अनुसूचित जाति के छात्र/ छात्राओं हेतु छात्रावास संचालन
अनुसूचित
जाति के ऐसे छात्र/छात्राओं को जो अपने घरों से दूर रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे ,
आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समाज कल्याण विभाग
द्वारा छात्रावासों का निर्माण उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम के माध्यम
से नि:शुल्क उपलब्ध करायी गयी भूमि पर कराया गया था । 2016-17 taक कुल 252 छात्रावासों का निर्माण कराया जा चुका था
एवं 10 छात्रावास निर्माणाधीन थे। इनमें से 225 छात्रावास संचालित थे तथा 27 छात्रावासों के पद सृजन
आदि की कार्यवाही करायी जा रही थी । बाबू जगजीवन राम
छात्रावास योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा बालकों के छात्रावासों के निर्माण हेतु 50
प्रतिशत तथा बालिकाओं के छात्रावास निर्माण हेतु शत प्रतिशत सहायता
प्रदान की जाती थी ।
स्वैच्छिक
संस्थाओं को पूर्व से निर्मित छात्रावास के विस्तार हेतु 90
प्रतिशत सहायता उपलब्ध करायी जाती थी , जिसमें
45 प्रतिशत राज्यांश एवं 45 प्रतिशत
केन्द्रांश होता था ।
अनुसूचित जाति सब
प्लान ट्राइबल सब प्लान अनुदान
वर्ष
2014-15
में अनुदान सं. 83 (स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान)
सड़क एवं पुल मद के अन्तर्गत नये कार्यो हेतु कुल 160.00 करोड़
की धनराशि का बजट प्राविधान प्रस्तावित किया गया था । जिसके सापेक्ष 138.23
करोड़ की स्वीकृति जारी हो चुकी थी । उक्त धनराशि में से डा राम
मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2014-15 हेतु
चयनित किये जाने 2100 समग्र ग्रामों एवं अन्य ग्रामों की
असंतृप्त लगभग कुल 180 बसावटों (अनुसूचित जाति / जनजाति
बाहुल्य) को जोड़ने हेतु लगभग 300 किमी0 लम्बाई में मार्ग निर्माण कर जोड़ा जाना प्रस्तावित था । इसके अतिरिक्त
प्रश्नगत योजनान्तर्गत नये कार्यो हेतु 20.00 करोड़ की
धनराशि से चयनित ग्रामों एवं अन्य ग्रामों (अनुसूचित जाति / जनजाति आबादी से
आच्छादित) के पूर्व निर्मित / ध्वस्त सम्पर्क मार्गों / लघु सेतुओं का
पुर्ननिर्माण कार्य 110 किमी लम्बाई में किया जाना
प्रस्तावित था तथा अनुपूरक बजट से 01.04.2014
के पूर्व से स्वीकृत चालू कार्यों पर समग्र एससीपी में 28.00
करोड़, एससीपी नॉन समग्र में 50.00 करोड़ एवं पुनर्निर्माण के चालू कार्यों पर 41 करोड़
प्राप्त हुआ था । जिसके सापेक्ष क्रमशः 12.17 करोड़ए 49.74
करोड़ एवं 4.89 करोड़ की स्वीकृतियां निर्गत
की जा चुकी थी । इसके अतिरिक्त बुन्देलखण्ड विकास निधि एवं पूर्वान्चल विकास निधि
हेतु क्रमशः 30.00 करोड़ एवं 100.00 करोड़
का बजट प्राविधान प्रस्तावित था ।
वर्ष 2015-16
हेतु प्रदेश स्तर पर अनजुड़े ग्रामों / बसावटों में से ऐसी बसावटें
जिनमें अनुसूचित जाति / जनजाति की आबादी 25 प्रतिशत अथवा
उससे अधिक थी, को जोड़ने हेतु ग्रामीण सम्पर्क मार्गो / लघु
सेतुओं के नये कार्यो के निर्माण हेतु 30.00 करोड़, एससीपी के चालू कार्यों हेतु एक हजार डा0 राम मनोहर
लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत एससीपी के कार्यों हेतु 100.00
करोड़, डा. राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम
विकास योजना के अन्तर्गत एससीपी के चालू कार्यों हेतु एक हजाऱ एससीपी के अन्तर्गत
पूर्व से स्वीकृत एवं ध्वस्त मार्गो के पुनर्निर्माण हेतु 20.00 करोड़ तथा एससीपी के अनतर्गत पुनर्निर्माण के चालू कार्यो हेतु एक हजार की
बजट व्यवस्था प्रस्तावित की गयी थी ।
समाजवादी ‘बेरोजगारी भत्ता’ योजना!
वर्ष 2012
के विधानसभा चुनाव में सपा ने अपने घोषणा पत्र में नौजवानों को
बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. इसी वादे को पूरा करने के लिए 2012-13
में श्रम एवं सेवायोजन विभाग के बजट में उत्तर प्रदेश बेरोजगारी
भत्ता योजना के लिए टोकन मनी का प्रावधान किया गया था. वर्ष 2006 में पहली बार मुलायम सिंह यादव की सरकार में ‘उप्र
बेरोजगार भत्ता’ योजना शुरू की गई थी. वर्ष 2007 में मायावती सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था. वर्ष 2012 में एसपी की सरकार बनने पर इसे फिर शुरू किया गया था.
प्रत्येक बेरोजगार
व्यक्ति को प्रतिमाह एक हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाता था. बेरोजगारी भत्ते
का भुगतान त्रैमासिक किस्तों में किया गया था. इस बेरोजगारी भत्ता का लाभ 30
वर्ष से अधिक आयु के ऐसे व्यक्तियों को दिया जाता था, जो हाईस्कूल
या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हों और किसी भी रोजगार, जिसमें
सरकारी, अर्धसरकारी व निजी क्षेत्र की नौकरी एवं स्वरोजगार
से जुड़े न हों. राज्य के किसी भी सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत ऐसे बेरोजगारों
को 40 वर्ष की उम्र पूर्ण करने तक भत्ता मिलता था. योजना का
लाभ उन्हीं बेरोजगार व्यक्तियों को मिलता था जो उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे तथा वर्तमान में राज्य में निवास कर रहे थे.
बेरोजगारी
भत्ता क्या ?
बेरोजगारी
भत्ता बेरोजगार युवाओ को रोजगार तलाशने के लिए दिया जाता है. नौकरी पाने के लिए
संघर्ष कर रहे बेरोजगार उम्मीदवार अपने कौशल को बढ़ाने के लिए इस पैसे का उपयोग कर
सकते हैं. बेरोजगार व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होने पर बेरोजगारी भत्ते का भुगतान
रोक दिया जाता है. यह सूचित करने का दायित्व बेरोजगार व्यक्ति का ही होता है कि
उसे अमुक माह से रोजगार मिल गया है. गलत शपथपत्र एवं गलत विवरण देने की स्थिति में
सम्बंधित व्यक्ति का बेरोजगारी भत्ता रोक दिया जाता है तथा उसके विरुद्ध समुचित
कानूनी कार्रवाई भी की जाती है. बेरोजगारी भत्ता पाने वाले व्यक्तियों से सरकार या
जिला प्रशासन द्वारा उनके निवास स्थान के विकास खंड या नगर क्षेत्र की स्थिति में
सम्बंधित नगरीय क्षेत्र की सीमाओं में उनका रोजगारपरक कौशल बढ़ाने के लिए उनसे
समय-समय पर कार्य लिया जा सकता है.