उत्तर
प्रदेश के तत्कालीन विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जनपद श्रावस्ती में ‘हौसला
पोषण योजना’ का शुभारम्भ किया था, उत्तर प्रदेश के लोगों खासकर महिलाओं और बच्चों का
स्वास्थ्य व पोषण समाजवादी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है । इसी तथ्य को
ध्यान में रखते हुए महिलाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा और पोषण
के लिए जो काम समाजवादी सरकार ने किया है, वैसा किसी अन्य
सरकार ने नहीं किया । समाजवादी हमेशा से मानते रहे हैं कि जब तक प्रदेश में
स्वास्थ्य मानक बेहतर नहीं होंगे, तब तक देश में भी
स्वास्थ्य मानक बेहतर नहीं हो सकते । इसलिए विजनरी समाजवादी नेता श्री अखिलेश यादव
ने ‘‘हौसला पोषण योजना’’ की शुरूआत की थी । समाजवादी विचारधारा ही वह विचारधारा है,
जो गांव, गरीब, किसान,
मजदूर, वंचित सहित हर वर्ग को साथ लेकर चलने
का काम कर सकती है । उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी सरकारों का कार्यकाल उत्तर
प्रदेश के विकास का दस्तावेज है।
जनपद श्रावस्ती के अति पिछड़े
और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बाहुल्य इलाके के मोतीपुर कला गांव में ‘हौसला पोषण योजना’ का शुभारम्भ करते समय विजनरी समाजवादी नेता श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि
गर्भवती माताओं तथा अतिकुपोषित बच्चों के पोषण के लिए अपने संसाधनों से ‘हौसला पोषण योजना’ जैसी योजना को जमीन पर उतार कर
समाजवादी सरकार ने एक उदाहरण पेश किया है। उत्तर प्रदेश के बच्चों और गर्भवती
महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए संचालित किये गए इस कार्यक्रम हेतु 700 करोड़ रुपये का प्रबन्ध किया गया था। ‘हौसला पोषण
योजना-फीडिंग कार्यक्रम’ से गर्भवती माताओं एवं बच्चों में
कुपोषण दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई ।
समाजवादी सरकार ने राज्य पोषण मिशन के तहत हौसला पोषण योजना की
शुरुआत की थी । इस योजना के माध्यम से प्रदेश की लगभग 10 लाख
गर्भवती माताओं तथा लगभग 14 लाख अतिकुपोषित 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों
पर हफ्ते में 6 दिन दोपहर में पका-पकाया भोजन तथा एक मौसमी
फल मुहैया कराया जाता था । इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को
हफ्ते में 3 दिन भोजन के साथ दही भी दिया जाता था । अतिकुपोषित
बच्चों को 20 ग्राम प्रति बच्चे प्रतिदिन की दर से महीने में
आधा किलो देशी घी दिया जाना, गर्भवती महिलाओं को भोजन के साथ आयरन की गोली तथा 3
वर्ष से 6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिए
घर पर ग्रहण करने हेतु बिस्किट पैकेट/मुरमुरा चना दिया जाता था । साथ ही आंगनबाड़ी
केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं को तथा अतिकुपोषित बच्चों की माताओं को पोषण एवं
स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श भी दिया जाता था ।
गर्भवती महिलाओं को भोजन के साथ आयरन की लाल गोली का सेवन कराया
जाता है तथा सप्ताह में तीन दिन पीसीडीएफ से आपूर्तित होल मिल्क पाउडर से तैयार
दही भी दिया जाता है । अतिकुपोषित बच्चों को प्रतिदिन 20 ग्राम
देशी घी के आधार पर महीने में 500 ग्राम देशी घी का पैकेट भी
उपलब्ध कराया जाता था। 03 साल से 06 साल
के अतिकुपोषित बच्चों के लिए घर पर ग्रहण करने के लिए सायंकालीन आहार की भी
व्यवस्था की गयी थी । यह योजना प्रदेश के लगभग 01 लाख 80
हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में संचालित हो रही थी, जिसमें 20 हजार नगरीय केन्द्र भी शामिल थे । योजना
के संचालन का दायित्व ग्राम प्रधान और आंगनबाड़ी कार्यकत्री पर था तथा इसके लिए धन आवंटन उनके संयुक्त बैंक खाते
में किया जाता था ।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के
सम्बन्ध में श्रावस्ती जनपद के आकड़े सबसे पीछे होने की वजह से समाजवादी सरकार ने श्रावस्ती जनपद से ‘हौसला पोषण योजना’ की शुरुआत की थी । समाजवादियों ने सभी क्षेत्र में काफी काम किया है और
लगातार काम कर रहते रहे हैं । सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई के लिए भी हर सम्भव
कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए तकनीक की सहायता लेने के साथ ही वीडियो, रिकार्डेड स्टडी मैटीरियल आदि की जरूरत होने पर इन्तजाम करने की एक
महत्वकांक्षी परियोजना पर काम भी चल रहा था, ताकि बच्चों की
पढ़ाई की अच्छी सुविधा मिले । समाजवादियों ने सभी योजनाओं को बिना किसी भेद-भाव के
लागू किया गया ।
समाजवादी नेता श्री अखिलेश
यादव ने ‘हौसला पोषण योजना’ को प्रभावी ढंग से लागू करने के उद्देश्य से जनपद श्रावस्ती के एक गांव को
‘राज्य पोषण मिशन’ के अन्तर्गत गोद
लेने का भी निर्णय लिया था । उन्होंने मुख्य सचिव से भी अपेक्षा की थी कि वे
बहराइच जनपद के एक गांव को गोद लें । योजना के अन्तर्गत गर्भवती महिलाओं और
अतिकुपोषित बच्चों को एक पूर्ण आहार और पोषण विषयक परामर्श उपलब्ध कराने के
साथ-साथ उनका नियमित वजन लिए जाने की सुविधा भी प्रदान की गयी थी । ‘हौसला पोषण योजना’
के ट्रायल जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी द्वारा समस्त गोद ली
गई ग्राम सभाओं में किया गया था । तत्कालीन मुख्यमंत्री के समीक्षा करते समय अवगत
कराया गया था कि मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों, मुख्य विकास अधिकारियों एवं मण्डलीय व जनपदीय अधिकारियों द्वारा 7,643
ग्राम सभाएं गोद ली जा चुकी थी । जिला प्रशासन द्वारा मासिक समीक्षा
कर मिशन की गतिविधियों का प्रभावी अनुश्रवण भी किया जाता था । इस योजना के
अन्तर्गत 6 सहयोगी विभागों के मध्य आवश्यक समन्वयन के दृष्टिगत
मुख्य विकास अधिकारी को मिशन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नामित किया गया था ।
राज्य पोषण मिशन के
अन्तर्गत अतिकुपोषित बच्चों के वजन की मासिक ट्रैकिंग, उनके
पोषण की स्थिति के श्रेणीकरण एवं जनपदस्तरीय अनुश्रवण के डाटा की अपलोडिंग ‘सुपोषण वेबसाइट’ पर की गयी थी । पोषण एवं स्वास्थ्य
सम्बन्धी सेवाएं मासिक स्तर पर प्रदान करने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र के स्तर पर
मौजूद प्लेटफॉर्म को और अधिक प्रभावी और सक्रिय बनाया गया था ।
सितम्बर, 2015 के दौरान मिशन के तत्वावधान में
बच्चों में कुपोषण की स्थिति के आकलन के लिए वजन दिवस का आयोजन किया गया था। इसके
फलस्वरूप आईसीडीएस विभाग द्वारा परम्परागत रूप से चिन्हित अतिकुपोषित बच्चों की
संख्या 14 लाख थी । सितम्बर, 2015 के
मध्य इसी मिशन के तत्वावधान में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर की
जांच हेतु अभियान के रूप में मातृत्व सप्ताह का आयोजन किया गया था। इसके
परिणामस्वरूप प्रसव पूर्व पंजीकरण की संख्या 29 लाख से बढ़कर 37
लाख ( 25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी ) हो गई। इस अभियान
के तहत एक लाख महिलाएं अतिगम्भीर गर्भावस्था में पहली बार चिन्हित हुईं थी ।
लगभग 2.2 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों,
आशाओं एवं एएनएम को AAA प्लेटफॉर्म के रूप में
प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि इनके द्वारा वीएचएनडी में दी
जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सके । लगभग 45,000 ग्राम प्रधानों का पोषण सम्बन्धी अभिमुखीकरण भी कराया गया था । गोद ली गई
ग्राम सभाओं में अतिकुपोषित बच्चों में सुधार की स्थिति राज्य स्तर पर 21.4
प्रतिशत जा पहुंची थी, जबकि गोद ली गई समस्त
ग्राम सभाओं में यह 24.5 प्रतिशत । प्रदेश के विभिन्न
जिलाधिकारियों द्वारा गोद ली गई ग्राम सभाओं में सुधार की स्थिति 35.6 प्रतिशत, जबकि मुख्य विकास अधिकारी द्वारा गोद ली गई
ग्राम सभाओं में यह सुधार 30.2 प्रतिशत रही थी ।
समाज में पोषण के प्रति जागरूकता लाने की
दृष्टि से बेसिक शिक्षा विभाग के पाठ्यक्रम में शैक्षणिक सत्र 2016-17 से पोषण मिशन को
सम्मिलित किया गया था । इसके अन्तर्गत कक्षा 1 से कक्षा 8
के पाठ्यक्रम में पोषण मिशन से सम्बन्धित विभिन्न गतिविधियों जैसे
पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से सम्बन्धित अध्यायों को
शामिल किया गया था ।
राज्य पोषण मिशन के व्यापक
प्रचार-प्रसार के दृष्टिगत पोषण से सम्बन्धित 5 विज्ञापन फिल्मों एवं 5
रेडियो जिंगिल्स तैयार कराए गए और उनका टीवी चैनलों एवं रेडियो पर
सूचना विभाग के माध्यम से प्रसारण सुनिश्चित कराया गया था । प्रचार के लिए 2.3
लाख पोषण विषयक कैलेण्डरों का वितरण भी सुनिश्चित किया गया । साथ ही,
मुख्यमंत्री की तरफ से सभी विधायकों, ग्राम
प्रधानों, ग्राम सभाएं गोद लेने वाले अधिकारियों एवं
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों/आशा/एएनएम0 को 3.5 लाख ऐडवोकेसी पत्रों का भी वितरण किया गया था । पोषण मिशन को मजबूती
प्रदान करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश को Scaling Up Nutrition (SUN), जो पोषण के क्षेत्र में बेस्ट प्रैक्टिसेस के आदान-प्रदान के लिए एक
विश्वस्तरीय प्लेटफॉर्म है, में शामिल किया जा चुका है। 57
देशों के इस प्लेटफॉर्म में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र
के बाद शामिल होने वाला एक मात्र राज्य था ।