अखिलेश की नगर विकास योजनायें
राज्य
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का गठन नगरीय क्षेत्रों के सुनियोजित विकास के साथ-साथ
आवासीय समस्या के समाधान हेतु की गई थी। इसके कार्यक्रम निम्न थे ;
आवास एवं विकास परिषद- प्रदेश
के नगरीय क्षेत्रों में आवास उपलब्ध कराने हेतु आवास एवं विकास परिषद अधिनियम 1965
के अधीन आवास एवं विकास परिषद का गठन 1966 में
किया गया है । सन 2016 तक प्रदेश
के 54 नगरों में परिषद कार्यरत थे।
परिषद द्वारा सबके लिए आवास योजना के अंतर्गत दुर्बल वर्ग आवास, अल्प आय वर्ग आवास, मध्यम वर्ग आवास व उच्च आय वर्ग
आवास योजना चलाई जा रही थी ।
विकास प्राधिकरण- प्रदेश
के विकासशील नगरों का सुनियोजित विकास सुनिश्चित करने हेतु उत्तर प्रदेश नगर योजना
एवं विकास अधिनियम 1973 के अधीन विकास
प्राधिकरण का गठन किया गया। प्रदेश में 2016 तक 27 विकास प्राधिकरण थे ।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना- स्वर्ण
जयंती शहरी रोजगार योजना की जगह 1 अप्रैल
2014 से प्रदेश के 82 चयनित शहरों में
शुरू किया गया । इसमें केंद्र व राज्य की भागीदारी 75 अनुपात
25 थी । इस योजना का उद्देश्य नगरीय क्षेत्र के निर्धन
बेरोजगारों को रोजगार और कौशल के आधार पर वेतन युक्त रोजगार के अवसरों का लाभ
उठाने में सक्षम बनाकर उनकी गरीबी और असुरक्षा को दूर करना था जिससे उनकी जीविका
में दीर्घकालीन सुधार हो सके ।
आदर्श नगर योजना- एक
लाख से कम आबादी वाले छोटे व मध्यम आकार नगर निकायों जहाँ नगर विकास संबंधी अन्य
कोई योजना संचालित नहीं थी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी राज्य सरकार
की योजना 2007-08 से शुरू की
गई, इस योजना में 100% धन राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता था
।
आसरा योजना- शहरी
क्षेत्रों के अल्पसंख्यक बहुल मलिन बस्तियों में कम लागत के रिहायशी मकान उपलब्ध
कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा यह योजना 20 अप्रैल 2013 को शुरू की गई थी । इस योजना के तहत
लगभग 3.96 लाख रुपए की लागत से 25 वर्ग
मीटर क्षेत्रफल पर मकान बनाया जाता था और कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाती थी ।
सेटेलाइट टाउन योजना- भारत
सरकार द्वारा देश के 7 मेगा शहरों के
आसपास के शहरों को सेटेलाइट टाउन के रूप में विकसित करने संबंधी योजना के अंतर्गत
राज्य में हापुड़ जिले के पिलखुवा नगर का चयन किया गया था ।
इंटीग्रेटिड टाउनशिप नीति- शहरी
क्षेत्रों में आवास एवं आवासीय भूमि की मांग की तुलना में सरकारी एजेंसियों की
सीमित संसाधन को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा निजी पूंजी आकर्षित करने हेतु इस
नीति की घोषणा 2005 में की गई इसके
अंतर्गत निजी विकास कर्ताओं द्वारा न्यूनतम 25 एकड़ में और
अधिकतम 500 एकड़ भूमि का क्रय कर आवासीय योजनाओं का विकास
किया जाता था ।
हाईटेक टाउनशिप नीति- निजी
विकासकर्ताओं द्वारा न्यूनतम 1500 एकड़ भूमि पर न्यूनतम 750 करोड़ रुपये का निवेश कर
अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधायुक्त टाउन विकसित करने के लिए इस नीति की
घोषणा की गई थी । इस नीति के तहत प्रदेश में 13 टाउन स्वीकृत
किए गए थे । लखनऊ, इलाहाबाद, गाजियाबाद,
बुलंदशहर आदि नगरों में 5 टाउन का विकास
प्रगति पर था ।
न्यू टाउनशिप नीति- निजी
निवेशकों के माध्यम से आधुनिक सुविधाओं एवं सुव्यवस्थित परिवहन प्रणाली से युक्त
तथा आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से स्टेबल ऐसे टाउन जो विद्यमान नगरीय
क्षेत्रों के बाहर उन नगरों के रूप में हो, विकसित करने हेतु इस नीति की घोषणा की गई थी ।