उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
ने मानव तस्करी की रोकथाम एवं जागरूकता उत्पन्न करने हेतु पूर्व में
स्थापित किशोर न्याय निधि का नाम परिवर्तित करते हुए इसे ‘समाजवादी
मानव तस्करी रोकथाम निधि’ करने की घोषणा की थी । तत्कालीन मुख्यमंत्री
श्री अखिलेश यादव ने मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराए जाने वाले बच्चों की
उचित शिक्षा के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं जनपद महराजगंज में एक-एक स्कूल की
स्थापना कराने की घोषणा भी की थी । उन्होंने महिला कल्याण विभाग एवं माध्यमिक
शिक्षा विभाग को इस सम्बन्ध में शीघ्र जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे ।
दुनिया
में मानव तस्करी एक गंभीर समस्या है । यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके
शोषण के लिये खरीदा और बेचा जाता है । वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के
खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु ‘मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना ‘ (The Global
Plan of Action to Combat Trafficking in Persons) को अपनाया था ।
संयुक्त
राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय द्वारा जारी मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global
Report on Trafficking in Persons) के अनुसार, राष्ट्र अब इस अपराध के प्रति जागरूक हो रहे हैं, पीड़ितों की पहचान कर रहे हैं और अधिक-से-अधिक तस्करों को सज़ा दे रहे
हैं । रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि महिलाएँ और लड़कियाँ मानव तस्करी से
सर्वाधिक पीड़ित हैं । इनमें से अधिकांश की तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है ।
भारत के सन्दर्भ में देखें तो पायेंगे कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23
(1) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भारत में मानव तस्करी प्रतिबंधित है तथापि मानव तस्करी की जाँच
के लिये सरकार अब एक व्यापक विधेयक को फिर से पेश करने की योजना बना रही है ।
ज्ञातव्य है कि मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और
पुनर्वास) विधेयक, 2018 पिछले वर्ष लोकसभा द्वारा पारित
किया गया था लेकिन यह विधेयक 16वीं लोकसभा के विघटन के
बाद समाप्त हो गया था ।
संयुक्त
राष्ट्र द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक
या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से
दूसरे स्थान पर ले जाने या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते
हैं । मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Trafficking in
Persons) अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जो
मानव तस्करी को लेकर वैश्विक स्तर पर व्यापक मूल्यांकन प्रदान करती है । इसमें 155
देशों से प्राप्त आँकड़े शामिल हैं जिसमें मानव तस्करी के पैटर्न
का अवलोकन, प्रतिक्रिया में उठाए गए कानूनी कदम एवं
व्यक्तियों, पीड़ितों और अभियोजन संबंधी देश-विशेष में
तस्करी के मामलों की जानकारी है । मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस प्रत्येक वर्ष 30
जुलाई को मनाया जाता है ।
रिपोर्ट
के अनुसार
§ मानव तस्करी (79%) का सबसे आम रूप यौन शोषण है। यौन
शोषण की शिकार मुख्य रूप से महिलाएँ और लड़कियाँ हैं । हैरानी की बात यह है कि 30%
देशों में, जो कि तस्करों के जेंडर बारे
में जानकारी प्रदान करते हैं, महिला तस्करों का अनुपात
सबसे अधिक हैं । कुछ क्षेत्रों में महिलाएँ ही महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी करती
हैं ।
§ मानव तस्करी का दूसरा सबसे आम रूप बलात् श्रम (18%) है । दुनिया भर में तस्करी के शिकार
लोगों में से लगभग 20% बच्चे हैं । अफ्रीका और मेकांग
क्षेत्र के कुछ हिस्सों में मुख्य तौर पर (पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में 100%
तक) बच्चों की ही तस्करी की जाती है ।
§ ऐसी आम राय है कि तस्करी द्वारा लोगों को एक
देश से दूसरे देश ले जाया जाता है लेकिन ज़्यादातर शोषण के मामलें घर के करीब ही
पाए जाते हैं । आँकड़ों के अनुसार,
अंतर्देशीय या घरेलू तस्करी मानव तस्करी का प्रमुख रूप है ।
आंकड़े
§ विश्व में श्रम एवं यौन अपराध के लिये की जाने
वाली मानव तस्करी से लगभग 25
मिलियन वयस्क तथा बच्चे पीड़ित हैं ।
§ वर्ष 2019 की रिपोर्ट में तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर
प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार 60% मामलों में पीड़ितों
को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अंदर ही उनकी तस्करी की
जाती है ।
§ पश्चिमी और मध्य यूरोप, मध्य-पूर्व तथा कुछ पूर्व एशियाई देशों
को छोड़कर दुनिया के सभी क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर तस्करी की समस्या ज़्यादा
प्रबल है।
§ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आँकड़ों के अनुसार, यौन उत्पीड़न हेतु तस्करी देश की सीमाओं
से बाहर किये जाने की संभावना होती है, जबकि बलात् श्रम
के मामले में लोगों की तस्करी सामान्यत: अपने ही देश में की जाती है
§ महिलाएँ और लड़कियाँ सबसे अधिक असुरक्षित हैं ।
90% महिलाओं एवं लड़कियों की
तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है ।
§ जानकारी के अनुसार दक्षिण एशिया में 85% मानव तस्करी बलात् श्रम के लिये की
जाती है ।
§ भारत में सर्वाधिक प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड,
असम हैं।
मानव
तस्करी में भारत की स्थिति
§ भारत को टियर-2 श्रेणी में रखा गया है।
§ रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार तस्करी के उन्मूलन के लिये
न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं कर पाई है। हालाँकि पिछली रिपोर्ट की तुलना में इस
बार भारत की स्थिति बेहतर है।
§ रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी के बाद सरकार ने
बलात् श्रम और यौन अपराध के लिये की जाने वाली तस्करी के कुछ मामलों में कार्रवाई
की है फिर भी सरकार द्वारा संचालित और वित्तपोषित आश्रय-घरों में बलात् श्रम और
यौन अपराध रोकने में सरकार की विफलता एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
§ रिपोर्ट में भारत में तस्करी से संबंधित दंड
संहिता की धारा 370 में संशोधन किये जाने की
सिफारिश की गई है।
§ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2016 में
भारत में मानव तस्करी के 8000 से ज़्यादा मामले सामने आए।
वर्ष 2015 में मानव तस्करी के 6877 मामले सामने आए थे ।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB का गठन जनवरी,
1986 में किया गया:
मानव
तस्करी के कारण
§ गरीबी और अशिक्षा
§ सामाजिक असमानता
§ क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन
§ बेहतर जीवन की लालसा
§ सामाजिक सुरक्षा की चिंता
§ महानगरों में घरेलू कामों के लिये लड़कियों की
तस्करी
§ चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये बच्चों की तस्करी
§ बंधुआ मज़दूरी
§ देह व्यापार