नेताजी मुलायमसिंह यादव
नेताजी मुलायमसिंह यादव के जमीन से जुड़े होने के कारण औद्योगिक
विकास के साथ-साथ श्रमिकों के हितों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया. उन्होंने श्रमिक
हितों के संरक्षण हेतु एक सक्षम वर्किंग ग्रुप का गठन किया था. जिसने औद्योगिक
संगठनों तथा श्रमिक संगठनों के मध्य निरंतर वार्ता कर दोनों के हितों की रक्षा की.
समाजवादी सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में उपयोगी एवं
प्राथमिक पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का काम किया गया. श्रमिकों के लिए तकनीकी शिक्षण
कार्य में औद्योगिक संगठनों की भी सहायता ली गई. इस सन्दर्भ में समाजवादी सरकार
द्वारा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोलने के लिए हर संभव मदद दी गई.
मुलायमसिह
यादव के औद्योगिकीकरण में सबकी सहभागिता-
नेताजी मुलायमसिंह यादव की सरकार में उद्योग बंधु को और
कारगर ढंग से कार्य संपादित करने के लिए एक ‘त्रिपक्षीय वार्ता प्रणाली’ प्रारंभ
की. जिसके अंतर्गत उद्योग बंधु, उधमी सहित संबंधित विभाग आपस में संवाद करके नीति
नियामक प्रक्रिया पर विचार विमर्श करके अपनी समस्याएं सुलझा सकते थे. इसके साथ ही
विधिक प्रावधानों की समीक्षा कर परीक्षण के स्तर से प्रस्ताव पारित किए गए.
औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हेतु प्रस्तुत आवेदन पर व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम
से समय सारणी तैयार करके उसे आवश्यकतानुसार उद्योग की स्थापना हुई थी. सुविधाएं
मुहैया कराने की जाने की व्यवस्था की गई. नेताजी मुलायमसिंह यादव की सरकार ने
आवश्यकता अनुसार समय-समय पर औद्योगिक इकाइयों के संपर्क के माध्यम से बदलते परिवेश
के कारण विधि परिवर्तन हेतु संवाद बनाए रखें रखने में सक्षम रही रखने के पक्ष में
रही सरदार उद्यमियों के हितों की रक्षा के लिए औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों
को संयुक्त रूप से इस वर्किंग ग्रुप का गठन कर दिया गया व्यापार कर आधारभूत संरचना
स्थापना और पर्यावरण से संबंधित विभाग सरकार को प्रदान करते रहे इस प्रकार राज्य
सरकार धाम उद्योग की प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का भी गठन
किया गया जो औद्योगिक नीति एवं समस्या संबंधी मामलों पर विचार पर अपना सुझाव
प्रस्तुत करती रही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में औद्योगिक सलाहकार परिषद का गठन
किया गया जिसके सदस्य केंद्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारियों एवं एवं
वरिष्ठ अधिकारियों श्रम प्रतिनिधि शिक्षाविदों के अतिरिक्त औद्योगिक संगठनों के
प्रतिनिधि शामिल थे यह परिषद औद्योगिक नीति एवं उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण
संबंधी परामर्श देती थी.
नेताजी मुलायमसिंह यादव की सरकार द्वारा राज्य में औद्योगिक
विकास हेतु ऐसे प्राथमिक क्षेत्रों का निर्धारण किया गया, जो अधिकतम रोजगार का सृजन तथा
प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग कर सकें. इस बात का भी ध्यान रखा गया कि
औद्योगिक इलाकों में इकाइयां स्थापित हो सके. प्राथमिक
क्षेत्रों में कृषि उद्यान खाद्य प्रसंस्करण, पशु संपदा, खनिज संपदा, कपड़ा- हथकरघा, पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक तथा पर्यटन
से संबंधित उद्योग शामिल रहे. उद्योगों की स्थापना के पूर्व ही
विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन करने के उपरांत योजना तैयार कर क्षेत्रों में प्राथमिकता
दी गई. जो उच्च स्तरीय समिति द्वारा विचार विमर्श किए गए थे. इसके लिए विशेष नीति
तैयार की गई. नेताजी की सरकार ने इस बात का विशेष ख्याल रखा कि उद्योगों को अधिकतम
स्तर पर विकसित किया जा सके. समाजवादी सरकार ने ग्रामीण स्तर पर ग्रामीणों को रोजगार
सुलभ कराने के लिए हथकरघा उद्योग की ओर विशेष ध्यान लगाया गया था. नेताजी की सरकार
द्वारा बुनकरों को सस्ते दरों पर उपयुक्त सामान उपलब्ध कराने से लेकर क्षेत्रीय
सहकारी समितियों, प्राथमिक सहकारी समितियों तथा प्रदर्शनी आदि को भी सुदृढ़ करने
हेतु सही नीति निर्धारित की गयी. समाजवादी सरकार द्वारा बुनकरों को तकनीकी शिक्षा
के लिए सर्विस सेंटर और ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना कराई गई थी. हथकरघा से संबंधित
वस्तुओं के निर्यात के लिए ‘निर्यात पार्क’ की स्थापना की गई थी. ग्रामीण स्तर पर
औद्योगिक प्लांट स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्रों को भी प्रोत्साहित किया गया. सरकार
ने निजी संस्थाओं को राज्य में पूंजी लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया. इस दिशा
में खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मुलायमसिंह यादव जी उद्योगपतियों से मिलने के
लिए मुंबई और दिल्ली की यात्रा की. समाजवादी सरकार ने इस सन्दर्भ में कार्यकारी
समूह का गठन भी किया था. उद्योगों की स्थापना सम्बन्धी कमियों को दूर करने का
प्रयास किया गया.