उत्तर प्रदेश विधानसभा
में जनता पार्टी ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री राम नरेश यादव जी
ने नेताजी श्री मुलायमसिंह यादव को सहकारिता-पशुपालन और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय
का प्रभार सौंपा गया. नेता जी पहली बार एक महत्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री बनाए गए
थे और उनके मार्ग में चुनौतियां थी. उन्होंने इन चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करके
अपना कार्य कुशलता से संपादित किया. भारत में सहकारिता आंदोलन उन दिनों असाध्य रोग
से पीड़ित था, जिसे नेताजी जैसे ही कुशल चिकित्सक की आवश्यकता थी. सवाल यह था कि
सहकारिता-पशुपालन और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय की उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेश में
प्रासंगिकता क्या है और उस की दयनीय हालत के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं?
नेताजी के पास सहकारिता-पशुपालन
और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय को पुनर्जीवित करने की चुनौती थी.जिसे नेता जी ने
स्वीकार की. उन्होंने इसको गति प्रदान करने के लिए अनेक ठोस उपाय किए.
1)
उत्तर
प्रदेश में पहली बार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के सहयोग से ग्रामीण उपभोक्ता
वितरण योजना शुरू की गई. इसके तहत ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता सामग्री का वितरण
किया जाना सुनिश्चित किया गया.
2)
नेताजी
ने सहकारिता के क्षेत्र में 5500 लघु उद्योग इकाइयाँ स्थापित करने की योजना पर काम करना शुरू किया, ताकि 1.10 लाख ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध
कराया जा सके. 1977-78 के दौरान योजना के दूसरे चरण में प्रदेश
के 55 जिलों में इस तरह की 100 इकाइयाँ स्थापित करने का
निर्णय लिया गया था. इससे पूर्व वर्ष 1977 के दौरान 15
जिलों में ग्रामीण उद्योग स्थापित करने का प्रावधान किया गया था
3)
नेताजी
ने ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी बैंक की ब्याज दर को 25
कम करके 14% से 12% कर दी थी. ताकि ग्रामीण लोगों को सस्ती ब्याज
दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके.
4)
उत्तर
प्रदेश सहकारी समिति कानून में संशोधन करके सहकारी क्षेत्र को लोकतांत्रिक स्वरूप
प्रदान करने का काम नेता जी के कर कमलों के माध्यम से ही संभव हुआ था. इसके
अंतर्गत उन्होंने व्यवस्था दी थी कि कोई भी व्यक्ति जिसने मतदाता सूची का अंतिम
प्रकाशन से पहले यदि सहकारी बैंक की बकाया राशि का भुगतान कर दिया है तो उसे चुनाव
लड़ने और वोट डालने का अधिकार होगा.
5)
कांग्रेस
सरकार में सहकारी समिति बिना कार्यालय अपना कामकाज कर रही थी. इससे घपलों और
घोटालों की आशंका बनी रहती थी. समिति द्वारा कई बार लेन-देन को भी दर्ज नहीं किया
जाता था. फर्जी ऋण देना और निरक्षर की अंगूठा निशानी सादे कागजों पर ले लेना आम
बात थी. एक शानदार व्यवस्था बनाकर इसको नेताजी ने दूर किया. उन्होंने सहकारी समिति
के कार्यालय खोलने का अभियान शुरू किया.
6)
समूचे
उत्तर प्रदेश में कृषि से संबंधित वस्तुओं के भंडारण की व्यवस्था न होने के कारण
लोगों को बीज-खाद और कीटनाशक दवाएं आदि की वस्तुएं खरीदने में परेशानियों का सामना
करना पड़ता था. नेताजी ने विश्व बैंक से 2,50,00,000 रुपए स्वीकृत कराए और उससे बहुत उपयोगी सहकारी ग्रामीण गोदाम बनवाएं.
किसानों को बीज और खाद को उचित दामों पर उपलब्ध कराने का काम किया गया और किसानों
को राहत देने का काम किया गया.
7)
नेताजी ने
अपने मंत्री मंत्रित्व काल
में भूमि विकास बैंक की ऋण प्रक्रिया को भी आसान बनाने का काम किया था. नेताजी ने उत्तर
प्रदेश सहकारी भूमि विकास बैंक संशोधित संशोधित विधेयक के जरिए बैंकों से कर्ज
प्राप्त करने के लिए किसानों को अपनी जमीन गिरवी रखने का प्रावधान समाप्त कर दिया
गया था. इससे निरक्षर और कम पढ़े-लिखे गरीब और मजबूर किसानों को सुरक्षा मिली और उन्हें
दूसरे स्रोतों से भी कर्ज लेने के लिए उनकी जमीन सुरक्षित हुई. सूदखोरों और
महाजनों से बचाने के लिए यह बड़ा कदम उठाया गया था. एक बार जमीन को बंधक रखने के
बाद किसान दूसरा कर्ज नहीं ले पाता था. पहला कर्ज अदा होने तक उसे नया कर्ज लेने
का अधिकार नहीं था.इस कानून में संशोधन के बाद पहले कर्ज का कुछ भाग अदा होने पर गरीब
और मजबूर किसान को दूसरा कर्ज मिलने का रास्ता साफ करने का काम नेता जी के द्वारा
किया गया था. नेताजी के इस तरह के प्रयासों के बाद सहकारिता आंदोलन जनता के निकट
आता गया और जनता उसको मजबूत बनाने के लिए प्रयास करने लगी. नेताजी के इन किसान
प्रिय कदमों के कारण आर्थिक रूप से संपन्न दबंग लोगों से आम किसान को बचाने का काम
नेता जी के द्वारा किया गया था. पुरानी फिल्मों में किसानों के साथ होने वाले
अत्याचार को तो आपने देखा ही होगा. ऐसे ही अत्याचार और अन्याय से किसानों को बचाने
का काम किया गया था. उत्तर प्रदेश में आर्थिक रूप से संपन्न जातियों के बीच लंबे
समय से चली आ रही आर्थिक खाई को पाटने का प्रयास नेताजी के विशेष प्रयासों के
द्वारा ही संभव होना शुरू हुआ.
8)
पशुपालन
के क्षेत्र में भी नेताजी ने बहुत सारे प्रयास किए और इस क्षेत्र को प्रोत्साहित
किया.
9)
चारे
के लिए निर्धारित 12,000
हेक्टेयर भूमि को बढ़ाकर 15,000 हेक्टेयर किया गया था.
10)
पशुओं
के लिए सी-मेन की कृत्रिम व्यवस्था करने से कृत्रिम गर्भधारण में भी वृद्धि करने
का काम किया गया.
11)
नेताजी
ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मल्लाह-निषाद-मछुआरों को तालाबों के स्थायी पट्टे
पर देने की शुरुआत की थी.
12)
नेताजी
के द्वारा ही दुधारू पशु पालन और दुग्ध समितियों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण
कदम उठाए गए. उत्तर प्रदेश सहकारी डेयरी संघ के माध्यम से दुग्ध समितियों को 35 लाख रुपए से अधिक की सहायता राशि देकर उनको सक्षम
बनाने का काम किया गया. यह राशि आज के समय हजारों करोड़ रूपया के बराबर है.
13)
नेताजी के द्वारा सहकारिता के क्षेत्र में अनुसूचित जाति-जनजाति और समाज के
दलित-कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. जिससे वे स्वयं
को हीन महसूस ना करें और कंधे से कंधा मिलाकर समाज के साथ चल सके. इसके तहत
गाजीपुर और बलिया जिले के 4 प्रखंडों में विकास योजना शुरू की गई थी और भूमिहीन लोगों के बीच दुधारू पशुपालन
संबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया गया और इनसे सम्बंधित सुधारों में तेजी लाने
का काम किया गया.
14)
नेताजी
द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरों में सिलाई-कढ़ाई और बुनाई जैसे आर्थिक
रुप से संचालन के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना कराई गई थी.
नेताजी के दरवाजे आम जनता
के लिए हमेशा खुले रहे रहे हैं. वे उनकी बातों को धैर्य और शांति से सुनते और दूर
करने का तत्काल प्रयास करते हैं. वे विपक्षी नेता को भी भरपूर सम्मान देते रहे हैं.
उनके अच्छे सुझाव को मानते और सकारात्मक आलोचनाओं को महत्व देकर अपेक्षित सुधार
करने का भी कार्य करने की क्षमता केवल और केवल माननीय नेता जी के अंदर ही थी.