जनपद महोबा, बाराबंकी एवं मथुरा
में पंचायत उद्योग/पीपीपी मॉडल से कुटीर उद्योग के स्तर पर लो कास्ट सैनेट्री
नैपकिन का उत्पादन और विपणन का कार्य किया जा रहा है, जिससे
महिलाओं के स्वास्थ की सुरक्षा और गरीब महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाए
हैं ।
अखिलेश यादव की लोहिया आवास योजना
2012 में, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली यूपी
सरकार ने ग्रामीण गरीबों के लिए एक एकल आवास योजना शुरू की थी, जिसका नाम है
लोहिया आवास योजना रखा गया था । लोहिया आवास योजना, एक
सामाजिक कल्याण कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य यूपी में ग्रामीण गरीबों के लिए आवास
प्रदान करना था। योजना के तहत, शहरी और ग्रामीण गरीबों के
लिए योजनाओं में अंतर किया जाता है, क्योंकि योजनाओं का एक
अलग सेट शहरी गरीबों के लिए बनाये गए थे, यह योजना उन उम्मीदवारों के लिए प्रदान
की गई जिनके पास रहने के लिए कोई आवास नहीं था । राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में घर
उपलब्ध कराए गए थे ।
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की ऑनलाइन शिकायत सुविधा उपलब्ध कराया जाना-
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने महिलाओं के विरुद्ध होने वाले
अपराधों की शिकायत ऑनलाइन दर्ज किये जाने की व्यवस्था का निर्माण करने का काम
कराया था । समाजवादी सरकार ने सभी जनपद पुलिस प्रभारियों को निर्देशित किया गया था
कि वह ऑनलाइन शिकायतों पर तत्परता से कार्यवाही करते हुये पीडि़त महिलाओं की
शिकायतों का शीघ्रातिशीघ्र समाधान सुनिश्चित कराने तथा अपराध की स्थिति में मुकदमा
पंजीकृत कर कार्यवाही सुनिश्चित कराने का काम कराया गया था ।
समाजवादी
सरकार के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ के माध्यम से
महिला सम्मान प्रकोष्ठ द्वारा इनकी लगातार मोनिटरिंग की जा रही थी, जिसके
फलस्वरूप विभिन्न शिकायतों पर 262 मुकदमे भी देश के विभिन्न
थानों में महिलाओं के उत्पीड़न सम्बन्धी दर्ज हुये थे । प्राप्त ऑनलाइन शिकायतों
में सर्वाधिक शिकायतें हमीरपुर से 239, हरदोई से 190
तथा गोरखपुर से 115 प्राप्त हुई थी, जबकि सबसे कम शिकायत वाले जिले क्रमशः बागपत से 03, चित्रकूट
से 02 तथा शामली व पीलीभीत से 01-01 शिकायत
मिली और उनका निस्तारण कराया गया था ।
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन टेक्नोसेवी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा पुलिस विभाग
की वेबसाइट पर सिटीजन सर्विसेज लिंक के माध्यम से 30 मार्च 2014
से उपलब्ध कराई गई थी । इस व्यवस्था का लाभ मिलने से पीडि़त महिलाओं
को थाने जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराने की आवश्यकता नही रह गयी थी । पीडि़त महिलायें
स्वयं घर बैठे ऑनलाइन या उसकी ओर से कोई दूसरा व्यक्ति ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा
सकता था । शिकायतकर्ता द्वारा सबूत के तौर पर उत्पीड़न से संबंधित फोटोग्राफ अथवा
वीडियो भी अपलोड़ किये जाने की सुविधा इसमें दी गयी थी ।
बैठक
में वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस वेबसाइड पर की गयी शिकायत में शिकायतकर्ता
यदि अपना नाम, पता आदि गोपनीय रखना चाहें तो उसकी भी
अनुमति दी गयी थी । उक्त वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करते ही आवेदक के मोबाइल
नम्बर पर एक पासवर्ड आता था, जिसके माध्यम से वह समय-समय पर लॉग-इन
करके शिकायत पर हुई कार्यवाही की प्रगति को देख सकता था ।
उत्तर
प्रदेश पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ द्वारा 300 पुलिसकर्मियों को
जेन्डर सेन्सेटाइजेशन सम्बन्धी ट्रेनिंग करायी गयी थी । इसके अलावा उनके
कार्यालयों में सीधे सम्पर्क करने वाली 25 पीडि़त महिलाओं की
शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही करायी गयी थी । इसके अलावा कार्यालय में मिले 200
प्रार्थना पत्रों पर भी कार्यवाही भी की गयी थी ।