समाजवादी सुप्रीमों अखिलेश यादव विकास के लाभ को गरीबों, वंचितों
और अल्पसंख्यकों तक पहुंचाने के हमेशा पक्षधर रहे हैं । अपनी सरकार के दौरान उत्तर
प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार ने केवल विकास और जनकल्याण के कामों पर ही फोकस
किया था । जितना विकास कार्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने किया था, उतना कार्य देश के किसी भी अन्य राज्य की सरकार ने नहीं किया है । आसरा
आवास योजना के तहत एक कमरे की जगह दो कमरे के आवास उपलब्ध कराए गए थे । निःशुल्क ‘आसरा आवास आवंटन’ एवं ‘समाजवादी
ई-रिक्शा योजना’ के तहत ई-रिक्शा वितरण किये गए थे । राज्य
सरकार ने बहुत बड़ी संख्या में शहरी व ग्रामीण गरीबों को आसरा आवास तथा लोहिया आवास
जैसी योजनाओं के माध्यम से निःशुल्क आवास उपलब्ध कराने का काम कराया गया था ।
जिसके चलते गरीब अपने मकान के मालिक बन गए थे ।
उत्तर प्रदेश की
समाजवादी सरकार देश की एकमात्र ऐसी राज्य सरकार रही है, जिसने अपने कार्यकाल में
ही योजना का शिलान्यास भी किया और उसका उद्घाटन भी किया । शहरी गरीबों को बुनियादी
सुविधाएं मुहैया कराने हेतु सरकार ने नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
विभाग के अधीन सूडा के तहत आने वाले प्रदेश के सभी जनपदों के डूडा कार्यालयों के
माध्यम से शहरी गरीबों के हितार्थ अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं क्रियान्वित की थी ।
राज्य सरकार द्वारा शहरी गरीबों के लिए अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों तथा नगरीय
मलिन बस्तियों में ‘आसरा योजना’ के
माध्यम से निःशुल्क आवास प्रदान करने की योजना प्रारम्भ की गयी थी।
वर्ष 2012-13 में शुरू हुई इस योजना के तहत
नगरीय गरीब बस्तियों में कम लागत के रिहायशी मकान चयनित पात्र लाभार्थियों को
उपलब्ध कराकर शहरी गरीबों को आवासीय सुविधा की तंगी के समाधान के साथ ही उनके जीवन
स्तर में बदलाव और सामाजिक परिवेश में सुधार का बीड़ा उठाया गया था । उत्तर प्रदेश
सरकार द्वारा इसके तहत अब तक कुल 33,941 आवास स्वीकृत किये
गये हैं ।
समाजवाद
के आधुनिक पुरोधा नेताजी मुलायम सिंह यादव ने निःशुल्क ई-रिक्शा उपलब्ध कराने पर समाजवादियों
की राज्य सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाने पर सरकार के
दायित्व निर्वहन पर प्रशंसा की थी,
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन
मुख्यमंत्री विजनरी श्री अखिलेश यादव ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीब
रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा निःशुल्क प्रदान कर उन्हें मालिक बनाने का काम किया है ।
इससे हाड़तोड़ मेहनत करने वाले गरीब रिक्शा चालकों की तरक्की का रास्ता खुल गया है
। उन्होंने
कहा था कि आज 100 रिक्शा चालकों से उनके पुराने रिक्शे
वापस लेकर, उनकी जगह लगभग 1.80 लाख से अधिक की लागत के
आधुनिक तकनीक (बैटरी/मोटर चालित) ई-रिक्शों का मालिकाना हक दिया जा रहा है ।
जैसे-जैसे कम्पनी रिक्शे बनाकर राज्य सरकार को उपलब्ध कराती जाएगी, वैसे-वैसे रिक्शा चालकों को ई-रिक्शे मिलते जाएंगे ।
प्रथम चरण में 27,000 ई-रिक्शे वितरित
किए गए थे । इसके लिए राज्य सरकार ने लगभग 372 करोड़ रुपए की
व्यवस्था की थी । समाजवादी राज्य सरकार ने राज्य के खजाने का पैसा जनता की भलाई के
लिए इस्तेमाल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी ।
गरीब रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा उपलब्ध कराकर तत्कालीन समाजवादी सरकार
गरीब तबके को हीन भावना से उबारने का प्रयास किया, जो गरीबी
के कारण अपने तथा अपनी भावी पीढ़ी के लिए गरीबी के कारण कोई ख्वाब नहीं देख पाते
हैं। प्रदेश की समाजवादी सरकार ने चरणबद्ध तरीके से ई-रिक्शा उपलब्ध कराकर आदमी
द्वारा आदमी को खींचने की इस परम्परा को पूरी तरह से बंद करने में बहुत हद तक
सफलता पाई । जो लोग रिक्शा चलवाने का बिजनेस करते हैं, उन्हें
इस योजना का कतई लाभ नहीं मिलने का प्रबंध किया गया और यदि कोई ऐसा व्यक्ति पकड़ा
जाता है तो उसके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की अनुशंसा समाजवादी सरकार ने की थी ।
ई-रिक्शा योजना किराए पर
पैडल रिक्शा लेकर रिक्शा चलाने वालों को हाड़-तोड़ मेहनत से बचाने, उनका
आत्मविश्वास और उनकी कमाई बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गयी थी । समाजवादी सरकार
ने इस योजना के तहत गरीब रिक्शा चालकों को निःशुल्क ई-रिक्शा उपलब्ध कराये गए थे ।
जिससे वे बिना किसी दबाव के अपना काम अपनी सुविधा से कर सकते हैं और अपनी आर्थिक
स्थिति मजबूत बना सकते हैं ।
इस ई-रिक्शा की लागत
लगभग 01 लाख 69 हजार रुपये थी । जिसमें
रिक्शा चालकों को परिवहन विभाग से सम्बन्धित रजिस्ट्रेशन प्रपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट शुल्क सहित राष्ट्रीयकृत
बीमा कम्पनी से निर्गत बीमा सुविधा शामिल थी, जिन्हें निशुल्क उपलब्ध कराने का काम
श्री अखिलेश यादव सरकार ने कराये थे ।
आसारा योजना के तहत प्रदेश सरकार द्वारा 33941 आवास
स्वीकृत किये गये थे, जिनकी कुल परियोजना लागत 1465.61
करोड़ रुपये थी । बहुमंजली अपार्टमेन्ट्स के रूप निर्मित किये गये इन
आवासों में से प्रत्येक में एक कमरा, रसोई, बाथरूम, शौचालय और एक छोटा सा बरामदा उपलब्ध कराये
गए थे । प्रत्येक आवास की लागत लगभग 4.19
लाख रुपये थी ।
मानव चालित निजी
रिक्शा चालकों को मुफ़्त ई-रिक्शा उपलब्ध कराने की योजना के तहत भी मुख्यमंत्री तथा
नगर विकास मंत्री द्वारा प्रदेश के 31 ज़िलों के 2000 लाभार्थियों को ई-रिक्शे वितरित किये गये थे । इन रिक्शों को बिल्कुल
मुफ़्त देने के साथ ही राज्य सरकार इनके रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग
लाइसेंस, परमिट तथा बीमे पर होने वाले ख़र्च को भी वहन कर
रही है । इस तरह एक ई-रिक्शे पर लगभग 01.80 लाख रुपये की
लागत आती थी । समाजवादी सरकार ने ये दोनों योजनाएं प्रदेश के अपने संसाधनों से
शुरू करायी गयी थी ।
आसरा आवास योजना के
अन्तर्गत 10067 चयनित लाभार्थियों को आवासों का आवंटन पत्र
सौंपे गए थे, जबकि 31 शहरों के 2000
मानव चालित पात्र रिक्शा चालकों को मोटर/बैट्री चालित ई-रिक्शा
निःशुल्क उपलब्ध कराये गए । 32 शहरों के 6000 पात्र रिक्शा चालकों को मोटर/बैट्री चालित निःशुल्क ई-रिक्शा पहले ही उपलब्ध
कराये गए थे । यह ई-रिक्शे चयनित लाभार्थियों को सम्बन्धित डूडा कार्यालय के
माध्यम से उनके शहर में ही उपलब्ध कराये गए थे ।