समाजवादी सरकार की समाज कल्याण योजनाएं
भारत
वर्ष में पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य,
शिक्षा एवं साक्षरता को समन्वित करते हुए समाज के निर्बल एवं गरीबी
की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का
संचालन वर्ष 2014-15 से किया गया था ।
गरीबों
और वंचितों के लिए श्री अखिलेश यादव के नेतृत्ववाली समाजवादी सरकार ने समाजवादी
पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन रु. 500/- प्रतिमाह, शिक्षा, स्वास्थ्य
परीक्षण से सम्बन्धित मानको के अनुपालन की दशा में पेंशन वृद्धि रू 50/- प्रतिवर्ष एवं अधिकतम पेंशन सीमा रु. 750/- प्रतिमाह
इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 55 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किये जाने
का काम किया था, जिसमें अनुसूचित जाति / जनजाति, अल्पसंख्यक
वर्ग अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के 55 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित करने
का काम किया गया था ।
गरीबों और वंचितों के लिए श्री अखिलेश यादव
के नेतृत्ववाली समाजवादी सरकार ने समाजवादी पेंशन योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता
प्राप्त करने वाले, विधवा, विकलांग अथवा
वृद्धावस्था पेंशन वाले, 0.5 हेक्टेयर सिंचित अथवा 1.0
हेक्टेयर सिंचित एवं 2.0 हेक्टेयर असिंचित
भूमि वाले किसान, बुन्देलखण्ड क्षेत्र, मिर्जापुर एवं
सोनभद्र में 1.0 हेक्टेयर सिंचित एवं 2.0 हेक्टेयर असिंचित भूमि के स्वामियों को समाजवादी पेंशन देने का काम किया
गया था । समाजवादी सरकार के मुखिया श्री अखिलेश यादव ने भूमिहीन, "हाथ से
मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम,
2013" के अन्तर्गत चिन्हित स्वच्छकार, दैनिक मजदूरी / खोमचा या
फेरी वाले, एकल महिला (विधवा / तलाकशुदा), विकलांग व्यक्ति मुखिया तथा विकलांगता
कम से कम 40 प्रतिशत, 18 साल से कम उम्र
के विकलांग बच्चे इस योजना से लाभ पाते थे
।
वृद्धावस्था / किसान पेंशन योजना
सपा
सुप्रीमो श्री अखिलेश यादव के नेतृत्ववाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 60
वर्ष या उससे ऊपर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले वृद्धों
को रु. 300/- प्रतिमाह पेंशन देने का काम कराया था । इसमें रु. 100/- राज्यांश
तथा रु. 200/- केन्द्रांश शामिल थी । भारत सरकार द्वारा 01
अप्रैल, 2011 से 80 वर्ष
या उससे ऊपर के वृद्धजनों को रु. 500/- प्रतिमाह
(केन्द्रांश) पेंशन प्रदान की जाती थी। पेंशन स्वीकृत किये जाने हेतु लाभार्थी का नाम
बीपीएल सूची 2002 में सम्मिलित होना आवश्यक होता है ।
पेंशनरों को पेंशन का भुगतान दो छमाही किश्तों में राष्ट्रीकृत बैंको अथवा बैंक
एक्ट-1976 के अन्तर्गत संचालित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको में
खुले खातों के माध्यम से किया जाता था । समाजवादी सरकार में 3854824 वृद्धजनों को पेंशन उपलब्ध करायी जा रही थी ।
शादी एवं बीमारी हेतु समाजवादी
अनुदान
समाजवादी
सरकार की यह योजना अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की पुत्रियों की शादी एवं उनके
परिजनों की बीमारी के इलाज हेतु विभाग द्वारा संचालित की गयी थी । उत्तर प्रदेश की नेता जी मुलायम सिंह
यादव द्वारा इस योजना के अन्तर्गत शासनादेश संख्या-1452/26-3-2005-4(188)/93 दिनांक 23 जून 2005 द्वारा
पात्रता हेतु शहरी क्षेत्र में अधिकतम रु. 25546/- तथा
ग्रामीण क्षेत्र में रु. 19884/- की वार्षिक आय सीमा
निर्धारित की गयी थी । अनुसूचित जाति की पुत्रियों की शादी हेतु रु. 10000/-
तथा उनके परिजनों के इलाज हेतु रु. 5000/- की
आर्थिक सहायता दी जाती थी । अनुसूचित जाति की पुत्रियों की शादी योजना में
बुन्देलखण्ड डिवीजन में रु. 20,000/- की धनराशि अनुमान्य थी ।
पारिवारिक
लाभ योजना
इस
योजना में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार के मुख्य
जीविकोपार्जन करने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर रु. 30,000/-
की एक मुश्त सहायता दिये जाने की व्यवस्था थी । आवेदक की आयु सीमा 18
वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष से कम रखी गयी थी ।
योजना में पूर्व में निर्धारित रु. 20,000/-
की आर्थिक सहायता को बढ़ा कर दिनांक 3 सितम्बर,
2013 से रू. 30,000/- कर दिया गया था ।
अत्याचार उत्पीड़न की दशा में आर्थिक सहायता
अनुसूचित
जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम-1989) तथा पीसीआर एक्ट 1955 के अन्तर्गत अनुसूचित जाति /
जनजाति के व्यक्ति जो गैर अनुसूचित जाति / गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों
द्वारा किये गये अत्याचार या उत्पीड़न से प्रभावित होते हैं , को अनुसूचित जाति / जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम-1989) के आधीन भारत के असाधारण राज पत्र दिनांक 31 मार्च,
1995 के भाग-2 खण्ड-3 में
प्रख्यापित "अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियमावली 1995
के आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें
50 प्रतिशत केन्द्रांश तथा 50 प्रतिशत
राज्यांश होता है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत
सरकार के अर्धशासकीय पत्र संख्या-11012/2/2008-पीसीआर (डेस्क) दिनांक 20 जनवरी, 2012 द्वारा
पूर्व में लागू सहायता की दरों में वृद्धि कर दी गयी थी । राज्य सकरार द्वारा 14
मई, 2012 को इस संबंध में शासनादेश जारी करते
हुए बढ़ी हुई दरों के अनुसार भुगतान करने के निर्देश समस्त जिलाधिकारियों को जारी
किये गए ।
जनपद
स्तर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा संबंधित जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक /
पुलिस अधीक्षक से अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989
एवं पीसीआर एक्ट 1955 के अन्तर्गत दर्ज
अपराधों का विवरण एवं उत्पीड़न से प्रभावित अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के
परिवारों का विवरण नियमित रूप से प्राप्त करके जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत किया
जाता था । बजट की अनुपलब्धता की स्थिति में सहायता राशि का भुगतान संबंधित
जिलाधिकारी द्वारा टीआर- 27 के अन्तर्गत धनराशि आहरित करके
किया जाता था ।
राज्य
सरकार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लोगों के प्रति अस्पृश्यता की भावना
समाप्त करने के लिए कृत संकल्प थी तथा उसकी कोशिश थी कि इस वर्ग के लोगों के प्रति
कोई अत्याचार अथवा उनका उत्पीड़न न हो ।