उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र
में अन्त्योदय परिवारों को दी जा रही समाजवादी सूखा राहत सामग्री को हर महीने
वितरित कराने का काम कराया था । मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में समाजवादी
सूखा राहत सामग्री वितरण का शुभारम्भ किया था। इस सामग्री से गरीब परिवारों को
मिलने वाली महत्वपूर्ण राहत को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया था । समाजवादी सूखा राहत
सामग्री के तहत प्रत्येक अन्त्योदय परिवार को 10 किलो आटा,
05 किलो चावल, 05 किलो चने की दाल, 25 किलो आलू, 05 लीटर सरसों का तेल, 01 किलो शुद्ध देशी घी तथा 01 किलो मिल्क पाउडर मुहैया
कराया गया था । यह सामग्री बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी सातों जनपदों के 02 लाख 30 हजार अन्त्योदय परिवारों को उपलब्ध करायी गयी
थी । बुन्देलखण्ड
क्षेत्र में सूखा प्रभावितों के लिए राज्य सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिनियम के
तहत 02 रुपये व 03 रुपये प्रति किलो की
दर से उपलब्ध कराए जाने वाले खाद्यान्न के भुगतान, मनरेगा के
तहत 100 के स्थान पर रोजगार दिवसों को बढ़ाकर 150 करने तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पात्र परिवारों को शत-प्रतिशत समाजवादी
पेंशन योजना के तहत आच्छादित करने का फैसला किया था ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए हर सम्भव उपाय करने, पशुओं के चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही, बुन्देलखण्ड के समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टें विद्युत आपुर्ति कराने का काम किया था. बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों में किसी भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति की भुखमरी से मौत न होने पाए, को लेकर समाजवादी सरकार ने हर संभव प्रयास करके लोगों को रहत पहुंचाने का काम किया था । साथ ही भुखमरी के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करके, उनके खिलाफ कठोर कार्यवाई करने के निर्देश दिए गए थे ।
समाजवादी सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मनरेगा के तहत रोजगार दिवस को 100 से बढ़ाकर 150 दिवस किया गया-
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन विजनरी और सुयोग्य नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
ने सूखे से प्रभावित बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखे की स्थिति को देखते हुए मनरेगा
के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रोजगार दिवसों को 100 से
बढ़ाकर 150 दिवस करने का फैसला भी लिया था, ताकि बेरोजगारी
की हालत में लोगों की परेशानी को दूर किया जा सके ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सूखा प्रभावित जनपदों के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु प्रति परिवार 50 मानव दिवस अतिरिक्त रोजगार देकर 150 मानव दिवस प्रति परिवार रोजगार दिए जाने का प्राविधान किया गया था । इस क्षेत्र के 07 जनपदों में 33339 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया था । महिलाओं की सहभागिता बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 32 से 43 प्रतिशत के मध्य है, जो राज्य के औसत 29 प्रतिशत से अधिक था । इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति की सहभागिता 29 से 54 प्रतिशत के बीच है तथा औसत 38 प्रतिशत है, जो राज्य के औसत 36 प्रतिशत से अधिक थी ।
समाजवादी सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कुल व्यय के सापेक्ष 74 प्रतिशत धनराशि कृषि एवं कृषि सम्बन्धी गतिविधियों पर खर्च कर रही थी । बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही थी । इनमें एकीकृत बागवानी मिशन, एससी, एसटी के किसानों हेतु औद्यानिक विकास योजना, बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अन्तर्गत औद्यानिक विकास योजना, बुन्देलखण्ड एवं विंध्य क्षेत्र में औद्यानिक विकास कार्य योजना आदि शामिल थी । इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही थी ।
आपदा के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र में समाजवादी पेंशन योजना, पशुओं के
चारे, पेय जल व्यवस्था कार्य-
बुन्देलखण्ड क्षेत्र को समाजवादी पेंशन योजना के अन्तर्गत शत-प्रतिशत आच्छादित करने तथा पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए हर सम्भव उपाय किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही, बुन्देलखण्ड समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टें विद्युत आपुर्ति करने तथा पशुओं के चारे की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए थे । समाजवादी सरकार द्वारा सूखा प्रभावित सभी जनपदों में राहत कार्य तेजी से संचालित किए गए ।
बुन्देलखण्ड
के सातों जनपदों में पशुओं के चारे की व्यवस्था के लिए प्रत्येक जनपद को एक-एक
करोड़ रुपए की धनराशि अर्थात 7 करोड़ रूपया की धनराशि
स्वीकृत की गई थी । प्रभावित क्षेत्रों के लिए 4 जनवरी,
2016 को प्रति जनपद 2 करोड़ रुपए एवं 19
फरवरी, 2016 को प्रति जनपद 3 करोड़ रुपए की धनराशि प्रभावित परिवारों को अहैतुक सहायता के रूप में
स्वीकृत की गई थी । जनपद झांसी को सरकार द्वारा अहैतुक सहायता वितरित करने के लिए 2.50
करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई । इस प्रकार अहैतुक सहायता के
रूप में बुन्देलखण्ड को 37.50 करोड़ रुपए
की धनराशि स्वीकृत की गई थी । वर्ष 2015 में किसानों को सूखे
के कारण हुई क्षति की भरपाई के लिए 15 जनवरी, एवं 22 मार्च, 2016 द्वारा
जनपद बांदा को 807.88 लाख रुपए, जनपद
चित्रकूट को 700 लाख रुपए, जनपद
हमीरपुर को 550 लाख रुपए, जनपद महोबा
को 757.88 लाख रुपए, जनपद झांसी को 700
लाख रुपए, जनपद ललितपुर को 800 लाख रुपए तथा जनपद जालौन को 198.97 लाख रुपए,
इस प्रकार कुल 4514.73 लाख रुपए की धनराशि
स्वीकृत की गई थी ।
ओलावृष्टि-2016 में किसानों को हुई फसलों की क्षति के सापेक्ष 22 मार्च, 2016 को जनपद बांदा को 35 लाख रुपए, हमीरपुर को 50 लाख रुपए, महोबा को 35 लाख रुपए तथा जालौन को 100 लाख रुपए अर्थात कुल 220 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई । इसी तरह ओलावृष्टि-2015 में हुई फसलों की क्षति के सापेक्ष किसानों को राहत वितरण किए जाने हेतु बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों को 1404.90 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के शत-प्रतिशत गरीब परिवारों को समाजवादी पेंशन योजना के तहत आच्छादित करने के क्रम में वर्ष 2014-15 में समाजवादी पेंशन योजना का कुल लक्ष्य 40 लाख व्यक्तियों को देने के लिए रखा गया था, जिसके सापेक्ष बुन्देलखण्ड हेतु 2,95,225 व्यक्तियों का लक्ष्य आवंटित किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में इस योजना हेतु आवंटित 5 लाख व्यक्तियों के अतिरिक्त लक्ष्य के सापेक्ष बुन्देलखण्ड हेतु 57890 व्यक्तियों का अतिरिक्त लक्ष्य आवंटित किया गया थ । वर्ष 2015-16 में बुन्देलखण्ड हेतु निर्धारित कुल लक्ष्य 3,53,115 व्यक्तियों को लाभान्वित किया गया । वर्ष 2016-17 में समाजवादी पेंशन योजना हेतु आवंटित 10 लाख के अतिरिक्त लक्ष्य के सापेक्ष बुन्देलखण्ड 1,94,500 व्यक्तियों का अतिरिक्त लक्ष्य आवंटित किया गया थ, जो अतिरिक्त आवंटित लक्ष्य का लगभग 20 प्रतिशत था । इस प्रकार वर्ष 2016-17 में बुन्देलखण्ड हेतु आवंटित कुल लक्ष्य 5,47,615 व्यक्तियों का था, जो समाजवादी पेंशन योजना के पूरे लक्ष्य 55 लाख व्यक्तियों का लगभग 10 प्रतिशत था । सभी जिलाधिकारियों को लाभार्थियों के चयन की कार्यवाही मई, 2016 तक पूरा करके उनका बैंक खाता खुलवाने के निर्देश दिए गए थे ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समस्त जनपदों में गम्भीर होती जा रही पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए हर सम्भव कदम उठाए जाने के अंतर्गत ग्राम्य विकास द्वारा पेयजल के संकट के समाधान के लिए, वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में विशेष रूप से 200 करोड़ रुपए की धनराशि का प्राविधान किया गया था । इसमें से 40 करोड़ रुपए की धनराशि नए हैण्ड पम्पों की स्थापना पर और संकट ग्रस्त क्षेत्रों में तत्काल पीने के पानी व्यवस्था हेतु टैंकरों से जलापूर्ति के लिए 10 करोड़ रुपए की धनराशि की कार्य योजना जल निगम द्वारा तैयार की गई थी । निर्माणाधीन एवं जीर्णोद्धार योग्य पाइप पेयजल योजनाओं को समयबद्ध ढ़ग से पूरा कराकर इस योजना पर तेजी से काम पूरा कराया गया था, साथ ही एकल एवं ग्राम समूह पेयजल योजनाओं को सम्बन्धित ग्राम पंचायतों एवं जल संस्थानों को संचालन एवं अनुरक्षण हेतु हस्तान्तरित करने की कार्ययोजना पर भी कार्यवाही को प्रारम्भ करके राहत पहुंचाने का काम किया गया था । त्वरित आर्थिक विकास योजना से कुल 3527 हैण्डपम्पों को रिबोर किया गया था ।
बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र में ‘सरफेस’ स्त्रोत आधारित पाइप पेयजल योजनाओं हेतु 1988 करोड़ रुपए की कार्ययोजना भारत सरकार को प्रेषित की गई थी । वित्तीय वर्ष 2016-17 में 500 करोड़ रुपए का बजट प्राविधान भी राज्य सरकार द्वारा किया गया था । इसके तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 407 ग्रामों को पाइप पेयजल योजना से लाभान्वित करने का कार्य किया गया ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के लिए पारेषण
स्कन्ध द्वारा कराए गए विभिन्न कार्य -
1. 25 करोड़ रुपए की लागत से 132 के.वी. उपकेन्द्र पनवाड़ी, जनपद महोबा, जिसकी क्षमता 2 गुणा 20 एम.वी.ए. का उर्जीकरण किया गया.
2. 220 के.वी. उपकेन्द्र बांदा
3. 132 के.वी. उपकेन्द्र औगासी, जनपद बांदा की क्षमता वृद्धि का कार्य पूरा किया है।
4. 132 के.वी. उपकेन्द्र बांदा,
5. 132 के.वी. उपकेन्द्र महोबा,
6. 132 के.वी. उपकेन्द्र हमीरपुर,
7. 132 के.वी. उपकेन्द्र चित्रकूट
इस प्रकार समाजवादी सरकार द्वारा 725 करोड़ रुपए की धनराशि निर्माणाधीन उपकेन्द्रों एवं तत्सम्बन्धी लाइनों पर खर्च की गयी थी ।
बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत कार्ययोजनाएँ-
1. 7172 नलकूपों का उर्जीकरण किया गया । जिस पर 99.68 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई थी ।
2. 1484 ग्रामों/बसावटों का उर्जीकरण किया गया । जिस पर 122 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हुई थी ।
3. 5731 बसावटों पर कार्य किये गए थे । जिस पर 472 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
4. बुन्देलखण्ड के क्षतिग्रस्त परिवर्तकों को 72 घण्टें के अन्तर्गत बदलने हेतु 27 गाडि़यां लगाई गई, जिन पर 1.78 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष व्यय किया जा रहा था ।
5. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 117 राजकीय नलकूपों का उर्जीकरण,
6. 50 नग 33 के.वी. उप केन्द्रों की क्षमता वृद्धि की गई, जिस पर 63.79 करोड़ रुपए व्यय हुए थे ।
7. 38 नये 33/11 के0वी0 उपकेन्द्रों का निर्माण कराया गया । जिस पर कुल 170.65 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हुई थी ।
8. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 250 कि.मी. 33 के.वी, 265 कि.मी. 11 के.वी. एवं 675 कि.मी. नयी एल.टी. लाइन बनाई गई थी ।
9. लगभग 170 करोड़ रुपए की लागत से 31 नये उपकेन्द्रों का निर्माण कार्य ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव श्री आलोक
रंजन सहित बुन्देलखण्ड मण्डल के मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को कड़े निर्देश
दिए थे कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सूखे को दृष्टिगत रखते हुए प्रभावित लोगों को
रोजगार उपलब्ध कराने हेतु ग्राम स्तर पर कैम्प लगाकर जॉब कार्ड बनवाए जाय । साथ ही
बुन्देलखण्ड के समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टे
विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए । खराब ट्रांसफार्मरों को तत्काल बदला जाए तथा
ट्रांसफार्मर का बफर स्टॉक बनाया जाए । साथ ही, विद्युत
दोषों का तत्काल निवारण किया जाए । मनरेगा
के अन्तर्गत बड़े तालाबों की खुदाई, वृहद स्तर पर कराई जाए
तथा मनरेगा के अन्तर्गत धनराशि समय से जनपदों को उपलब्ध कराई जाए । आवश्यकता होने
पर राज्य सरकार से भी धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए । झांसी मण्डल में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार खाद्यान्न उपलब्ध कराया
जाए तथा चित्रकूट धाम मण्डल में 35 किलोग्राम खाद्यान्न एफ.एस.ए.
रेट से उपलब्ध कराया जाए । पशुओं को चारा उपलब्ध कराए जाने के लिए कॉम्पैक्ट फूट ब्लॉक
तैयार रखे जाने के निर्देश भी दिए गए थे ।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि बुन्देलखण्ड में समाजवादी पेंशन योजना के तहत शत-प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को लाभान्वित कराया जाए । बुन्देलखण्ड में पात्र लाभार्थियों को अधिक से अधिक खाद्यान्न का वितरण सुनिश्चित कराने हेतु सम्बन्धित जिलाधिकारी आवश्यक सूचनाएं तत्काल खाद्य आयुक्त को उपलब्ध करा दें, ताकि जनपदों में वितरण हेतु खाद्यान्न की कोई कमी न होने पाए। उन्होंने पशुओं को भी पीने हेतु पानी तथा चारे की भी आवश्यकतानुसार व्यवस्था कराने के निर्देश दिए थे । सम्बन्धित जिलाधिकारियों को प्रत्येक दो दिन में बैठक कर यह प्रत्येक दशा में सुनिश्चित कराना ताकि बुन्देलखण्ड वासियों को किसी प्रकार की असुविधा न होने पाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि सूखे तालाबों एवं पोखरों को राजकीय एवं निजी नलकूपों से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कराकर पर्याप्त जल भरवा दिया जाए, ताकि पशुओं को पीने के पानी की दिक्कत न होने पाए। उन्होंने निर्देश दिए थे कि सिंचाई और ऊर्जा विभाग के प्रदेश स्तरीय अधिकारी संयुक्त रूप से तीन दिन दोनों मण्डलों के जिलों का भ्रमण कर जिलाधिकारियों से सम्पर्क कर सिंचाई एवं बिजली की समस्या के निराकरण के सम्बन्ध में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करने का काम करें । साथ ही कृषि फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन तेजी से पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाए ।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम को बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कराने हेतु आगामी जनवरी माह से झांसी मण्डल में प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलोग्राम खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी तथा फरवरी माह के स्थान पर जनवरी माह से ही चित्रकूट मण्डल में प्रत्येक कार्ड पर 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रतिमाह की उपलब्धता न्यूनतम दरों पर सुनिश्चित की गयी थी, जिसे राज्य सरकार अपने संसाधनों से पात्र लाभार्थियों को उपलब्ध कराया था । सूखे के कारण कृषि फसलों को हुई क्षति के सापेक्ष 1427.17 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को सम्मिलित करते हुए 2057.79 करोड़ रुपए का मेमोरेण्डम भारत सरकार को भेजा गया था ।
बुन्देलखण्ड के 7 जनपदों में सामान्य आपदाओं के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 770.50 लाख रुपए तथा ओलावृष्टि के मद में 140489.68 लाख रुपए की धनराशि निर्गत की गयी थी । कृषकों के मुख्य राजस्व देयों (भू-राजस्व एवं सिंचाई की वसूली) 31 मार्च, 2016 तक स्थगित किए जाने के साथ ही इस अवधि में सम्बन्धित विविध देयों की वसूली हेतु किसानों के विरुद्ध कोई उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न किए जाने के निर्देश दिए गए थे ।
बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में पेयजल
समस्या के समाधान के लिए लगने वाले इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्पों की संख्या
बढाई गयी !
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री
अखिलेश यादव के निर्देश पर बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सातों जिलों में पेयजल समस्या के तात्कालिक
समाधान के लिए लगाए जाने वाले इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्पों
की संख्या 2560 से बढ़ाकर 3226 कर दी
गई थी। समाजवादी सरकार ने इनकी स्थापना पर खर्च होने वाली धनराशि को भी 18.42
करोड़ रुपये से बढ़ाकर 21.57 करोड़ रुपये कर
दी गई थी।
समाजवादी सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल समस्या के समाधान के प्रति अत्यन्त गम्भीर रही है। इसलिए इन क्षेत्रों में लगने वाले हैण्डपम्पों की संख्या को बढ़ा दिया गया था । इस पुनरीक्षण के उपरान्त अब झांसी जनपद में 700 हैण्डपम्प, जालौन में 300, ललितपुर में 400, बांदा में 400, महोबा में 500, हमीरपुर में 426 और चित्रकूट जनपद में 500 हैण्डपम्प स्थापित किए गए थे । इस प्रकार इन सातों जिलों में पेयजल समस्या के समाधान के लिए कुल 3226 हैण्डपम्प स्थापित किए गए थे ।
मुख्यमंत्री द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र की पेयजल समस्या के तात्कालिक निदान के लिए 30 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई थी । इसके अन्तर्गत 18.42 करोड़ रुपये की लागत से 2560 हैण्डपम्प लगने थे । उन हैण्डपम्पों की संख्या बढ़ाकर 3226 कर दी गई, जिनकी स्थापना पर लगभग 21.57 करोड़ रुपये खर्च हुए थे ।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में तिल
उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सेक्टर से अतिरिक्त अनुदान योजना-
समाजवादी सरकार के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में तिल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सेक्टर से अतिरिक्त अनुदान की योजना की शुरुआत गयी थी , जिससे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कृषक तिल की खेती को अधिक क्षेत्रफल में कर सकें । समाजवादी सरकार के इस निर्णय के फलस्वरूप तिल के बीज पर पूर्व में देय 20 रुपए प्रति किग्रा अनुदान के अतिरिक्त 80 रुपए प्रति किग्रा अनुदान दिया जाने लगा था । औसतन एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 5 किग्रा तिल के बीज की आवश्यकता होती है । इस प्रकार प्रति हेक्टेयर 400 रुपए अनुदान देय हो गया था । बुन्देलखण्ड में कुल 3.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिल की खेती हेतु वर्ष 2015-16 में कुल 13 करोड़ रुपए अतिरिक्त व्यय भार आया था । यह धनराशि पूर्व से संचालित प्रमाणित बीजों पर अनुदान की योजना में प्राविधानित धनराशि से ही व्यय की गयी थी । आवश्यकता होने पर पुनर्विनियोग अथवा अनुपूरक मांग के माध्यम से भी धनराशि की व्यवस्था करने का काम किया गया था ।
वर्ष 2015-16 में योजना के सफल होने पर इसी अनुदान पैटर्न पर योजना को आगामी वित्तीय वर्षों में क्रियान्वित किए जाने हेतु विभागीय मंत्री को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने अनुमोदित कर दिया था । बुन्देलखण्ड के तिल की खेती करने वाले समस्त किसानों को यह अनुदान अनुमन्य किया गया था ।
रबी की फसल को वर्ष 2014 तथा 2015 में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में ओलावृष्टि एवं अतिवृष्टि से कृषकों की फसलों की बहुत क्षति हुई थी । अतः समाजवादी सरकार ने कम लागत, सूखे की सहनशक्ति रखने वाली तथा अच्छी आय देने वाली फसल होने के कारण बुन्देलखण्ड क्षेत्र में खरीफ 2015 में तिल की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना को संचालित करने का काम किया था । योजना से एक ओर जहां खरीफ आच्छादन में वृद्धि हुई थी, वहीं कृषकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ था ।
बुन्देलखण्ड
के 50 गांवों में सोलर साइकिल पेयजल संयंत्र स्थापित करने का काम-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल समस्या के समाधान के लिए समाजवादी साइकिल पेयजल योजना के अन्तर्गत सौर ऊर्जा एवं यांत्रिक ऊर्जा से संचालित संयंत्र स्थापित किये जाने का काम किया गया था । मुख्यमंत्री ने सरकार द्वारा स्थापित सोलर साइकिल पेयजल संयंत्र की उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुए इसके पहले चरण में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर 50 गांवों में ऐसे संयंत्र स्थापित किए गए थे ।
इन सयंत्रों के संचालन हेतु विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है । ये संयंत्र सौर ऊर्जा से संचालित है । साथ ही, सौर ऊर्जा न होने पर सूर्यास्त के बाद इस पम्प को साइकिल पैडल से पैडलिंग करके चलाया जा सकता है तथा संयंत्र में लगे अल्ट्रा फाइन फाइबर फिल्टर एवं क्लोरीनेटर के माध्यम से शुद्ध पेयजल प्राप्त होता रहता है । स्थापित किए गए एक संयंत्र से चौबीस घण्टे में लगभग 20 हजार लीटर शुद्ध पेयजल ग्रामवासियों को उपलब्ध हो जाता है ।
ललितपुर हवाई
पट्टी की रिकारपेटिंग हेतु रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति देने का
अनुरोध किया-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रीकर से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपद ललितपुर की हवाई पट्टी की रिकारपेटिंग राज्य सरकार के व्यय पर किए जाने हेतु अनापत्ति प्रदान करने का अनुरोध किया था । इस सम्बन्ध में उन्होंने श्री पर्रीकर को एक पत्र लिखा था । अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने ललितपुर की हवाई पट्टी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री को अवगत कराया था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस हवाई पट्टी का निर्माण हुआ था, जिसके लिए 273.70 एकड़ भूमि सेना द्वारा अधिग्रहीत की गई थी । द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात इस भूमि में से 64.74 एकड़ भूमि रक्षा विभाग द्वारा डीजीसीए को हस्तान्तरित की गई थी, जो राजस्व अभिलेखों में राज्य सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग के नाम दर्ज है और शेष भूमि बंजर व ऊसर है ।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में इस हवाई पट्टी की रिकारपेटिंग/पुनर्निर्माण कराए जाने के प्रयास किए गए थे । परन्तु रक्षा मंत्रालय द्वारा हमेशा भूमि के मालिकाना हक को लेकर आपत्ति की जाती रही है । इसी वजह से यह मामला लम्बित है और अभी तक हवाई पट्टी को ऑपरेशनल नहीं किया जा सका है । समाजवादी सरकार द्वारा अपने व्यय पर ललितपुर हवाई पट्टी की रिकारपेटिंग कराया जाना प्रस्तावित था । साथ ही ललितपुर हवाई पट्टी की रिकारपेटिंग होने के बाद उसे राज्य सरकार के साथ-साथ भारतीय सेना/वायु सेना द्वारा भी उपयोग किया जा सकता है, जिस पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी । उन्होंने पत्र में इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय की एनओसी शीघ्र प्रदान करने की अपेक्षा की थी ।
उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र अन्य जनपदों की तुलना में अभी विकसित नहीं हो सका । समाजवादी सरकार द्वारा इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे थे । बुन्देलखण्ड का ललितपुर जिला ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है और इस जिले का विकास होने से पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र को विकसित करने में गति प्राप्त होगी ।