डा. राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तीकरण योजना
समाजवादी सरकार द्वारा डा. राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तीकरण योजना 2015-16 में परिकल्पित की गई थी । वर्ष 2015-16 के केन्द्रीय बजट में राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान को केन्द्रीय सहायता से डिलिंक कर दिया गया था, जिससे पंचायतों में ई-गवर्नेन्स लागू करने में कठिनाई आ रही थी । समाजवादी सरकार पंचायतीराज संस्थाओं में ई-गवर्नेन्स की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध थी । पंचायतीराज संस्थाओं में ई-गवर्नेन्स की उत्तरोत्तर वृद्धि किया जाना ही डा. राम मनोहर लोहिया पंचायत सशक्तिकरण योजना के क्रियान्वयन का मुख्य उद्देश्य था । इसके अलावा पंचायतों के सशक्तिकरण हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करना और प्रशिक्षण के माध्यम से पंचायतों का क्षमता विकास भी इस योजना के उद्देश्यों में शामिल था । यह योजना शत-प्रतिशत समाजवादी पार्टी की राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना थी । योजना के संचालन के लिए राज्य स्तर पर 02 समितियों का गठन किया गया था । जिसमे प्रमुख सचिव पंचायती राज विभाग की अध्यक्षता में ई-पंचायत स्टेट रिव्यू कमेटी गठित की गयी थी तथा निदेशक पंचायती राज की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति का गठन किया गया था ।
अवैधानिक
बैरियर हटाये गए!
मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने पंचायती राज विभाग के कार्यों की समीक्षा करके जिला पंचायतों
तथा अन्य संस्थाओं द्वारा विभिन्न
स्थलों पर लगाए जा रहे अवैधानिक बैरियरों से उत्पन्न होने वाली समस्या सामने आने
पर सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके
सम्बन्धित जनपदों में कहीं भी इस प्रकार के बैरियर न लगाए जाएं, क्योंकि इससे लोगों को असुविधा होती है और अन्य तरह की समस्याएं भी खड़ी
होती हैं । इन अवैधानिक बैरियरों के माध्यम से लोगों को आने-जाने में तथा माल ढुलाई इत्यादि में काफी दिक्कत का
सामना करना पड़ रहा था ।
उन्होंने जिलाधिकारियों को इसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे
। आम आदमी की इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखने के क्रम में मुख्यमंत्री द्वारा यह
निर्देश दिए गए थे ।
‘श्री जनेश्वर मिश्र सोलर स्ट्रीट लाइट योजना’
समाजवादी नेतृत्ववाली मंत्रिपरिषद ने 2,000 ग्राम पंचायतों में 08 सार्वजनिक स्थलों पर सोलर स्ट्रीट लाइट
संयंत्रों की स्थापना की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी थी । यह योजना ‘श्री
जनेश्वर मिश्र सोलर स्ट्रीट लाइट योजना’
के नाम से जानी जाती
है । इस योजना के द्वारा सौर ऊर्जा के माध्यम से स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था होने
पर गांवों में सामाजिक उत्थान के साथ-साथ ग्रामीण परिवेश में कार्य क्षमता, सामाजिक सुरक्षा आदि के बोध के साथ ही स्वच्छ
वातावरण का निर्माण भी हो सकेगा । राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा श्री
जनेश्वर मिश्र ग्रामों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु आवश्यकतानुसार सी.सी.
रोड का निर्माण, नाली निर्माण, इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्प की स्थापना एवं ग्रामों के
विद्युतीकरण के कार्य कराए जा रहे थे । विकास एजेण्डा सूत्र-25 (ख) के अनुक्रम में मंत्रिपरिषद द्वारा जनेश्वर
मिश्र ग्रामों में अवस्थापना कार्य हेतु वर्ष 2014-15 में चयनित 1,000 गांवों एवं वर्ष 2015-16 में चयनित होने वाले 1,000 श्री जनेश्वर मिश्र गांवों में उत्तर प्रदेश
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा 08 सार्वजनिक स्थलों पर सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों
की स्थापना का प्रस्ताव था ।
श्री जनेश्वर मिश्र ग्रामों में सोलर
स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना हेतु छाया रहित सार्वजनिक स्थल का चयन, खण्ड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी, परियोजना अधिकारी, यूपीनेडा की उपस्थिति में डुग-डुगी बजाकर अधिक
से अधिक ग्रामवासियों को एकत्रित कर ग्राम सभा की खुली बैठक में किया जाता था ।
संयंत्र की स्थापना हेतु आबादी के मध्य सार्वजनिक स्थान पर चैराहा/स्कूल/
आंगनबाड़ी/हाट/पंचायत घर जैसे स्थानों का चयन किया जाता था । चयनित स्थलों की सूची
खुली बैठक में पढ़कर सुनाई जाती थी । यदि किसी ग्राम में, पूर्व में,
किसी योजनान्तर्गत
पर्याप्त संख्या में सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना कराई गई हो तो उस
ग्राम में सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्र की स्थापना नहीं कराई जानी थी तथा नवीन श्री
जनेश्वर मिश्र ग्राम का चयन,
मण्डी परिषद
द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता था ।
परियोजना का क्रियान्वयन यूपीनेडा द्वारा
किया गया था । अभिकरण द्वारा प्रदेश के वित्तीय नियमों के अंतर्गत ई-टेण्डर के
माध्यम से संयंत्रों की आपूर्ति एवं स्थापना तथा 5 वर्ष के कम्प्रीहेन्सिव मेन्टिनेन्स के साथ दरें
एवं आपूर्तिकर्ता का चयन कर अनुबन्ध किया गया था एवं चयनित फर्मों को कार्यादेश
दिया गया । संयंत्र की स्थापना व्यक्तिगत स्थान/घर के अंदर नहीं की गयी थी । सोलर
स्ट्रीट लाइट संयंत्र की स्थापना हेतु ग्राम पंचायत का सहयोग स्थल चयन से संयंत्र
की स्थापना तक लिया जाता था । संयंत्र की स्थापना के उपरान्त सामुदायिक उपयोग हेतु
ग्राम पंचायत को हस्तगत किया जाता था । संयंत्रों की मरम्म्त, रख-रखाव तथा स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता के लिए 5 वर्ष के बाद भी सर्विस जारी रखने के उद्देश्य से
सम्बन्धित आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनिवार्य रूप से जनपदीय स्तर पर एक सर्विस सेण्टर
की स्थापना करने की शर्त जोड़ी गयी थी । वारण्टी अवधि के पश्चात् संयंत्रों का
संचालन/रख-रखाव पर होने वाले व्यय का वहन सम्बन्धित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाना
था । इन संयंत्रों की कार्यशीलता सुनिश्चित करने हेतु यूपीनेडा का टोल फ्री नं0 1800 180 0005 को उपलब्ध कराया गया था ताकि संयंत्रों के काम न
करने की दशा में ग्रामीणों द्वारा शिकायत दर्ज कराई जा सके । जनपद स्तर पर समय-समय
पर परियोजना की फीडबैक प्राप्त की जाती थी तथा फीडबैक के आधार पर योजना को और सुदृढ़ बनाने
के लिए व्यवस्था बनाई गयी थी ।
उ.प्र. सहकारी और पंचायत
लेखा परीक्षा सेवा नियमावली, 2015 के प्रख्यापन का प्रस्ताव मंजूर
मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर
प्रदेश सहकारी और पंचायत लेखा परीक्षा सेवा नियमावली, 2015’ के
प्रख्यापन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी । संविधान के अनुच्छेद-309 के
परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके और इस विषय पर समस्त विद्यमान नियमों
और आदेशों का अधिक्रमण करके ‘उ.प्र. सहकारी
और पंचायत लेखा परीक्षा सेवा नियमावली,
2015’ का प्रख्यापन
कराया जाना है। इसमें समूह ‘क’
एवं ‘ख’ (वेतन
बैण्ड-4 एवं 3)
के कुल 158 पद
हैं। इसके तहत मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी-1
पद, संयुक्त
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी-2 पद,
उप मुख्य लेखा
परीक्षा अधिकारी/प्रधानाचार्य-32 पद,
जिला लेखा परीक्षा
अधिकारी/प्रवक्ता के 123 पद हैं ।
जिला लेखा
परीक्षा अधिकारी के पद 50 प्रतिशत आयोग के माध्यम से तथा 50 प्रतिशत
पदोन्नति द्वारा भरे जाने हैं। उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, संयुक्त
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी के पद
शत-प्रतिशत पदोन्नति के पद हैं।
ब्लॉक प्रमुख संघ की
मांगों पर निर्णय लिया
उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने ब्लॉक प्रमुख संघ के सदस्यों की विभिन्न मांगों को धैर्यपूर्वक सुनकर यथाशीघ्र विचार कर
निर्णय लिए गए थे,
लोकतंत्र की मजबूती के लिए
पंचायती राज का मजबूत होना जरूरी है । इसके मद्देनजर समाजवादी सरकार ग्राम
पंचायतों को मजबूत बनाने का प्रयास लगातार कर रही थी । समाजवादियों की सदैव यह
कोशिश रही है कि ज्यादा से ज्यादा अधिकार पंचायत प्रतिनिधियों को दिए जाएं । अखिलेश
सरकार का यह प्रयास था कि ब्लॉक प्रमुखों के कद और गरिमा के अनुरूप उनको सम्मान
मिल सके और उनके अधिकारों में वृद्धि की जा सके।
प्रदेश के विकास और राज्य सरकार की योजनाओं के
प्रभावी संचालन में पंचायतीराज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका
है ।