उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने
मई दिवस के अवसर पर विधान भवन के सम्मुख निर्मित हो रहे नये सचिवालय
भवन निर्माण में कार्यरत मजदूरों के साथ दोपहर का भोजन ग्रहण करके श्रमिकों के लिए
मध्याह्न भोजन योजना का शुभारम्भ किया था । योजना के तहत उत्तर प्रदेश भवन एवं
अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को मात्र दस रुपये में
मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था । यह योजना पाइलेट प्रोजेक्ट के रूप में
लखनऊ जनपद में प्रारम्भ की गई थी ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि किसी भी देश-प्रदेश की प्रगति में वहां के मजदूरों का बहुत बड़ा योगदान होता है, क्योंकि विशाल अवस्थापना योजनाएं जैसे मेट्रो रेल योजना, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, सी.जी. सिटी, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम अथवा अन्य योजनाएं श्रम शक्ति के बिना पूर्ण नहीं की जा सकती हैं । इनमें शुरू से लेकर आखिर तक श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । उन्होंने कहा था कि मजदूरों की इसी श्रम शक्ति का समाजवादी हमेशा से सम्मान करते आए हैं ।
1. श्रमिकों के लिए निःशुल्क साइकिल वितरण योजना का लाभ बड़े पैमाने पर मजदूर भाईयों को मिला ।
2. श्रमिकों के बच्चों के लिए बनने वाले आवासीय विद्यालय
3. श्रमिकों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना
60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके श्रमिक को एक हजार रुपये पेंशन- इस पेंशन देने की योजना का फायदा वृ़द्ध हो चले मजदूर को बहुत राहत देता था । इस योजना के तहत पेंशनधारक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी अथवा पति को आजीवन पेंशन देने की भी व्यवस्था की गयी थी । समाजवादी सरकार ने श्रमिकों के लिए संचालित बीमा योजना की धनराशि को बढ़ाने का भी काम किया था । अधिक से अधिक श्रमिकों को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए श्रम विभाग द्वारा उनके पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया ।
मध्यान्ह भोजन योजना
मध्यान्ह भोजन योजना का बड़े पैमाने पर लाभ श्रमिक
भाईयों को मिला। इससे उन्हें समय पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध हुआ, जिससे उनकी कुशलता बढ़ी, स्वास्थ्य
बेहतर रहा और वह बीमारियों से भी बचे । मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य निर्माण
स्थलों पर श्रमिकों को स्वच्छ एवं स्वास्थ्यप्रद भोजन उपलब्ध कराना था । योजना के
तहत कार्य स्थल पर दोपहर के भोजन के समय मजदूरों को उनकी इच्छा के अनुसार रोटी या
चावल के दो अलग-अलग मीनू में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था । रोटी मीनू के
टिफिन में 300 ग्राम रोटी (संख्या में लगभग 10-12), दो सब्जी, दाल, सलाद व गुड़
तथा चावल वाले मीनू के टिफिन में 400 ग्राम चावल, दाल, सब्जी, छोला, सलाद व गुड़ शामिल किया गया था । मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ कोई भी
पंजीकृत निर्माण श्रमिक अपनी इच्छानुसार ले सकता था । मध्यान्ह भोजन योजना के तहत
एक टिफिन का वास्तविक मूल्य 41 रुपए था, किन्तु श्रमिकों को मात्र 10 रुपए के भुगतान पर
टिफिन उपलब्ध कराया जा रहा था, शेष 31 रुपए का भुगतान उ.प्र. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड
द्वारा किया जा रहा था ।
मध्यान्ह भोजन योजना के प्रथम चरण में
इसे पाइलेट प्रोजेक्ट के रूप में लखनऊ जनपद के चार निर्माण स्थलों पर लागू किया
गया था । ये चार निर्माण स्थल मेट्रो रेल परियोजना, अमौसी,
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की अवध विहार योजना, वृन्दावन योजना (हिमालया एन्क्लेव) तथा निर्माणाधीन नवीन सचिवालय भवन थे ।
इन स्थलों पर उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (श्रम
विभाग) में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को मध्यान्ह भोजन 10 रुपए
में उपलब्ध होता था ।
अखिलेश सरकार द्वारा श्रमिकों के कल्याण के लिए चलाई गई अन्य योजना-
1.
राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के
कल्याण के लिए चलाई गई अन्य योजनाओं में शिशु हितलाभ,
2.
मातृत्व हितलाभ,
3.
बालिका मदद,
4.
पुत्री विवाह अनुदान,
5.
मेधावी छात्रवृत्ति आदि योजनाएँ शामिल
थी,
6.
मजदूरों के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध
कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा आवासीय विद्यालयों की योजना लागू की गई, जिससे
मजदूरों के बच्चे भी शिक्षित बन सकें । इस योजना के तहत पहले चरण में कन्नौज,
कानपुर, इटावा, फिरोजाबाद,
गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, ललितपुर,
भदोही, आजमगढ़ तथा बहराइच जनपदों में आवासीय
विद्यालय शुरू किए गए थे ।
प्रदेश में लगभग 27 लाख पंजीकृत निर्माण
श्रमिक थे । जनवरी 2016 से मार्च 2016 के
बीच पूरे प्रदेश में लगभग 3.66 लाख मजदूरों का पंजीयन कराया
गया था, जो एक उपलब्धि थी । इसके लिए उत्तर प्रदेश भवन एवं
अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा ऑनलाइन पंजीयन करने की सुविधा प्रदान
की गई थी ताकि मजदूरों को आर्थिक नुकसान न
उठाना पड़े । जनवरी, 2016 से श्रमिकों का पंजीयन जन सुविधा केन्द्रों से कराए जाने की व्यवस्था लागू
की गयी थी ।
उत्तर
प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा करीब 6.26 लाख
से अधिक निर्माण श्रमिकों को कई योजनाओं से लाभान्वित किया गया था, जिस पर लगभग 359
करोड़ रुपए खर्च किए गए थे । पेंशन योजना के विषय में उन्होंने कहा
कि इस योजना के तहत बोर्ड में पिछले तीन साल से पंजीकृत और 60 साल की आयु पूरी कर चुके 2630 श्रमिकों को हर महीने
पेंशन के तौर पर 1,000 रुपए दिए थे । यह राशि आरटीजीएस के
जरिए सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में अंतरित की जाती थी । पेंशन धारक की मृत्यु की
स्थिति में पति/पत्नी को आजीवन इस योजना से लाभान्वित किया जाना था ।