मुलायमसिंह यादव : स्वदेशी के असल झंडाबरदार
नेताजी
मुलायम सिंह यादव स्वदेशी के प्रति विशेष अनुग्रह रखते हैं. स्वदेशी उद्योग धंधा
हो अथवा स्वदेशी भाषा, उनका मानना रहा है कि विदेशी उद्योग भारत की पूंजी को बाहर
ले जाएंगे तथा विदेशी भाषा हमारे देश की जनसंख्या के बड़े हिस्सों को उनके
अधिकारों से वंचित करने में सहायक होगी. उन्होंने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के
विकास के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के विकास पर भी जोर दिया था. उन्होंने जोर देकर
कहा कि सरकारी भाषा आम बोलचाल की भाषा होनी चाहिए ताकि सरकार से जनता का सीधा
संवाद स्थापित हो सके तथा जनता सरकारी नीतियां योजनाओं का लाभ उठा सकें. इस
सन्दर्भ में इतिहास में देखने की आवश्यकता है. हमेशा से ही शासन की भाषा और आम जनता
की भाषा अलग-अलग रही है. प्राचीन काल में पाली प्राकृत की बात हो या मध्य काल में
उर्दू या फारसी की बात हो या अंग्रेजी काल में हिंदी-उर्दू और अंग्रेजी की बात हो.
आजादी के बाद भी वही स्थिति हिंदी, उर्दू या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हुए
व्यवहार को इंग्लिश के साथ देखा जा सकता है. यही कारण है कि भारत में अपनी भाषा के
प्रति इतना लगाव नहीं है, जितना अंग्रेजी के प्रति है. अंग्रेजी पढ़े-लिखे व्यक्ति
को ज्यादा बेहतर समझा जाता है जबकि अंग्रेजी मात्र एक भाषा है. जिसके माध्यम से
व्यक्ति अपनी भावना को व्यक्त करता है, न कि कोई ज्ञान सिद्धि का अंतिम साधन है.
इसलिए नेताजी मुलायम सिंह यादव हमेशा इस बात पर जोर देते रहे कि सरकार की भाषा ऐसी
होनी चाहिए, जिसके माध्यम से इस देश का समग्र और समुचित विकास हो सके. इन सभी
बातों को लेकर नेताजी ने हमेशा स्वदेशी पर
जोर दिया और यही कारण था कि उन्होंने स्वदेशी उद्योग धंधे में कुटीर और लघु उद्योग
और खासतौर से परंपरागत उद्योग लोहार, बढई, नाई, धोबी, कुम्हार या निषाद-केवट-मल्लाह
इन वर्गों के लिए काम करने में अपनी भूमिका निभाई.
राष्ट्रभाषा
‘हिंदी’ के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए उपेक्षित वर्गों का आगे बढ़ाने में सहायता
प्राप्त हो. इसलिए लोहिया तथा हिंदी विद्वानों के द्वारा हिंदी के उत्थान हेतु
समय-समय पर आंदोलन चलाए गए. किंतु परिणाम कुछ नहीं हुआ. नेताजी मुलायम सिंह
यादव ने सत्ता में आते ही हिंदी को सरकारी भाषा बनाया तथा समस्त सरकारी
क्रियाकलापों को हिंदी में करने के कठोर संदेश दिए निर्देश दिए गए. प्रतियोगी
परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त करने का काम किया गया था. स्वतंत्र
चेतना नामक अखबार ने इस विषय पर लिखा था कि यह स्वागत का विषय है कि उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री नेताजी श्री मुलायम
सिंह यादव
ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सारा सरकारी काम-काज हिंदी में करने की बात कही गई. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का हिंदी के प्रति प्रेम सर्वविदित
रहा है. उनका सदैव से मानना रहा है कि अंग्रेजी के साथ-साथ भारतीय भाषाओं का प्रयोग
हो.