 बुनकरों के 22 करोड रुपए का ऋण माफ कर दिया था.
22) दंगे रोकने के लिए
शांति सुरक्षा बल की बटालियन गठित की गई थी.
23) 1984 में भड़के दंगों में मृतकों की विधवाओं को 500 रू प्रति वर्ष पेंशन दी गई थी.
24) अल्पसंख्यक वर्ग की
शिक्षा संस्थाओं में व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई थी.
25) निजी क्षेत्र के रंगाई
छपाई वाले व्यक्तियों को सामूहिक बीमा योजना का लाभ पहुंचाया गया उनको उचित दर पर
कच्चा माल उपलब्ध कराने और निर्मित माल की बिक्री बढ़ाने की भी व्यवस्था की गई थी.
[1] समाजवादी बुलेटिन फरवरी
2002 प्रष्ठ-28-29