मुलायमसिंह यादव: दलित-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों के मसीहा
उत्तर
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री नेताजी श्री मुलायमसिंह
यादव जी ने दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को सत्ता में हिस्सेदारी देने का काम किया
था. उन्होंने कृषि कल्याण से लेकर लघु-कुटीर उद्योगों पर विशेष बल दिया ताकि
बेरोजगारी के अभिशांप को मिटाया जा सके. उन्होंने दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के
आर्थिक-समजिन और राजनीतिक उत्थान के लिए बहुत काम किया था. उन्होंने पंचायतों व
नगर निकायों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित
जाति/जनजातियों को आरक्षण देने से लेकर सभी कैटेगरीज में 33 प्रतिशत
महिलाओ को आरक्षण देने का काम किया था.
नेताजी ने
मण्डल कमीशन को लागू करने से लेकर मण्डल को बचाने हेतु राजभवन घेराव तक की
कार्यवाही को अंजाम तक पंहुचाया था. नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी ने यूपी में
सामाजिक दृष्टि से दबे-कुचले लोगो को सीना तानकर चलने हेतु प्रोत्साहित किया थक. जगह-जगह
लोगो ने मुलायम सिंह यादव जी के सह पर सामंती ताकतों से लोहा लिया और उन्हें यह
अहसास करा दिया कि अब मनु का नही बल्कि अम्बेडकर का सँविधान प्रभावी है.
यूपी
साम्प्रदायिक ताकतों की सदैव से प्रयोगशाला रहा है. यूपी व देश मे भाजपा के
सत्तासीन होने के बाद अब यूपी में पुनः पुरातनपंथी लगे हुए हैं. वे सारे मोर्चो पर
नाकाम हो चुके हैं तो धर्म की चादर ढककर खुद को बचाने की नाकाम कोशिश कर रहें है.
ये नाकाम सत्ताधारी देश को हिन्दू-मुस्लिम में बांट रहें हैं. जिससे युवा और
गृहस्थ लोग रोजगार, मंहगाई, भ्रष्टाचार, माल्या, मोदी, राफेल, नोटबन्दी, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट आदि सब कुछ भूल जाएँ और इन नाकामों को सत्ता सौंप दें. साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हेतु
मुगलसराय, इलाहाबाद, फैजाबाद आदि नाम
बदलकर युवाओं के मुद्दों से भटकाने का एकमात्र काम में लगे हैं. ये नाम बदलने को ही विकास समझ बैठे हैं. इनका नेताजी
श्री मुलायमसिंह यादव जी जैसा प्रतिकार नही हो रहा है, जिससे ये बेलगाम होते जा
रहे हैं. मुलायम सिंह यादव सच मे नाम के मुलायम हैं, इरादे व
वादे इनके हमेशा फौलादी रहे हैं. आज उम्र साथ नही दे रही है नेताजी की, वरना मॉब लिंचिंग करने वाले चरखा दांव में ऐसे न चित होते की उठने का नाम
न लेते. जब साम्प्रदायिक और मनुवादी जातीय ताकते फन उठा रही हो तो निश्चय ही नेताजी
के फौलादी जज्बों की याद आएगी, उनके ऐतिहासिक कार्य याद
आएंगे और उनके कठोर निर्णयों की याद आएगी क्योकि नेताजी ही देश के एकमात्र ऐसे
नेता रहें हैं. जो देश के सँविधान को बचाने के लिए अप्रिय निर्णय ले खुद अलोकप्रिय
हो गए थे, पर विचारो से नही डिगे थे. 1990 का वह दौर और उसके
बाद मुलायम सिंह यादव जी की सख्त छबि किसे याद नही होगी? देश
व सँविधान से कोई बड़ा नही है. धर्म व आस्था के नाम पर सँविधान तोड़ने की इजाजत किसी
को नही मिलेगी चाहे वह आडवाणी जी हों या सरस्वती जी ही क्यो न हों?
मुलायम नाम
को जिन लोगो ने 1990 के दौर में
मुलायम समझने की भूल की थी, वे सख्ती का मतलब भी समझ गए थे. उस समय नेताजी ने पूरी
दुनिया के सामने मुख्यमंत्री होने के बावजूद यह दिखा दिया था कि शासन में कितनी
ताकत होती है और शासन का अभिप्राय क्या होता है. मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का
भेद नेता जी व नरसिम्हा राव जी के उस समय के कार्यो को देखकर किया जा सकता है कि
कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री रहकर भी कैसे देश के सँविधान को बचा लेता है और कोई
व्यक्ति प्रधानमंत्री रहकर भी सँविधान की धज्जियां उड़ता हुआ देखता रह जा सकता है.
उस समय पूरी दुनिया ने देखा है कि नेता जी ने कैसे सांप्रदायिक ताकतों से एक
धार्मिक स्थल बाबरी मस्जिद की सुरक्षा करने का काम किया था. और भारत के माननीय सुप्रीम
कोर्ट के स्थगन आदेश को मनवाया था जबकि वही प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव बाबरी ढांचे
को टूटते हुये देखते हुये कुछ न कर सके थे. जबकि वे देश के प्रधानमंत्री थे. यही
फर्क है मनुवादियों और न्याय प्रिय नेताजी की सोच में और समझ में. नेताजी ने प्रिय-अलोकप्रिय
की परवाह किये बगैर सँविधान के सुरक्षा करने की दृढ़ता की थी. यूपी के विधानसभाई
चुनाव में नेताजी ने सांप्रदायिक भाजपा से दूरी रखते हुये अपने क्रांति रथ से यूपी
की जनता से जनसंवाद स्थापित करने के अपने कार्य पर भरोसा रखते हुये सरकार बना दी
थी. और अयोध्या में कथित कारसेवा का प्रपंच चलने नही दिया था.
वर्तमान
दौर बहुत कठिन है. देश मे चारो तरफ मन की बात हो रही है. उन्हें देश की चिंता नहीं
है बल्कि सांप्रदायिक अजेंडे के तहत मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक की चिंता रही
लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सबरीमाला मन्दिर में हिन्दू औरतों
के पूजा करने से रोकने पर नारी अस्मिता व सम्मान तथा देश के सँविधान की चिंता नही
है. कितना दुखद है लोकतंत्र के संचालक संस्थानों यथा माननीय सुप्रीम कोर्ट, ई.डी, सीबीआई, आरबीआई को धता बता रहे हैं. मीडिया
को गुलाम बनाकर शरणागत कर चुके हैं. अपने देशवासियों को राष्ट्रवादी होने का
प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं. पाकिस्तान भेजने के आदेश दे रहें हैं, देशद्रोही कह
रहे हैं. यह स्थिति देश की हो गयी है की आज नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव जी जी
सुरक्षा परिषद हो या सुप्रीम कोर्ट, संसद हो या सड़क, सदैव फौलाद बनकर भारतीय संविधान की प्रस्तावना को मजबूत रूप देने में
सन्नद्ध रहे हैं. आज भी किसी वैसे ही फौलादी नेताजी श्री मुलायमसिंह जी की जरूरत
है जो सर्वथा रिक्त है.
नेता
जी श्री मुलायम सिंह यादव जी ने कभी भी इन बातों की परवाह नही किया कि कौन मुझे
हिन्दू द्रोही कहेगा या बाबर की औलाद क्योकि उनके लिए मायने रखता था भारत की सबसे
पवित्र पुस्तक सँविधान, और धर्मनिर्परक्षता.
लेकिन नागपुर में बैठे हिंदुत्व के नकली अलमबरदारों ने पिछड़े-दलितों और
अल्पसंख्यकों में फूट डालकर सत्ता हरण कर ली थी. लेकिन 7 वर्षो के बाद अब आपसी कटुता थोड़ी दूर हुई
प्रतीत हो रही है. और लोग समझ चुके हैं कि देश चलाने के लिए इन नागपुरी संतरों के
पास विजन नाम की कोई चीज नहीं है.
नेताजी
द्वारा दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए बहुत काम किये थे, यथा-
1.
प्रदेश
में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया गया और भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों को दंडित
करके बाहर किया गया.
2.
नेताजी
मुलायम सिंह के निर्देशन में उत्तर प्रदेश सरकार के केंद्र से वर्ष 1990 के आने के लिए वार्षिक योजना के लिए 2300 करोड़ 3370 करोड़ रुपए की राशि मंजूर कराने में
सफलता प्राप्त की जबकि इससे पिछले वर्ष यह राशि 2970 करोड
रुपए ही थी डॉ राम मनोहर लोहिया का सपना पूरा करने के लिए खेतिहर मजदूरों और
भूमिहीनों में भूमि के वितरण के लिए 16 जिलों में भूमि सेना
का गठन किया गया जिसके तहत बंजर एवं बीहड़ भूमि का विकास किया गया था वर्ष 1991
में 12312 प्राथमिक पाठशाला भवन निर्मित किए
गए.
3.
नेताजी
की सरकार ने 12वीं कक्षा तक मुफ्त
शिक्षा देने की योजना लागू की
4.
उत्तर
प्रदेश के 110 विकास खंडों में
राजकीय कन्या हाई स्कूल स्थापित किए गए.
5.
निजी
क्षेत्र के 30 एवं 250 हाई स्कूल स्कूलों को शासकीय अनुदान सूची में लाया गया
6.
नेता
जी की सरकार सामाजिक न्याय के वादे के साथ सत्ता में आई थी उसने अपना वादा निभाने
के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए जिनमें पिछड़े दलित वंचित पर्वतीय और अनुसूचित
जाति जनजाति और अन्य सामान्य जातियों के लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी
इसके साथ ही सामान्य जातियों के आर्थिक दृष्टि से पिछड़े लोगों को भी राज्य सरकार
की नौकरियों में 8% आरक्षण
देने की घोषणा की गई थी महिलाएं लंबे समय से उपेक्षित रही है और महिलाओं को भी 3%
आरक्षण दिया गया मुलायम सिंह सरकार ने देश में पहली बार उनके लिए 3%
के आरक्षण की व्यवस्था की थी पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों के लिए
सरकारी नौकरियों में 2% आरक्षण की व्यवस्था की थी
7.
शासकीय
सेवाओं में अनुसूचित जातियों जनजातियों के लिए आरक्षण कोटे को भरने के लिए विशेष
अभियान चलाया गया डॉक्टर अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के लिए 100 करोड रुपए की राशि मंजूर की गई थी 9563 अनुसूचित जाति बहुल कामों के सर्वागीण विकास के लिए अंबेडकर ग्राम योजना
चलाई थी जिसका लाभ वहां के निवासियों को प्राप्त हुआ
8.
मुलायम
सिंह सरकार ने निर्बल वर्गों को सामाजिक सुरक्षा दिलाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण
कदम उठाए विधवाओं विकलांगों और वृद्धों को मिलने वाली पेंशन को 60 रू. की जगह 100 रू. प्रतिमाह
कर दिया गया था. 12 लाख 40 हजार 772
निराश्रित विधवाओं को पेंशन के भुगतान के लिए 300000000 की व्यवस्था की गई थी
9.
53,000
विकलांगों के भरण पोषण हेतु 8 करोड रुपए मंजूर
किए गए थे प्रदेश भर में वृद्धावस्था पेंशन का लाभ 500000 लोगों
तक पहुंचाया गया इस पर प्रतिवर्ष 700 का खर्च आया
10.
स्वतंत्रता
सेनानियों की पेंशन को ₹401 से
बढ़ाकर ₹500 प्रतिमाह कर दिया गया था
11.
इसके
साथ ही लगभग 1350000 जरूरतमंद
छात्रों के लिए 350000000 की छात्रवृत्ति लागू की गई थी
12.
अंतरजातीय
विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि 1000 से बढ़ाकर 10,000 कर दी गई थी.
35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं से भेदभाव से विवाह करने पर 11000
के अनुदान की व्यवस्था की गई.
13.
ग्रामीण
क्षेत्रों पर विशेष ध्यान ध्यान देने के साथ-साथ शहरी क्षेत्र के दुर्बल वर्गों की
भी उपेक्षा नहीं की गई थी इसके लिए मुलायम सरकार ने मुलायम सरकार ने सात शहरों में
भंगी मुक्ति योजनाओं के अंतर्गत 40,000 शौचालय का निर्माण कराया गया था और भंग योग को मैला उठाने के काम से
मुक्ति दिलाई थी 100000 से 20 लाख तक
की आबादी वाले शहरी नगरों में झुग्गी झोपड़ी सुधार योजना चलाई गई.