उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने राज्य की 17
पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किए जाने हेतु
भारत सरकार से शीघ्र कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया था । इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री
ने केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचन्द गेहलोत को एक पत्र
लिखा गया था ।
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने पत्र में उल्लिखित
किया था कि 17 पिछड़ी जातियों (कहार,
कश्यप, केवट, मल्लाह,
निषाद, कुम्हार, प्रजापति,
धीवर, बिन्द, भर,
राजभर, धीमर, बाथम,
तुरहा, गोडि़या, मांझी
तथा मछुआ) को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किए जाने हेतु राज्य सरकार के
प्रस्ताव पर महारजिस्ट्रार द्वारा की गई टिप्पणी के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश सरकार
ने 01 अप्रैल, 2015 को अतिरिक्त
सामग्री सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को उपलब्ध करा दी है । ये 17 जातियां अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित किए जाने हेतु सभी पात्रताएं,
अर्हताएं और योग्यताएं रखती हैं । प्रकरण में अत्यधिक विलम्ब हो
जाने के कारण प्राथमिकता पर कार्रवाई अपेक्षित है ।
योगी सरकार ने वापस लिया 17 जातियों को OBC से SC
वर्ग में शामिल करने का आदेश
उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उत्तर प्रदेश
में 17 अति पिछड़ी जातियों को
अनुसूचित जाति में शामिल करने के मामले में यू टर्न लिया था । इस सन्दर्भ में
बीजेपी की प्रदेश सरकार ने अपना पुराना फैसला वापस ले लिया है । प्रदेश सरकार ने
जून में अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में
शामिल करने का फैसला लिया था । उत्तर प्रदेश सरकार 17 ओबीसी
जातियों को एससी का सर्टिफिकेट नहीं दे सकेगी ।सरकार ने इनको एससी वर्ग में शामिल
करने का आदेश जारी कर दिया था। सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल
करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी ।