समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने बताया था कि गाँधीजी और डा. राम मनोहर लोहिया का मानना था कि भारत में श्रमशक्ति की अधिकता के कारण यहाँ उसके उपयोग को प्राथमिकता देते हुए लघु उद्योंगो की स्थापना और उनको प्रोत्साहन दिये जाने की नीति अपनानी चाहिए । समाजवादी पार्टी और श्री मुलायम सिंह यादव ने अपनी सरकारें बनने पर इस नीति को अपनाया था । तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इनके महत्वपूर्ण स्थान को देखते हुए लघु उद्योंगो को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजनांए कार्यान्वित करने का काम किया था । जिसके कारण उत्तर प्रदेश में लघु औद्योगिक इकाइयों के विकास में आशातीत प्रगति हुई थी और इसके द्वारा आधुनिक वस्तुंए जैसे इलेक्ट्रानिक एवं इंजीनियरिंग उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना प्रौद्योगिकी आदि पर आधारित उद्योंगो का भी विकास हो रहा था ।
विजनरी मुख्यमंत्री रहें अखिलेश यादव ने उद्यमियों को अपने उद्यम से संबधित
ज्ञापनों को ऑनलाइन दाखिल किए जाने तथा उनकी रसीदें भी ऑनलाइन प्राप्त करने की सुविधा
देने का काम किया गया था । उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना के
तहत वित्त वर्ष 2015 में 3,000 हस्तशिल्पियों को लाभान्वित किये जाने का लक्ष्य
निर्धारित किया था । इसमें 20 प्रतिशत लक्ष्य अल्पसंख्यकों
को लाभान्वित किये जाने हेतु निर्धारित था ।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार ने 42, 494 सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की स्थापना कराने
का काम किया गया था. जिसमें 3,21,155 व्यक्तियों को नए रोजगार
के अवसर मिले थे तथा 5271.80 करोड़ रुपये का पूँजीनिवेश हुआ था । हस्तशिल्प एवं मध्यम उद्यम तथा
निर्यात पुरस्कार योजना के तहत दिये जाने वाले पुरस्कार डा. राम मनोहर लोहिया लघु
उद्यमी पुरस्कार एवं श्री जनेश्वर मिश्र निर्यात के नाम से पुरस्कार देने का का
काम किया गया था । इन पुरस्कारों की संख्या भी दोगुनी और दी जाने वाली धनराशि में
वृद्धि करने का काम अखिलेश सरकार द्वारा किया गया था । इसके अलावा देय आंशिक
सहायता सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजी गयी थी ।
महिला उद्यमियों के सशक्तीकरण के लिए पूर्वान्चल, मध्यान्चल तथा बुंदेलखण्ड के
सभी 12 मण्डलों के 49 जनपदों में महिला
उद्यमी प्रोत्साहन येाजना लागू की गयी थी। इसके अंतर्गत महिला उद्यमी की इकाई को 05
प्रतिशत ब्याज उपादान के तहत अधिकतम 50,000 रुपयें
प्रतिवर्ष देय था ।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यक समुदाय के दस्तकारों की सहायता
करने के अलावा निर्यात विपणन की भी सुचारु व्यवस्था करने का काम किया गया था।
विशिष्ट शिल्पकारों को पेंशन देने का काम किया गया था । समाजवादी सरकार द्वारा हस्तशिल्प
के प्रशिक्षण केन्द्र खोले और इनके उत्पादों के ब्रांड प्रमोशन के लिए कार्यवाही
भी की गयी थी। समाजवादी सरकार ने उत्तर प्रदेश में हस्तशिल्प उद्योग की अपार
संभावनाओं को विस्तार देकर उत्तर प्रदेश को एक फिर हस्तशिल्प क्षेत्र में पुराना
गौरव हासिल करने की और बढाने का काम किया गया था।
अखिलेश यादव: ‘हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना’ और
विशिष्ट
शिल्पकारों की पेंशन धनराशि दोगुनी
‘हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना’ के अन्तर्गत शिल्पकारों को एक वर्ष में दो बार मेलों अथवा प्रदर्शनी में प्रतिभाग करने की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय समाजवादी सरकार के मंत्रिपरिषद ने ‘हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना’ के अन्तर्गत शिल्पकारों को एक वर्ष में एक बार के स्थान पर दो बार मेलों अथवा प्रदर्शनी में प्रतिभाग करने की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था ।
हस्तशिल्पियों को विपणन की सुविधा उपलब्ध कराने
के उद्देश्य से लघु उद्योग विभाग के 07 जनवरी, 2013 के शासनादेश के तहत मेलों/प्रदर्शनियों में कार्यशाला से प्रदर्शनी स्थल
तक ले जाने वाले माल पर आने वाले परिवहन व्यय एवं स्टाल किराए की प्रतिपूर्ति के
रूप में अधिकतम 10 हजार रुपये राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए
जाने की व्यवस्था थी । समाजवादी पार्टी की सरकार ने एक वर्ष में एक शिल्पकार को एक
बार दी जाने वाली सुविधा को बढ़ाकर एक वर्ष में दो बार कर दिया गया था ।
विशिष्ट शिल्पकारों की पेंशन धनराशि दोगुनी की गयी
समाजवादी सरकार के कुशल नेता
श्री अखिलेश यादव के मंत्रिपरिषद ने विशिष्ट शिल्पकारों के लिए पेंशन योजना के
अन्तर्गत पेंशन की धनराशि बढ़ाए जाने का निर्णय लिया था । 18 फरवरी, 2008 के शासनादेश के तहत वर्तमान में विशिष्ट शिल्पकारों को दी जा रही पेंशन की
धनराशि 1 हजार रुपये प्रतिमाह को बढ़ाकर 2 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया था । शासनादेश में उल्लिखित अन्य
प्रविधान एवं शर्तें यथावत रहेंगी । हस्तशिल्पियों द्वारा अपने कला कौशल से प्रदेश
के शिल्प एवं कला-कृतियों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी गई है ।
प्रतिकूल परिवेश में कार्य करने के कारण उनकी शारीरिक क्षमता एवं स्वास्थ्य,
अन्य व्यवसायों की अपेक्षा जल्दी प्रभावित होती है । जिसके कारण
हस्तशिल्पियों के कार्य करने की क्षमता एवं कार्य में उत्तरोतर कमी आ जाती है ।
इसको ध्यान में रखते हुए 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके ऐसे
शिल्पकारों एवं दस्तकारों, जो भारत सरकार के शिल्पगुरु के
रूप में चयनित किए गए हैं, अथवा जो राष्ट्रीय हस्तशिल्प
पुरस्कार/दक्षता प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके हैं, अथवा
भविष्य में प्राप्त करेंगे । श्री अखिलेश यादव ने 18 फरवरी,
2008 के शासनादेश के तहत विशिष्ट शिल्पकारों के लिए पेंशन योजना की 1
हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन प्राप्त होती थी, को बढ़ाकर 2 हजार रुपये कराया था ।