ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी
उत्तर
प्रदेश के विकास के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश
यादव के
नेतृत्ववाली उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में निवेश को
बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को हरसंभव सहायता देने का काम किया था । गंगा बैराज
के पास कानपुर-उन्नाव मार्ग पर ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी का शिलान्यास करते हुए
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि यह
उनकी सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना है । इस परियोजना के पूरा होने पर राज्य
में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश संभावित है । परियोजना के शिलान्यास के समय ही
फोर्टिस समूह ने यहां अस्पताल और एमिटी ने विश्वविद्यालय खोलने में दिलचस्पी दिखाई
थी ।
समाजवादी
सरकार उत्तर प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिलाने के लिए बड़े
पैमाने उद्योग-धंधे लगाने और निवेश की जरूरत को महसूस करती थी । इस परियोजना में
बड़ी कंपनियां अपनी इकाइयां लगाने को तैयार हुई थी, जिससे निवेश को बढ़ावा
मिलेगा और रोजगार का भी सृजन होने की संभावना थी । उत्तर प्रदेश के विकास के प्रति
समर्पित और प्रतिबद्ध विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किसानों को धन्यवाद देते हुए कहा कि बहुत ही
कम समय में उन्होंने इस परियोजना के लिए अपनी जमीन देकर प्रदेश के विकास में अपनी
भागीदारी सुनिश्चित की है ।
ट्रांस
गंगा हाईटेक सिटी उन्नाव जिला प्रशासन, कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) और उत्तर
प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) की संयुक्त परियोजना है, जिसे गंगा बैराज कानपुर से सटे लक्ष्मीखेड़ा, कनावपुर
और मनमौना की 1156 एकड़ जमीन पर विकसित किया जा रहा था । इस
हाईटेक सिटी में औद्योगिक इकाइयों के साथ ही अस्पताल, स्कूल,
बाजार और आवास की सारी सुविधाएं विकसित की जानी थी । यहां एक 45
मंजिला भवन में हाईटेक सिटी टावर भी बनेगा ।
ट्रांस
गंगा हाईटेक सिटी कानपुर शहर में मकानों की बढ़ती मांग और आवासीय सुविधाओं पर
बढ़ते दबाव को भी कम करने का काम करती । यूपीएसआईटीसी अधिकारियों ने हाईटेक सिटी
का नक्शा बनाने का काम पूरा किया गया था, जून 2016 तक यहां सभी तरह की
अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध करा दी गयी थी । विजनरी मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव
ने हाईटेक सिटी को पर्यावरण के अनुकूल विकसित किया जाना तय किया गया था । यहां
दिल्ली की तर्ज पर ऑटो एक्सपो के लिए पवेलियन और प्रदर्शनी केंद्र का भी निर्माण भी
किया जाना था ।
यह
यूपीएसआईडीसी,
उन्नाव जिला प्रशासन और कानपुर डवलपमेंट अथॉरिटी (केडीए) का संयुक्त
प्रोजेक्ट है । कानपुर-उन्नाव के बीच लक्ष्मीखेड़ा गांव में इस हाईटेक सिटी को
बसाया जाएगा । कानपुर में आबादी का काफी दबाव होने के कारण 'फ्यूचर
सिटी' यही है। इसकी लोकेशन बेहतरीन है । इसमें आधुनिक
सुविधाएं मिलेंगी । 1151 एकड़ में फैली इस सिटी के लिए देवारा कला समेत छह गांवों
की 667.419 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है ।
यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक मनोज सिंह ने जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल को पत्र
लिखकर इस बाबत जानकारी भी उपलब्ध कराई है । इसके तहत दूसरे चरण में देवारा कला,
पिपरी, बनी, मुश्तफापुर,
खैरहा गैर एहतमाली व पिंडरखा की 667.419 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहित
करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी । विभाग ने जमीन को किसानों की स्वीकृति से
खरीदने की बात कही है । यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक मनोज सिंह ने जिलाधिकारी
सौम्या अग्रवाल को पत्र लिखकर इस बाबत जानकारी दी है । पहले चरण में शंकरपुर सराय,
कन्हवापुर व मनभावना गांवों की 1151 एकड़ भूमि को इस योजना के तहत
अधिग्रहित किया जा चुका था ।
1156 एकड़ में फैले, स्टूडियो सिम्बायोसिस द्वारा ट्रांस गंगा मास्टरप्लान के प्रस्ताव को गंगा
के तट पर एक प्रतिष्ठित शहर के रूप में देखा गया है, जिसका
उद्देश्य एक आत्मनिर्भर शहर था । मिश्रित उपयोग
परियोजना के रूप में विकसित, यह मास्टर प्लान के लिए सबसे
प्रभावशाली और प्रमुख संदर्भ प्रदान करेगा ।
गंगा के मौजूदा पैटर्न का अध्ययन किया गया और डिजिटल
सिमुलेशन घनत्व पैटर्न के माध्यम से गंगा पैटर्न का अनुकरण करते हुए मास्टर प्लान
के मध्य हरे रंग में अनुवाद किया गया था । यह केंद्रीय हरित क्षेत्र मास्टर प्लान
को एक अलग चरित्र देता है और शहर के लिए सांस लेने वाले फेफड़े के रूप में कार्य
करता है । स्थायी शहर के डिजाइन को दो स्तरों पर योजना में बनाया गया है । सबसे पहले शहर को टिकाऊ बनाने के लिए आवश्यक डिज़ाइन स्तर के तत्वों को मास्टर
प्लान में तैयार किया गया था । कार्यान्वयन चरण में द्वितीयक हरे रंग की छत,
पृथ्वी ठंडा, सौर पैनल, भूजल
पुनर्भरण, अपशिष्ट प्रबंधन प्रस्तावित किया गया था ।
मास्टर प्लान के केंद्र
में एक ऑटो एक्सपो स्थित है, जो केंद्रीय हरे रंग के बीच
स्थित है । ऑटो एक्सपो को एक प्रतिष्ठित इमारत के रूप
में डिज़ाइन किया गया है, जो एक प्रमुख दृश्य मार्कर बना रहा है । यह केंद्रीय ग्रीन और प्रोमेनेड के एक बहुत ही महत्वपूर्ण इंटरफ़ेस पर
स्थित है । यह मास्टर प्लान की विभिन्न गतिविधियों का
एक समामेलन क्षेत्र है, जो एक दूसरे में समवेत रूप से समृद्ध
शहरी प्लाजा बनाते हैं । ऑटो मार्ट और ऑटो एक्सपो इमारत
में निहित दो अलग-अलग कार्य हैं । प्रस्ताव में दो
निरंतर गैर-प्रतिच्छेदन रैंप का उपयोग करके इन दो गतिविधियों को अलग किया जाता है ।
भूमि उपयोग वितरण में
वाणिज्यिक, औद्योगिक, मिश्रित उपयोग,
आवासीय और सार्वजनिक सुविधाएं शामिल की गयी थी । भारतीय परिस्थितियों के मद्देनजर, अतिक्रमण से बचने
के लिए मास्टर प्लान में कुछ विशेष मापदंडों के साथ ओवरलैप की गई विशेष सुविधाएं
प्रदान की गई थी । कार्यात्मक विविधता को एक सहज
क्षितिज द्वारा एकीकृत किया गया था । यह अविभाज्य
क्षितिज मास्टर प्लान की विभिन्न कार्यात्मक आवश्यकताओं को एक नेत्रहीन सुसंगत
प्रणाली में विलय कर देता है ।
गंगा रिवरफ्रंट के
साथ आइकॉनिक टॉवर डिजाइन किए गए थे । ये वाणिज्यिक /
मिश्रित उपयोग किए गए टॉवर 100-140 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ते
हैं, मास्टर प्लान के आगमन की भावना प्रदान करते हैं । टावरों
के लिए अग्रभाग पैटर्न विस्तृत शहरी डिजाइन दिशानिर्देशों का एक हिस्सा बनेगा । इस अग्रभाग पैटर्न को कम्प्यूटेशनल सॉफ़्टवेयर के उपयोग से सौर विश्लेषण
द्वारा डिज़ाइन किया गया है, जिससे एक फ़ेकेड सिस्टम उत्पन्न
होता है, जो गर्मी भार को कम करके मास्टर प्लान में एक टिकाऊ डिज़ाइन सुविधा के
रूप में कार्य करता है ।
इन गांवों की जमीन का
अधिग्रहण हुआ था-
ग्राम सभा का नाम
अधिग्रहित होने वाली भूमि
का क्षेत्रफल
1- देवारा कला
136.623
2-पिपरी
177.822
3-बनी
80.824
4-मुश्तफापुर
54.70
5-खैरहा गैर
एहतमाली
54.791
6-पिंडरखा
162.526
2003 में बनी थी ट्रांसगंगा हाई टेक सिटी योजना
ट्रांस गंगा हाई टेक सिटी योजना 2003 में
मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में सामने आई थी । लेकिन मुआवजा इतना कम
था कि किसानों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली थी । किसान नेता अजय अनमोल के
मुताबिक 2007 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनने के बाद मुआवजे की दर 2.51 लाख
रुपये से बढ़ाकर 5.51 लाख रुपये कर दी गई । लेकिन यूपीएसआईडीसी द्वारा योजना के तहत
भूमि अधिग्रहण का काम 2012 तक नहीं किया और जब प्रदेश में दोबारा सपा सरकार बनी तो
विभाग ने किसानों की जमीन अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया। इसके विरोध में किसान
सड़क पर उतर आए । किसानों का कहना था कि पूर्व में जो दरें लागू की गई थीं, वह आज के परिप्रेक्ष्य में
काफी कम हैं। लिहाजा इसे बढ़ाया जाए । किसानों की मांग के बाद समाजवादी पार्टी की
अखिलेश सरकार ने किसानों को प्रति बीघा 12.51 लाख रुपये मुआवजा, 6 प्रतिशत डेवलप लैंड, 50 हजार रुपये पुर्नवास के
लिए व प्रत्येक किसान के एक व्यक्ति को इस जमीन पर स्थापित होने वाली औद्योगिक
इकाई में नौकरी देने की घोषणा की थी । जिससे सभी किसान इस परियोजना के लिए अपनी भूमि
देने को सहर्ष तैयार हो गए थे ।
यूपी: जमीन मुआवजे को लेकर किसानों के धरने पर
लाठीचार्ज के बाद उन्नाव में तनाव,
आठ गिरफ़्तार
BY द वायर स्टाफ ON 19/11/2019 •
उन्नाव जिले में किसान सरकार द्वारा अधिग्रहित
जमीन के लिए उचित मुआवजे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान
पुलिस और किसानों में झड़प हो गई जिसमें दोनों पक्षों के लोग घायल हुए हैं. इलाके
में भारी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव
में प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज का दृश्य.
उत्तर
प्रदेश के उन्नाव जिले में अधिग्रहित की गई जमीन के बेहतर मुआवजे
की मांग को लेकर शनिवार को किसानों के विरोध प्रदर्शन में पुलिस द्वारा की गई
लाठीचार्ज के बाद जिले के तीन गांवों में सोमवार को भी तनाव व्याप्त रहा. हालांकि,
भारी संख्या में पुलिसबल की तैनाती के बाद वहां कोई विरोध प्रदर्शन
नहीं हुआ है.
इंडियन
एक्सप्रेस के अनुसार, किसानों ने दावा किया है कि विरोध
प्रदर्शन करने के कारण जिला प्रशासन उन्हें प्रताड़ित कर रहा है और गिरफ्तारी के
डर से युवा अपने घरों से भाग गए हैं. हालांकि, आरोपों को
खारिज करते हुए पुलिस ने कहा कि दोबारा से कानून एवं व्यवस्था की समस्या न हो,
इसलिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
शंकरपुर
सराय गांव के निवासी अनिल वर्मा ने कहा, ‘गांव के भीतर और बाहर पुलिस तैनात की गई
है और वे हमें अपने गांव से बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. रात में पुलिस
ने हमारे घरों पर छापा मारा और हमारे परिवार के सदस्यों को परेशान किया. पुरुष
सदस्य रात में घरों में नहीं रहते हैं और पुलिस की कार्रवाई के डर से खेतों में
छिपने को मजबूर होते हैं.’ शंकरपुर सराय गांव में सबसे अधिक
पुलिसवालों को तैनात किया गया है क्योंकि यह बस्ती
परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के सबसे नजदीक
है. गांव के एक अन्य निवासी अजय कुमार ने कहा, ‘इसकी वजह से
यहां के ग्रामीण बहुत डरे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘हम डर के
माहौल में जी रहे हैं क्योंकि हमारे गांव में हर 50 मीटर की
दूरी पर पुलिस कर्मी पहरा देते हैं. लोग इस मुद्दे पर बोलने से डरते हैं और हमारे
अगले कदम के लिए बैठकें आयोजित करने से बचते है. गिरफ्तारी का भी डर है क्योंकि
किसी को नहीं पता कि मामले में किस-किसका नाम शामिल है.
इस मामले में अब तक कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें से तीन लोगों
को सोमवार को गिरफ्तार किया गया. किसानों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में पुलिस ने
तीन एफआईआर दर्ज की हैं. पड़ोस के कन्हावपुर और मन्हौना गांवों के निवासियों का
कहना है कि गिरफ्तारी के डर से वे अपने गांवों से बाहर नहीं जा रहे हैं.
कन्हावपुर
गांव के संजय कुमार ने कहा, ‘हमारे गांव के लोगों का एक समूह आज
शंकरपुर सराय गांव गया था, यह जानने के बाद कि कुछ राजनीतिक
नेता वहां ग्रामीणों से मिलने आए हैं. वे बताने गए थे
कि पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को कैसे पीटा. हालांकि, जब उन्हें लगा कि उन्हें घर लौटने में परेशानी
का सामना करना पड़ सकता है, तब उन्होंने वापस नहीं जाने का फैसला किया. पुलिस
सूत्रों का कहना है कि तीन गांवों में दंगा रोधी उपकरणों के साथ कम से कम 650
कर्मियों को तैनात किया गया है. किसानों का यह विरोध
प्रदर्शन तब शनिवार को तब हिंसात्मक हो गया जब पुलिस पर पत्थरबाजी की गई. इसके साथ
ही इलाके में विनिर्माण मशीनरी को भी आग लगा दी गई. इसके बाद भीड़ को काबू में
लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े. इस संघर्ष में कई
किसान और पुलिसकर्मी घायल हो गए.
यूपीएसआईडीए
ने दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए आठ लोगों के खिलाफ
नामजद और 200
अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. यूपी पुलिस ने 30
नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर
दर्ज की है. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में एक पुलिसकर्मी को जमीन पर
लेटे हुए एक निहत्थे व्यक्ति की पिटाई करते हुए दिखाया गया है.
यह
मामला 2002 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए 1,156 एकड़
के अधिग्रहण से संबंधित है. साल 2014 में, श्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सरकार द्वारा यूपीएसआईडीए की ट्रांस गंगा सिटी परियोजना नामक परियोजना के लिए भूमि को अलग रखा गया था. परियोजना
में एक प्रदर्शनी केंद्र, एक मेगा मॉल, एक मल्टीप्लेक्स और बहु-मंजिला आवासीय परिसरों का निर्माण शामिल था. शुरू
में मुआवजा 1.5 लाख रुपये प्रति बीघा निर्धारित किया गया था.
लेकिन, 2015 और 2016 में किसानों के
विरोध के बाद इसे बढ़ाकर 5.5 लाख रुपये प्रति बीघा कर दिया
गया. अब कृषि नेताओं ने दावा किया है कि क्षेत्र के लगभग 30% किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं मिला है.
राष्ट्रीय
किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा, ‘भूमि अधिग्रहण किए पांच साल बीत चुके हैं,
लेकिन किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं दिया गया है. क्या मुआवजे की
मांग अनुचित है?’ उन्होंने यह भी दावा किया कि शनिवार और
रविवार को हुई हिंसा का दोष किसानों पर नहीं लगाया जा सकता. दीक्षित ने कहा, ‘हमारा शांति भंग करने का कोई इरादा
नहीं है. कुछ असामाजिक तत्वों ने हमारे आंदोलन को तोड़फोड़ करने के लिए घुसपैठ
किया होगा. पुलिस ने एक लाठीचार्ज का भी सहारा लिया था, जिसके
कारण मामूली झड़प हुई थी.’ इस बीच, राज्य
भर के किसानों संगठनों ने किसानों के लिए समर्थन व्यक्त किया है. भारतीय किसान
यूनियन (भाकयू) ने हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. भाकयू ने एक बयान
में कहा, “पुलिस को महिलाओं सहित निहत्थे किसानों पर लाठीचार्ज
का सहारा नहीं लेना चाहिए था. हम इस मामले में पूरी तरह से जांच की मांग करते हैं.
विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले राष्ट्रीय किसान
मंच ने कहा है कि किसानों की मांगें पूरी होने तक विरोध जारी रहेगा. दीक्षित ने
कहा, हम पीछे नहीं हटेंगे और तब तक अपना विरोध जारी
रखेंगे जब तक कि प्रत्येक किसान को मुआवजा नहीं मिल जाता. विरोध प्रदर्शनों के
दौरान संभावित हिंसा को रोकने के लिए क्षेत्र में भारी पुलिस तैनाती की गई है.
उप्र
सरकार को उन्नाव में पिछले कई दिनों से चल रहे जमीन मुआवजे के विवाद/हिंसा के
लगातार उलझते जा रहे मामले को जमीन मालिकों के साथ बैठकर जल्दी सुलझाना चाहिए ना
कि उनके ऊपर पुलिस लाठीचार्ज व उनका शोषण आदि कराना चाहिये जो अति-निन्दनीय है।
इसे सरकार को अति गम्भीरता से लेना चाहिये।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रदेश के पूर्व
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले पर कहा कि भाजपा सरकार के दमन के कारण
किसानों में असंतोष व्याप्त है. ट्रांस गंगा प्रोजेक्ट के लिए भाजपा सरकार हठधर्मी
रवैया अपनाए हुए है और किसानों की दिक्कतों के समाधान की जगह उन पर लाठियां भांज
रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार जहां किसानों की
सहमति से जमीन का अधिग्रहण करने में सफल रही थी, वहीं भाजपा सरकार उन्हें बिना
पर्याप्त मुआवजा दिए बेघर और बेरोजगार बनाने पर तुली है.
ट्रांस गंगा सिटी में उस समय लाठी चार्ज की
नौबत आ गयी, जब किसानों व पुलिस के बीच विरोध चरम पर पहुंच गया। ग्रामीण अपनी
मांगों को लेकर विवाद पर अमादा दिखे तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन किसानों से कब्जा
लेने की जुगत तलाशता दिखा। लेकिन प्रशासन व किसानों के बीच बात आपे के बाहर हो
गयी। किसानों पर पुलिस प्रशासन ने लाठी चार्ज कर दिया । जानकारी यह भी मिल रही है कि
पुलिस द्वारा किए गये लाठी चार्ज में कई किसानों को चोटे भी आयी है । वहीं पुलिस
अधिकारियों के किसानों के द्वारा किए गये पथराव से घायल होने की भी जानकारी मिल
रही है । उन्नाव जनपद के शुक्लागंज क्षेत्र के ट्रांस गंगा सिटी में प्रशासन को
काम से रोकने के लिए पहुंचे आक्रोशित किसानों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर दिया ।
विरोध में उतरे ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव करना आरम्भ कर दिया । इस घटना में सीओ
सिटी अंजनी कुमार राय समेत करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मी पत्थर लगने से जख्मी हो गए ।
पुलिस ने सैकड़ों ग्रामीणों को दौड़ा.दौड़ा कर पीटा और ट्रांस गंगा सिटी से दूर खदेड़
दिया । शासन के आदेश पर किसानों से कब्जा हटाने पहुंची टीम ने पहले ग्रामीणों को
काम में बाधा न पहुंचाने की नसीहत दी । ग्रामीण नहीं माने तो मौके पर भारी मात्रा
में पीएसी और पुलिस तैनात कर दी गई । अश्रु गैस के गोले मंगवाए गए । करीब 2;15 बजे पुलिस ने
ग्रामीणों को अलर्ट किया और उनको खदेड़ दिया । विरोध में ग्रामीण भी पीछे नहीं हटे
और उन्होंने पुलिस पर पथराव करना चालू कर दिया । इसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों को
दौड़ा.दौड़ा कर पीटना चालू किया तो दहशत में आए गांव के लोग मौके से फरार हो गए ।
पथराव में सीओ सिटी अंजनी कुमार राय और कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए । पुलिस
ग्रामीणों को ट्रांस गंगा सिटी से खदेड़ने में कामयाब रही। अभी भी गांव के लोग
पुलिस पर निगाह गड़ाए हैं ।