Akhilesh Yadav: E-project management system for timely completion of development projects
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा वर्ष 2015-16
के लिए लागू किए गए विकास के एजेण्डे के अन्तर्गत चलायी जा रही
विभिन्न विकास परियोजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण के लिए ई-परियोजना प्रबन्धन
व्यवस्था लागू की गयी थी । यह ई-परियोजना प्रबन्धन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान की
तकनीकी सहयोग से विकसित की गयी थी । इस प्रबन्धन प्रणाली में परियोजनाओं के
क्रियान्वयन के लिए विभिन्न संस्थाओं को परियोजना के प्रति उत्तरदायी व जवाबदेह
बनाया गया था ।
ई-परियोजना
प्रबन्धन प्रणाली में 5 करोड़ रुपए से अधिक लागत के मार्ग,
पेयजल योजनाएं, सीवर/ड्रेनेज परियोजनाएं तथा
एक करोड़ रुपए लागत से ऊपर की अन्य निर्माणाधीन परियोजनाएं सम्मिलित की गयी थी ।
परियोजना की इकाई लागत के आधार पर उसे अनुश्रवण प्रणाली में सम्मिलित करने अथवा न
करने पर निर्णय लिया जाने का प्रस्ताव दिया गया था । शासन द्वारा निर्धारित
प्रक्रिया का पालन कर परियोजनाओं की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति सम्बन्धित
प्रशासनिक विभाग द्वारा निर्गत की जाती थी ।
नवीन
वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति निर्गत करने के बाद सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग तथा
कार्यदायी संस्था का यह दायित्व होगा कि वह स्वीकृति निर्गत होने की तिथि से एक
पक्ष में परियोजना को अलग-अलग चरणों में विभाजित करते हुए प्रत्येक चरण को पूर्ण
करने की सम्भावित तिथियों का निर्धारण करने, जिसे परियोजना के
माइल स्टोन के रूप में महत्वपूर्ण बनाया गया था । प्रत्येक परियोजना के एक से अधिक
माइल स्टोन होने और इन माइल स्टोन्स में टेण्डर प्रक्रिया, अन्य
विभागों से आवश्यक स्वीकृतियां/अनापत्तियां, निर्माण कार्य
के अलग-अलग चरण, उपकरण क्रय, पद सृजन
तथा अवस्थापना को सम्बन्धित विभाग को हस्तान्तरित कर क्रियाशील बनाना आदि सम्मिलित
की गयी थी ।
प्रदेश
में क्रियान्वित हो रही वृहद् परियोजनाएं जैसे-मेट्रो रेल परियोजना एवं अन्य
सिग्नेचर बिल्डिंग्स, जिनके अनुश्रवण हेतु पृथक रूप से
अनुश्रवण प्रक्रिया निर्धारित है, ई-परियोजना प्रबन्धन की
परिधि से बाहर रखी गयी थी । स्वीकृत परियोजना के प्रभावी अनुश्रवण हेतु सम्बन्धित
प्रशासनिक विभाग एवं कार्यदायी संस्था के स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने,
जिनका पदनाम, मोबाइल/फोन नम्बर तथा ई-मेल आई.डी.
ई-परियोजना प्रबन्धन में दर्ज किया जाता था । इसके अतिरिक्त प्रत्येक परियोजना को
संचालित करने के लिए उत्तरदायी अधिकारी/परियोजना प्रबन्धक का भी नाम, पदनाम, मोबाइल नम्बर तथा ई-मेल आईडी का विवरण
प्रणाली में दर्ज किया जाता था ।
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग तथा कार्यदायी संस्था
ई-परियोजना प्रबन्धन को संचालित करने हेतु नोडल अधिकारी के पदनाम सहित अन्य विवरण
नियोजन विभाग को तत्काल उपलब्ध कराना, जिससे उसे प्रणाली
में दर्ज किया जा सके। भविष्य में जब भी राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी में कोई
परिवर्तन होगा तो उसकी भी सूचना नियोजन विभाग को उपलब्ध कराया जाता था ।
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव
का यह दायित्व था कि परियोजनाओं की स्वीकृति आदेश निर्गत होते ही नोडल अधिकारी के
माध्यम से उनका विवरण ई-परियोजना प्रबन्धन में दर्ज हो तथा प्रत्येक कार्यदायी
संस्था परियोजना की वित्तीय व भौतिक प्रगति भी प्रणाली में नियमित रूप से दर्ज
करें। ई-परियोजना प्रबन्धन का सचिवालय नियोजन विभाग के अधीन कार्यरत योजना
अनुश्रवण एवं मूल्य प्रबन्धन प्रभाग, राज्य नियोजन संस्थान,
उ.प्र. को बनाया गया था ।
इस ई-परियोजना प्रबन्धन के माध्यम से
क्रियान्वित होने वाली परियोजनाओं की जिलावार व मण्डलवार रिपोर्ट भी प्राप्त की जा
सकती थी । प्रत्येक मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी का यह दायित्व था कि वह प्रत्येक माह
इन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा सम्बन्धित कार्यदायी संस्था के स्थानीय
अधिकारियों के साथ अनिवार्य रूप में सुनिश्चित करे । वह निर्माणाधीन परियोजनाओं की
प्रगति समीक्षा के साथ-साथ इनकी गुणवत्ता पर भी विशेष नियंत्रण रखने एवं परियोजना
के क्रियान्वयन में आने वाली विभिन्न प्रकार की बाधाओं को दूर करने का कार्य करते
थे ।