Akhilesh Yadav's demand for finance for power generation from the Union
Ministry of Energy and New and Renewable
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विजनरी और प्रगतिशील मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय ऊर्जा तथा नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय से सिंचाई
विभाग के ग्रिड संचालित राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को ग्रिड एवं सौर ऊर्जा
के हाइब्रिड मॉडल से संचालित करने की परियोजना हेतु भारत सरकार के (एम.एन.आर.ई.) केन्द्रीय अनुदान अंश 360 करोड़
रुपए को अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया था । साथ ही, उन्होंने
इण्डियन रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेण्ट एजेंसी (इरेडा) के 700 करोड़
रुपए के ऋण को भी अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया था । उत्तर प्रदेश के लघु एवं
मध्यम किसानों के लिए यह देश की सबसे वृहद, क्लीन एवं ग्रीन
ऊर्जा की अभिनव परियोजना थी । जिससे प्रदेश में स्वच्छ, हरित
एवं पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य था । राजकीय नलकूपों एवं
लघु डाल नहरों की सृजित सिंचाई क्षमता के बेहतर उपभोग से लघु एवं मध्यम किसानों के
लिए लगभग 2.0 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र में
वृद्धि करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य था । इससे किसानों को समय पर सिंचाई सुविधा
सुनिश्चित होनी थी और इससे उत्तर प्रदेश की उत्पादकता एवं खाद्य सुरक्षा में
बढ़ोत्तरी होती, पर केंद्र सरकार ने सहयोग नहीं दिया । इससे सरकारी नलकूपों व लघु
डाल नहरों के संचालन के लिए गुणवत्तापूर्ण, निर्बाध एवं
सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति प्राप्त होती ।
राजकीय नलकूपों एवं
लघु डाल नहरों की ग्रिड ऊर्जा से संचालन की निर्भरता कम होने से ग्रिड ऊर्जा में
बचत होगी, जिसे अन्य उद्देश्य हेतु उपयोग में लाया जा सकता
था । अखिलेश यादव की प्रस्तावित परियोजना से लगभग 142 मेगावाट
विद्युत का उत्पादन अनुमानित था, जो कि प्रदेश के विकास के
लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हो रही हैं । राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों के
प्रत्येक यूनिट हेतु अलग से सोलर पैनल स्थापित किए जाने के कारण ट्रांसमिशन,
डिस्ट्रीब्यूशन के व्यय एवं विद्युत हानि में कमी आई । प्रस्तावित
हाइब्रिड सिस्टम से राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को संचालित किए जाने के
प्रथम वर्ष में ही लगभग 150 करोड़ रुपए की बचत अनुमानित थी ।
परियोजना के
प्रस्तावित कार्यों के सम्बन्ध में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा
था कि प्रथम चरण में 6,076 राजकीय नलकूपों तथा 57 लघु डाल नहरों को हाइब्रिड मॉडल (सौर ऊर्जा एवं ग्रिड ऊर्जा) के माध्यम से
संचालित करने का काम किया जा रहा है । फोटो वोल्टाइक सोलर पैनल की स्थापना की
जाएगी । सोलर सबमर्सिबिल पम्प सेट, सोलर पम्प कण्ट्रोलर,
इन्वर्टर, मॉडम एवं कैमरों की स्थापना तथा नेट
मीटरिंग व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी थी। इनके अलावा रियल टाइम मोनिटरिंग करने और
अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में स्थानांतरित किए जाने का भी कार्य किया गया था।
6,076 राजकीय नलकूपों तथा 57 लघु डाल नहरों के
हाइब्रिड मॉडल से संचालन हेतु 1285 करोड़ रुपए लागत की
परियोजना का गठन किया गया था, जिसके सम्बन्ध में केन्द्रीय
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 15 जनवरी, 2016 के पत्र द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान हेतु सैद्धान्तिक
सहमति दी जा चुकी थी। इसी प्रकार इरेडा के 06 फरवरी,
2016 के पत्र द्वारा प्रदेश सरकार की गारण्टी पर 10 वर्ष की भुगतान अवधि हेतु 700 करोड़ रुपए का ऋण दिए
जाने हेतु सैद्धान्तिक सहमति दी गयी थी । समाजवादी शासन ने 11 अप्रैल, 2016 के पत्र द्वारा नवीन एवं नवीकरणीय
ऊर्जा मंत्रालय से अनुदान दिए जाने हेतु अनुरोध किया था । साथ ही, 23 मई, 2016 को लिखे पत्र द्वारा इरेडा से ऋण दिए जाने
हेतु अनुरोध किया गया था । 14 राजकीय नलकूपों को सौर ऊर्जा
एवं ग्रिड ऊर्जा के हाइब्रिड मॉडल से संचालित किए जाने का सफल प्रयोग भी किया जा
चुका था । इस परियोजना को मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित किया जा चुका था । इसके
क्रियान्वयन हेतु निविदा प्रपत्र एम.एन.आर.ई. की गाइड लाइन्स एवं
विभागीय नियमों के आधार पर तैयार पर एमएनआरई एवं इरेडा को भेजे जा चुके थे । ई.पी.सी. कॉन्टेक्टर के चयन हेतु
शासकीय एवं वित्तीय पुस्तिका के नियम एवं शर्तों के अधीन ई-निविदा के माध्यम से
तीन भागों में निविदा आमंत्रित कर पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए
कार्यवाही करने का काम किया गया था । इरेडा के ऋण की वापसी राज्य सरकार द्वारा 10
वर्षों में प्रस्तावित की गई थी ।
परियोजना के अन्य
वित्तीय विवरण की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने उल्लेख किया था कि 6,076 राजकीय नलकूपों हेतु 1193 करोड़ रुपए लागत आई थी ।
इसी प्रकार 57 लघु डाल नहरों की लागत 93 करोड़ रुपए थी । इस लागत से 142 मेगावाट सौर ऊर्जा
उत्पादित कराने का काम समाजवादी सरकार ने किया था । केन्द्रांश तथा इरेडा के ऋण की
कुल धनराशि 1060 करोड़ रुपए थी । इस परियोजना की राज्यांश
धनराशि 225 करोड़ रुपए का प्राविधान वित्तीय वर्ष 2016-17
के बजट में किया गया था । तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश
यादव ने लघु एवं मध्यम किसानों के हित के लिए राजकीय नलकूपों एवं लघु डाल नहरों को
सौर एवं ग्रिड ऊर्जा के हाइब्रिड मॉडल में परिवर्तित कर संचालित किए जाने की परियोजना
हेतु भारत सरकार के (एमएनआरई) केन्द्रीय अनुदान अंश तथा
इरेडा के ऋण को अवमुक्त किए जाने का अनुरोध किया था ।