उ.प्र. विधान पुस्तकालय उन्नयन कार्य!
विधान
भवन स्थित उत्तर प्रदेश विधान पुस्तकालय के उन्नयन करी का लोकार्पण विधान सभा अध्यक्ष
श्री माता प्रसाद पाण्डेय की उपस्थिति में किया गया था । पुस्तकालय में संग्रहीत
पुस्तकों एवं अन्य साहित्य का अवलोकन किया गया था । विधान मण्डल की वर्ष 1893
की हस्तलिखित कार्यवाहियों, हाउसऑफ़ लॉर्ड्स एवं
हाउस ऑफ़ कॉमन्स, स्वतंत्रता से पूर्व की कार्यवाहियां तथा
ऐतिहासिक महत्व के अनेक साहित्यों को संरक्षण का कार्य किया गया था ।
पुस्तकालय
के उन्नयन कार्य के अन्तर्गत ऑटोमेशन कार्य तथा विधान सभा की कार्यवाहियों के
डिजीटाइजेशन कार्य किये गये, संसदीय प्रणाली में आधुनिकतम तकनीकी के उपयोग को
उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए समाजवादी सरकार ने किया था, जो किसी भी शोधकर्ता के
लिए एक शानदार सहायता प्राप्त करने का कदम है । समाजवादी सरकार के इस महत्वपूर्ण
प्रयास से पुस्तकालय की कार्यप्रणाली पूर्णरूप से कम्प्यूटरीकृत हो गयी है, डिजीटाइजेशन
से विधान सभा की कार्यवाहियां सुगमतापूर्वक आमजन को उपलब्ध हैं, पुस्तकालय की
महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ पुस्तकों की सुरक्षा की दृष्टि से आरएफआईडी गेट, पुस्तकों
में इलेक्ट्रानिक चिप तथा इनके आदान प्रदान का कार्य आटोमेशन के माध्यम से संचालित
किये जा रहे है । समाजवादी विकास विजन के प्रणेता तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री
अखिलेश यादव ने विधान पुस्तकालय के उन्नयन कार्यों, संग्रहों के रख-रखाव तथा
आकर्षक वातावरण तथा अधिक से अधिक पाठकों को इस पुस्तकालय से जोड़ने पर बल दिया था,
जिससे पुस्तकालय का लाभ प्रत्येक वर्ग के लोगों को प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा था कि विधायकगण व अन्य जनप्रतिनिधि इस सम्पन्न पुस्तकालय का अध्ययन
कर वृहद ज्ञान अर्जित कर सकते है ।
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने विधान सभा की विगत 25 वर्षों की कार्रवाइयों के डिजिटाइजेशन का शुभारम्भ करते हुए कहा था कि इसका लाभ सदस्यों के साथ-साथ
शोधकर्ताओं एवं आम आदमी को भी मिलेगा । विधान सभा की पूरी कार्रवाई के
डिजिटलाइजेशन को एक बेहतरीन पहल बताते हुए उन्होंने कहा था कि इससे क्षेत्रीय जनता
को अपने जनप्रतिनिधि की कार्यप्रणाली को वास्तविक रूप से देखने एवं समझने का अवसर
मिलेगा ।
विभिन्न
क्षेत्रों में तकनीक को बढ़ावा देने वाली समाजवादी सरकार द्वारा हाईकोर्ट के
अभिलेखों के साथ-साथ गजेटियर का भी डिजिटाइजेशन कराया गया था । इसी कड़ी में विधान
सभा की कार्रवाई का भी डिजिटाइजेशन कराया गया था। तकनीक के इस्तेमाल से जहां कार्य
तेजी से कम समय में सम्पादित किया जा सकता है, वहीं इससे पारदर्शिता के
साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण करना आसान होता है ।
समाजवादी सरकार ने
शासकीय कार्यों में तकनीक को बढ़ावा देकर प्रदेश के बारे में देश एवं दुनिया की धारणा
बदली और लोग समझने लग गए हैं कि उत्तर प्रदेश सही मायने में विकास के रास्ते पर
तेजी से आगे बढ़ रहा है । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा का ऐतिहासिक
महत्व है ।
विधान
सभा की कार्रवाई के डिजिटलाइजेशन का कार्य परसिस्टेन्ट सिस्टम लि. एवं सिमेण्टिकबिट्स के माध्यम
से कराया गया था । प्रथम चरण में विगत 25 वर्षों का
डिजिटाइजेशन किया गया था । जबकि द्वितीय चरण में वर्ष 1952 तक
की कार्रवाई पर कार्य कराया गया ।
बायोमीट्रिक
डिवाइस के माध्यम से पेंशनरों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट प्रणाली!
समाजवादी
विकास विजन के तहत उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने बायोमीट्रिक डिवाइस के माध्यम से
पेंशनरों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट प्रणाली का शुभारम्भ अपने कार्यकाल के
दौरान किया था ।
समाजवादी
सरकार ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा देने का काम किया
। लाइफ सर्टिफिकेट के लिए बायोमीट्रिक व्यवस्था के लागू हो जाने से पेंशनरों को
काफी राहत मिली । इस प्रणाली से ऐसे पेंशनर और पारिवारिक पेंशनर सबसे ज्यादा
लाभान्वित हुए थे, जो वृद्धावस्था में अपने परिवार के सदस्यों के साथ देश-विदेश के
किसी भी स्थान में निवास कर रहे थे । इस प्रणाली के तहत आधार संख्या आधारित डिजिटल
जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की व्यवस्था की गई थी । इस सुविधा के माध्यम से आधार
कार्ड में अंकित बायोमीट्रिक्स के आधार पर ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया
जाना सम्भव हुआ था । इस व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों
के पास आधार कार्ड होना आवश्यक है । यह सुविधा वर्तमान में लागू जीवन प्रमाण पत्र
जमा करने की प्रक्रिया के अतिरिक्त है । पेंशनर/पारिवारिक पेंशनर को इस सुविधा का
लाभ उठाने के लिए प्रथम बार रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपने सम्बन्धित कोषागार में
उपस्थित होना होता है । उन्हें अपने साथ आधार कार्ड, पेंशन
खाते की बैंक पासबुक की मूल प्रति तथा छायाप्रति, मोबाइल
नम्बर जिस पर वे सूचनाएं चाहते हों तथा पेंशन प्राधिकार पत्र (पीपीओ) लेकर जाना होगा । इस सुविधा से सम्बन्धित अधिक जानकारी प्राप्त करने के
लिए पेंशनर वेबसाइट को भी देख सकते हैं या अपने कोषागार से सम्पर्क कर सकते हैं ।
समाजवादी
सरकार ने ही पेंशनरों की विभिन्न समस्याओं की जनपद स्तर पर सुनवाई व निराकरण के
लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2015 में हर साल 17
दिसम्बर को पेंशनर दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया गया था । इसमें
प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित कर पेंशनरों,
पेंशनर संघों के पदाधिकारियों तथा जनपद के कार्यालयाध्यक्षों को
आमंत्रित किया जाता है, जिसमें पेंशनरों की पेंशन सम्बन्धी
समस्याओं की सुनवाई कर उनका निराकरण किया जाता है। इस वर्ष पेंशन दिवस के अवसर पर
मुख्यमंत्री द्वारा पेंशनरों को सुविधा प्रदान करने हेतु बायोमीट्रिक डिवाइस के
माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र जमा करने की सुविधा का शुभारम्भ किया गया ।
गृह विभाग की नवीनीकृत वेबसाइट
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विजनरी
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव नें गृह विभाग की नवीनीकृत वेब साइट का लोकार्पण
किया था । लोकार्पण कार्य यहां विधान भवन स्थित तिलक हॉल में आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के
सम्मेलन पुलिस वीक के तहत आयोजित किया गया था । गृह विभाग वेबसाइट (uphome.gov.in) को नवीनीकृत करते हुये उसे और अधिक सशक्त व
प्रभावी बनाया गया था तथा जिसके माध्यम से आम जनता के लिये अधिकाधिक महत्वपूर्ण
एवं जनोपयोगी सूचनाएं उपलब्ध कराने की दिशा में नई पहल की गई थी ।
वेबसाइट को और अधिक पारदर्शी एवं प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया था
तथा गुणवत्ता एवं सुरक्षा की दृष्टि सें यह वेबसाइट भारत सरकार द्वारा निर्धारित
मानकों के अनुरूप बनायी गयी थी । वेबसाइट के नये क्लेवर में पुलिस विभाग द्वारा
शुरू की जा रही नयी योजनाओं का विवरण ‘‘नया क्या है’’
शीर्षक के तहत दर्शाया जाता था । इसके अंर्तगत शासन द्वारा प्रदेश
पुलिस को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु लिये गये महत्वपूर्ण निर्णय आदि के विषय में आम
जन को विस्तार से जानकारी दी गयी थी ।
राज्य सरकार की
महत्वाकांक्षी परियोजना डायल 100, पुलिस विभाग के लिए बनने
वाली सिग्नेचर बिल्डिंग, वीमेन पावर लाइन 1090, पुलिस थानों एवं आवासीय भवनों का मानकीकरण, ऑपरेशन
स्माइल, स्मार्ट सिटी सर्विलांस योजना, महिला सम्मान प्रकोष्ठ, खोयी वस्तु रिपोर्ट सेवा,
विधि विज्ञान प्रयोगशाला का सुदृढ़ीकरण, सोशल
मीडिया पर यातायात पुलिस, जीआरपी हेल्पलाइन, एकीकृत यातायात प्रबन्धन प्रणाली, इन्टीग्रेटेड
टेक्नोलोजी इनेबिल्ड सेंन्ट्रिक सर्विसेज, विद्यालय संरक्षण
समूह आदि का विवरण भी विस्तार से नवीनीकृत वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था ।
आधुनिकीकरण के तहत
वेबसाइट के माध्यम से गृह विभाग का संक्षिप्त परिचय, गृह
विभाग मे तैनात विभिन्न अधिकारियों को सौंपे गये दायित्वों, गृह
विभाग के विभिन्न अनुभागों द्वारा सम्पादित किये जाने वाले कार्यो का संक्षिप्त
विवरण तथा अधिकारियों से संपर्क करने के लिये उनके फोन नम्बर्स, सीयूजी, ई-मेल आदि का विवरण भी वेबसाइट पर उपलब्ध
कराया गया था । जनसूचना अधिकार के लिये नामित अधिकारियो के बारे में भी सूचना
वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गयी थी ।
पुलिस विभाग एवं उसकी विभिन्न इकाईयों के
लिये बनायी गई विभिन्न नियमावलियों को भी इस वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, ताकि
संबंधित कर्मियों को भी इसकी अद्यतन स्थिति की जानकारी उपलब्ध होती रहे । विभिन्न
जनपदों में सीमांकन हेतु शासन द्वारा जारी की गयी अधिसूचनायें भी वेबसाइट पर
उपलब्ध करायी गयी । ‘‘नागरिक अधिकार’’ शीर्षक
के अंर्तगत गृह एवं पुलिस विभाग से संबंधित सेवाओं का विस्तृत विवरण भी वेबसाइट पर
उपलब्ध कराया गया । इस वेबसाइट को महत्वपूर्ण लिंक के तहत भारत सरकार एवं प्रदेश
सरकार की महत्वपूर्ण वेबसाइटों से भी जोड़ा गया था ।
पुलिस विभाग एवं उसकी
विभिन्न इकाईयों से संबंधित विवरण भी वेबसाइट पर पृथक-पृथक सर्वसाधारण की जानकारी
हेतु उपलब्ध कराया गया था । प्रदेश के सभी जोन, रेंज एवं
पुलिस के अधिकारियों के टेलीफोन नम्बर, ई-मेल आईडी एवं
सीयूजी नम्बर भी वेबसाइट पर प्रदर्शित किये गये । साथ ही साथ प्रदेश के सभी
जिलाधिकारियों के भी फोन नम्बर्स भी दिये गये थे । तत्कालीन समाजवादी सरकार के
कार्यकाल में प्रदेश पुलिस द्वारा की गयी महत्वपूर्ण उपलब्धियों, सराहनीय कार्यों आदि का विवरण भी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था ।
महिलाओ के विरूद्ध होने वाले अपराधों में प्रभावी कार्यवाही एवं महिला
सशक्तीकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किये गये प्रयासों जैसे महिलाओं के लिये
ऑनलाइन शिकायत की सुविधा, मानव तस्करी रोकने की दिशा में
शासन द्वारा किये गये महत्वपूर्ण प्रयासों एवं स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग लिये
जाने आदि के संबंध में भी वेबसाइट पर जानकारी दी गयी थी । साथ ही साथ जनहित में
जारी किये जाने वाले महत्वपूर्ण समाचारों आदि को मीडिया सेंटर के माध्यम से
दर्शाया गया था, जिसके तहत सूचना पट, फोटो गैलरी एवं वीडिया
गैलरी बनायी गयी थी । गृह विभाग की इस वेबसाइट का नवीनीकरण सिल्वरटच टेक्नोलाजीज
द्वारा किया गया था, जो कि यूपीडेस्को द्वारा इम्पैनल्ड थी ।
राज्य के विकास की परियोजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण के लिए ई-परियोजना प्रबन्धन
लागू की
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा वर्ष 2015-16
के लिए लागू किए गए विकास के एजेण्डे के अन्तर्गत चलायी जा रही
विभिन्न विकास परियोजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण के लिए ई-परियोजना प्रबन्धन
व्यवस्था लागू की गयी थी । यह ई-परियोजना प्रबन्धन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान की
तकनीकी सहयोग से विकसित की गयी थी । इस प्रबन्धन प्रणाली में परियोजनाओं के
क्रियान्वयन के लिए विभिन्न संस्थाओं को परियोजना के प्रति उत्तरदायी व जवाबदेह
बनाया गया था ।
ई-परियोजना
प्रबन्धन प्रणाली में 5 करोड़ रुपए से अधिक लागत के मार्ग,
पेयजल योजनाएं, सीवर/ड्रेनेज परियोजनाएं तथा
एक करोड़ रुपए लागत से ऊपर की अन्य निर्माणाधीन परियोजनाएं सम्मिलित की गयी थी ।
परियोजना की इकाई लागत के आधार पर उसे अनुश्रवण प्रणाली में सम्मिलित करने अथवा न
करने पर निर्णय लिया जाने का प्रस्ताव दिया गया था । शासन द्वारा निर्धारित
प्रक्रिया का पालन कर परियोजनाओं की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति सम्बन्धित
प्रशासनिक विभाग द्वारा निर्गत की जाती थी ।
नवीन
वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति निर्गत करने के बाद सम्बन्धित प्रशासनिक विभाग तथा
कार्यदायी संस्था का यह दायित्व होगा कि वह स्वीकृति निर्गत होने की तिथि से एक
पक्ष में परियोजना को अलग-अलग चरणों में विभाजित करते हुए प्रत्येक चरण को पूर्ण
करने की सम्भावित तिथियों का निर्धारण करने, जिसे परियोजना के
माइल स्टोन के रूप में महत्वपूर्ण बनाया गया था । प्रत्येक परियोजना के एक से अधिक
माइल स्टोन होने और इन माइल स्टोन्स में टेण्डर प्रक्रिया, अन्य
विभागों से आवश्यक स्वीकृतियां/अनापत्तियां, निर्माण कार्य
के अलग-अलग चरण, उपकरण क्रय, पद सृजन
तथा अवस्थापना को सम्बन्धित विभाग को हस्तान्तरित कर क्रियाशील बनाना आदि सम्मिलित
की गयी थी ।
प्रदेश
में क्रियान्वित हो रही वृहद् परियोजनाएं जैसे-मेट्रो रेल परियोजना एवं अन्य
सिग्नेचर बिल्डिंग्स, जिनके अनुश्रवण हेतु पृथक रूप से
अनुश्रवण प्रक्रिया निर्धारित है, ई-परियोजना प्रबन्धन की
परिधि से बाहर रखी गयी थी । स्वीकृत परियोजना के प्रभावी अनुश्रवण हेतु सम्बन्धित
प्रशासनिक विभाग एवं कार्यदायी संस्था के स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने,
जिनका पदनाम, मोबाइल/फोन नम्बर तथा ई-मेल आई.डी.
ई-परियोजना प्रबन्धन में दर्ज किया जाता था । इसके अतिरिक्त प्रत्येक परियोजना को
संचालित करने के लिए उत्तरदायी अधिकारी/परियोजना प्रबन्धक का भी नाम, पदनाम, मोबाइल नम्बर तथा ई-मेल आईडी का विवरण
प्रणाली में दर्ज किया जाता था ।
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग तथा कार्यदायी संस्था
ई-परियोजना प्रबन्धन को संचालित करने हेतु नोडल अधिकारी के पदनाम सहित अन्य विवरण
नियोजन विभाग को तत्काल उपलब्ध कराना, जिससे उसे प्रणाली
में दर्ज किया जा सके। भविष्य में जब भी राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी में कोई
परिवर्तन होगा तो उसकी भी सूचना नियोजन विभाग को उपलब्ध कराया जाता था ।
प्रत्येक प्रशासनिक विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव
का यह दायित्व था कि परियोजनाओं की स्वीकृति आदेश निर्गत होते ही नोडल अधिकारी के
माध्यम से उनका विवरण ई-परियोजना प्रबन्धन में दर्ज हो तथा प्रत्येक कार्यदायी
संस्था परियोजना की वित्तीय व भौतिक प्रगति भी प्रणाली में नियमित रूप से दर्ज
करें। ई-परियोजना प्रबन्धन का सचिवालय नियोजन विभाग के अधीन कार्यरत योजना
अनुश्रवण एवं मूल्य प्रबन्धन प्रभाग, राज्य नियोजन संस्थान,
उ.प्र. को बनाया गया था ।
इस ई-परियोजना प्रबन्धन के माध्यम से
क्रियान्वित होने वाली परियोजनाओं की जिलावार व मण्डलवार रिपोर्ट भी प्राप्त की जा
सकती थी । प्रत्येक मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी का यह दायित्व था कि वह प्रत्येक माह
इन परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा सम्बन्धित कार्यदायी संस्था के स्थानीय
अधिकारियों के साथ अनिवार्य रूप में सुनिश्चित करे । वह निर्माणाधीन परियोजनाओं की
प्रगति समीक्षा के साथ-साथ इनकी गुणवत्ता पर भी विशेष नियंत्रण रखने एवं परियोजना
के क्रियान्वयन में आने वाली विभिन्न प्रकार की बाधाओं को दूर करने का कार्य करते
थे ।